महासमुंद : स्कूल आ पढ़े बर जिंनगी ला गढ़े बर इस स्लोगन से शिक्षा विभाग छात्र-छात्रों का भविष्य गढ़ने का वादा करता है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जब स्कूल में शिक्षक ही नहीं होंगे, तो इन बच्चों का भविष्य कैसे गढ़ा जाएगा.
शिक्षक की मांग को लेकर छात्रों ने जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) कार्यालय का घेराव किया.
- बता दें कि जिले में कुल 1957 शासकीय स्कूल संचालित हैं, जिनमें प्राथमिक 1281, मिडिल 491, हाईस्कूल 66, हायर सेकंडरी 119 , जिनमें 1 लाख 35 हजार बच्चे अपना भविष्य बनाने आते हैं.
- वहीं जिले में प्राचार्य की 184 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 42 कार्यरत हैं और 142 खाली हैं. वहीं व्याख्याता के 1844 पद स्वीकृत हैं और 1392 कार्यरत हैं. 452 पद खाली हैं. इसी प्रकार शिक्षक के 2267 पद स्वीकृत हैं और 1939 कार्यरत हैं. 328 पद खाली हैं .
- सहायक शिक्षक के 3075 पद स्वीकृत हैं और 2975 कार्यरत हैं. 100 पद खाली हैं . व्यापम शिक्षक के 110 पद स्वीकृत हैं और 47 कार्यरत हैं. 63 पद खाली है, 1 सहायक शिक्षक विज्ञान के 317 पद स्वीकृत हैं और 191 कार्यरत हैं. 126 पद खाली हैं . इस प्रकार कुल 7797 पद में 6586 कार्यरत हैं और 1211 पद आज भी खाली है.
- 35 हाईस्कूल और 33 हायर सेकंडरी स्कूल ऐसे हैं, जहां अपना भवन ही नहीं है. 11 मिडिल और 111 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी शिक्षक नहीं हैं.
ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चे कैसे पढ़ाई करते होंगे. इसी कड़ी में शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला को 2 वर्ष पहले हाई स्कूल में उन्नयन कर दिया गया था पर आज तक शिक्षक की पदस्थापना नहीं हुई, जिससे परेशान बच्चे और पालकों ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का घेराव किया. बच्चों का कहना है कि हम लोगों को 10वीं की बोर्ड परीक्षा देनी है पर हमारे स्कूल में शिक्षक नहीं हैं. ऐसे में हम लोग बोर्ड परीक्षा कैसे देंगे. अब देखना ये होगा की शिक्षा अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं.