महासमुंद: दिवाली का त्योहार आते ही कुम्हारों के चेहरे खिल उठते हैं और उनका पूरा परिवार जुट जाता है दीये बनाने में. जहां एक तरफ उनकी मेहनत से हमारा घर जगमगाता है, वहीं दूसरी तरफ दीये और मिट्टी से बने बर्तन बेचकर कुम्हारों का घर चलता है.
दीये बनाने करीब 50 परिवार कुम्हारपारा में रहते हैं, जो मिट्टी के दीये और बर्तन बनाने का काम करते हैं. इन्होंने बताया कि पहले बाजार में दीये 80 रुपए सैकड़ा के हिसाब से बेच रहे हैं, जिससे उनके परिवार का पालन-पोषण होता है. दीये बनाने वालों ने बताया कि एक परिवार लगभग 40 से 50 हजार दीया बनाता है और परिवार चलाने लायक मुनाफा कमा लेता है. हैं कुम्हारों का कहना है कि हम लोगों का पूरा परिवार दिवाली के दिए पर ही निर्भर रहता है.
इस बार लोगों में थोड़ी जागरूकता देखने को मिली है. स्थानीय महिला मीता साहू ने कहा कि वो अपने घर के लिए मिट्टी के दीये लेती हैं. महिला ने दूसरों से भी मिट्टी की दीये खरीदने की अपील की है. मीता ने कहा कि इससे न सिर्फ कुम्हारों की मदद होगी बल्कि वे खुश भी होंगे. वहीं युवती वेद मति भरद्वाज ने बताया कि इससे पर्यावरण को साफ रखने में मदद मिलेगी. युवती ने कहा कि मिट्टी के दीये जलाने के बाद मिट्टी में मिल जाती है. प्रकृति लौटकर प्रकृति के पास चली जाती है.
प्लास्टिक और अन्य चीजों से बने दीये से नुकसान होता है. इस तरह से एक उम्मीद जगी है कि चाहे पर्यावरण संरक्षण हो या देसी चीजों के प्रति लौटने की रुचि, इसी बहाने कुम्हारों के फिर अच्छे दिन लौट आएंगे. ETV भारत आपसे फिर अपील करता है कि आप कुम्हारों से मिट्टी के दीये खरीदें, जिससे हमारे साथ-साथ उनकी दिवाली भी रोशन हो जाए.