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कोविड-19: 'पापा हमेशा मदद करते हैं इसलिए मैंने भी गुल्लक के पैसे दान किए'

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Published : Apr 6, 2020, 1:21 PM IST

Updated : Apr 6, 2020, 1:28 PM IST

महासमुंद में एक आठवीं क्लास की छात्रा ने कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में 1,072 रुपये दान किए हैं. इस योगदान पर जिले के एसपी ने उसकी तारीफ भी की है.

girl donated money in cm relief fund
गुल्लक तोड़कर दान की अपनी पॉकेट मनी

महासमुंद: कोविड-19 के रोकथाम के लिए सामाजिक संगठन और एनजीओ जहां गरीब तबके के लोगों की मदद कर रहे हैं. वहीं बच्चे भी किसी से कम नहीं हैं. लगातार ऐसी खबरें देखने को मिल रही हैं, जहां बच्चे छोटा ही सही लेकिन इस जंग में योगदान जरूर दे रहे हैं.

गुल्लक तोड़कर दान की अपनी पॉकेट मनी

ऐसी ही एक कहानी केंद्रीय विद्यालय में पढ़ने वाली आठवीं क्लास की छात्रा रेचल की है, जिसने अपनी पॉकेट मनी से 1,072 रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष में एसपी के माध्यम से दान किए हैं.

4 महीने से कर रही थी गुल्लक में पैसे जमा

बच्ची के पिता पॉलिटेक्निक कॉलेज में नौकरी करते हैं. रेचल के पिता बताते हैं कि जब भी वे घर आते हैं, उनके जेब में जितने चिल्लर पैसे होते हैं, वो उसे रेचल को दे दिया करते हैं. रेचल उन पैसों को मिट्टी के एक गुल्लक में डाल देती है और इसी तरह उसने चार महीने में 1,072 रुपये जमा कर लिए थे.

पिता से मिली दान की प्रेरणा

इस महामारी के वक्त मासूम रेचल का कहना है कि उसके पिता हमेशा दूसरों की मदद करते हैं और दान करने की प्रेरणा उन्हें उनके पिता से ही मिली. रेचल आगे कहती हैं कि उन्हें गरीबों की मदद करना अच्छा लगता है.

वहीं जब हमने जिले के एसपी से बात कि तो उन्होंने छात्रा की तारीफ की. साथ ही दूसरों को भी मदद के लिए आगे आने की अपील की.

महासमुंद: कोविड-19 के रोकथाम के लिए सामाजिक संगठन और एनजीओ जहां गरीब तबके के लोगों की मदद कर रहे हैं. वहीं बच्चे भी किसी से कम नहीं हैं. लगातार ऐसी खबरें देखने को मिल रही हैं, जहां बच्चे छोटा ही सही लेकिन इस जंग में योगदान जरूर दे रहे हैं.

गुल्लक तोड़कर दान की अपनी पॉकेट मनी

ऐसी ही एक कहानी केंद्रीय विद्यालय में पढ़ने वाली आठवीं क्लास की छात्रा रेचल की है, जिसने अपनी पॉकेट मनी से 1,072 रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष में एसपी के माध्यम से दान किए हैं.

4 महीने से कर रही थी गुल्लक में पैसे जमा

बच्ची के पिता पॉलिटेक्निक कॉलेज में नौकरी करते हैं. रेचल के पिता बताते हैं कि जब भी वे घर आते हैं, उनके जेब में जितने चिल्लर पैसे होते हैं, वो उसे रेचल को दे दिया करते हैं. रेचल उन पैसों को मिट्टी के एक गुल्लक में डाल देती है और इसी तरह उसने चार महीने में 1,072 रुपये जमा कर लिए थे.

पिता से मिली दान की प्रेरणा

इस महामारी के वक्त मासूम रेचल का कहना है कि उसके पिता हमेशा दूसरों की मदद करते हैं और दान करने की प्रेरणा उन्हें उनके पिता से ही मिली. रेचल आगे कहती हैं कि उन्हें गरीबों की मदद करना अच्छा लगता है.

वहीं जब हमने जिले के एसपी से बात कि तो उन्होंने छात्रा की तारीफ की. साथ ही दूसरों को भी मदद के लिए आगे आने की अपील की.

Last Updated : Apr 6, 2020, 1:28 PM IST
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