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नवरात्रि : इस मंदिर में मातारानी के दर्शन के लिए आते हैं भालू

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Published : Sep 30, 2019, 11:58 PM IST

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बागबाहरा तहसील मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर घुचापाली जंगल के बीचो-बीच चंडी देवी का भव्य मंदिर है, जहां पर रोज भालू का परिवार माता रानी के दरबार में प्रसाद खाने आता है.

आदिशक्ति मां चंडी देवी

महासमुंद: छत्तीसगढ़ में कई देवी मंदिर हैं और हर मंदिर की अपनी अलग पहचान है. मान्यताएं हैं, किविदंतियां और पौराणिक कथाएं हैं, लेकिन हम बताने वाले हैं वहां के बारे में जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. एक ऐसा मंदिर जहां मातारानी से अर्जी लगाने भालुओं का पूरा परिवार पहुंचता है.

घुचापाली जंगल के बीचो-बीच चंडी देवी का भव्य मंदिर

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में जंगली भालू की मातारानी के प्रति आस्था देखते ही बनती है. जिले के बागबाहरा तहसील मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर घुचापाली जंगल के बीचो-बीच चंडी देवी का भव्य मंदिर है.

घुचापाली चंडी देवी मंदिर
घुचापाली चंडी देवी मंदिर

8 साल से भालुओं का परिवार आता है मंदिर में
इस देवी मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ भालुओं का भी पूरा परिवार दर्शन के लिए पहुंचता है. चंडी देवी मंदिर में हर दिन सैकड़ों भक्त अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. माता के दरबार में पहुंचने वाले भालुओं को जब मंदिर में श्रद्धालु देखते हैं तो सब की सांसें थम जाती हैं.

इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से बनी पत्थर की 23 फीट ऊंची मां चंडी देवी की अद्भुत मूर्ति है. दक्षिण मुखी यह स्वयंभू मूर्ति दुर्लभ और तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है. प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगने वाले इस मंदिर में लगभग 8 साल से भालुओं का एक परिवार रोजाना माता के दरबार में आरती के समय पहुंचता है. कभी इनकी संख्या 5 तो कभी 3 होती है, लेकिन वर्तमान में 4 हैं.

भालूओं को प्रसाद खिलाते श्रद्धालु
भालूओं को प्रसाद खिलाते श्रद्धालु

भालू करते हैं मंदिर परिक्रमा
अधिकतर शाम 5 से 8 बजे के बीच भालू मंदिर पहुंचते हैं. सीढ़ियों से चढ़कर मां चंडी देवी की मूर्ति के पास पहुंचते हैं. वहां मूर्ति की परिक्रमा करते हैं. प्रसाद खाते हैं और वहां रखे नारियल को भी फोड़कर खा जाते हैं. फिर वापस पहाड़ों में लगे जंगल की तरफ गुफाओं में चले जाते हैं.

पढ़ें- बीजापुर: बस्तर में शांति और खुशहाली की कामना लेकर मां के दर पहुंचे भक्त

पहले इन भालूओं को देख श्रद्धालु दूर भाग जाते थे पर अब 7 साल से यही दृश्य देखकर श्रद्धालु अपने हाथ से भालुओं को प्रसाद और नारियल खिलाते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु कहते हैं कि मां चंडी के दरबार में आने से हर मनोकामना पूरी होती है.

महासमुंद: छत्तीसगढ़ में कई देवी मंदिर हैं और हर मंदिर की अपनी अलग पहचान है. मान्यताएं हैं, किविदंतियां और पौराणिक कथाएं हैं, लेकिन हम बताने वाले हैं वहां के बारे में जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. एक ऐसा मंदिर जहां मातारानी से अर्जी लगाने भालुओं का पूरा परिवार पहुंचता है.

घुचापाली जंगल के बीचो-बीच चंडी देवी का भव्य मंदिर

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में जंगली भालू की मातारानी के प्रति आस्था देखते ही बनती है. जिले के बागबाहरा तहसील मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर घुचापाली जंगल के बीचो-बीच चंडी देवी का भव्य मंदिर है.

घुचापाली चंडी देवी मंदिर
घुचापाली चंडी देवी मंदिर

8 साल से भालुओं का परिवार आता है मंदिर में
इस देवी मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ भालुओं का भी पूरा परिवार दर्शन के लिए पहुंचता है. चंडी देवी मंदिर में हर दिन सैकड़ों भक्त अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. माता के दरबार में पहुंचने वाले भालुओं को जब मंदिर में श्रद्धालु देखते हैं तो सब की सांसें थम जाती हैं.

इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से बनी पत्थर की 23 फीट ऊंची मां चंडी देवी की अद्भुत मूर्ति है. दक्षिण मुखी यह स्वयंभू मूर्ति दुर्लभ और तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है. प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगने वाले इस मंदिर में लगभग 8 साल से भालुओं का एक परिवार रोजाना माता के दरबार में आरती के समय पहुंचता है. कभी इनकी संख्या 5 तो कभी 3 होती है, लेकिन वर्तमान में 4 हैं.

भालूओं को प्रसाद खिलाते श्रद्धालु
भालूओं को प्रसाद खिलाते श्रद्धालु

भालू करते हैं मंदिर परिक्रमा
अधिकतर शाम 5 से 8 बजे के बीच भालू मंदिर पहुंचते हैं. सीढ़ियों से चढ़कर मां चंडी देवी की मूर्ति के पास पहुंचते हैं. वहां मूर्ति की परिक्रमा करते हैं. प्रसाद खाते हैं और वहां रखे नारियल को भी फोड़कर खा जाते हैं. फिर वापस पहाड़ों में लगे जंगल की तरफ गुफाओं में चले जाते हैं.

पढ़ें- बीजापुर: बस्तर में शांति और खुशहाली की कामना लेकर मां के दर पहुंचे भक्त

पहले इन भालूओं को देख श्रद्धालु दूर भाग जाते थे पर अब 7 साल से यही दृश्य देखकर श्रद्धालु अपने हाथ से भालुओं को प्रसाद और नारियल खिलाते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु कहते हैं कि मां चंडी के दरबार में आने से हर मनोकामना पूरी होती है.

Intro:एंकर- छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में जंगली भालू की ईश्वर के प्रति भक्ति देखते ही बनती है ......जिले के बागबाहरा तहसील मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर जंगल के बीचो-बीच चंडी देवी का भव्य मंदिर स्थित है..... इस देवी मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ बालों का भी पूरा परिवार दर्शन के लिए पहुंचता है..... चंडी देवी मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों भक्त अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं .....माता के दरबार में पहुंचने वाले भालू परिवार के चारों भक्तों को जब देखते हैं तो सब की सांसे थम जाती हैं ...भक्त भालु पर देखिए खास रिपोर्ट....

वीओ 1 - राज्य के कई देवी मंदिर ग्रामीण क्षेत्रों से दूर घने जंगलों और पहाड़ियों में स्थित है..... इन मंदिरों में प्रतिदिन भक्तों की भीड़ बढ़ती है ..महासमुंद जिले के बागबाहरा स्थित घुचा पाली के चंडी देवी मंदिर में भी इन्हीं मंदिरों में से एक है ...जहां सांझ ढलते ही पिछले कई सालों से विशेष भक्तों का आना जाना लगा हुआ है... नवरात्रि के दिनों में यह प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों के अलावा अन्य प्रदेशों के भी श्रद्धालु देवी दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं... बागबाहरा तहसील मुख्यालय से मात्र 4 किलोमीटर दूर पर घुचा पाली जंगल के बीच माता चंडी पहाड़ी श्रंखला पर भव्यमंदिर में विराजमान है इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से बनी पत्थर की 23 फीट ऊंची मां चंडी देवी की अद्भुत मूर्ति है दक्षिण मुखी यह स्वयंभू मूर्ति दुर्लभ एवं तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है प्रतिदिन सैकड़ों हजारों श्रद्धालुओं का ताता लगने वाले इस मंदिर में लगभग 8से7साल से भालुओ का एक परिवार रोजाना माता के दरबार में आरती के समय पहुंचते हैं... कभी इनकी संख्या 5 तो कभी 3 लेकिन वर्तमान में 4 हैं ... अधिकतर शाम 5:00 से 8:00 के बीच भालू मंदिर पहुंचते हैं सीढ़ियों से चढ़कर मां चंडी देवी की मूर्ति के पास पहुंचते हैं वहां मूर्ति की प्रक्रिया करते हैं प्रसाद खाते हैं और वहां रखे नारियल को भी फोड़ कर खा जाते हैं फिर वापस पहाड़ों में लगे जंगल में गुफाओं में चले जाते हैं इन लोगों को देख श्रद्धालु पहले दूर भाग जाते थे पर अब 7 साल से इन्हीं सवालों से डरने के बजाय श्रद्धालु अपने हाथ से प्रसाद नारियल के साथ को खिलाते पिलाते दिखाई पड़ते हैं यहां आने वाले श्रद्धालु कहते हैं कि मां चंडी के दरबार में आने से हर मनोकामना पूरी होती है।


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