महासमुंद: बागबाहरा ब्लॉक के कोसर्मरा ग्राम पंचायत के आश्रित गांव कछारडीह में एक बच्चे की मौत हो गई. मौत के बाद परिजन शव के पोस्टमार्टम के लिए भटकते रहे. लेकिन अस्पताल के सारे डॉक्टर तो कोरोना वॉरियर्स का सम्मान करने में व्यस्त थे. पोस्टमार्टम कराने के लिए बच्चे के परिजन सुबह से लेकर शाम तक इंतजार करते रहे.
कछारडीह गांव के रहने वाले हेमलाल यादव ने अपने 13 साल के बच्चे तेजराम यादव को पेट दर्द की शिकायत पर एक निजी अस्पताल में भर्ती किया था. काफी देर तक इलाज चलने के बाद भी जब बच्चे की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ, तब उसे बागबहरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रेफर किया गया. बालक की हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया. जहां उसे भर्ती करने की तैयारी चल ही रही थी कि करीब 10 बजे तेजराम की मौत हो गई. इसके बाद बच्चे के परिजन पोस्टमार्टम के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक इंतजार करते रहे. परिजन पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल प्रबंधन से गुहार लगाते रहे. लेकिन कहीं को सुनवाई नहीं हुई. क्योंकि सब कोरोना वॉरियर्स का सम्मान करने में व्यस्त थे.
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परिजन लगा रहे लापरवाही का आरोप
बच्चे की मौत पर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उन्हें पंचनामा रिपोर्ट देर से मिली. तो पुलिस का कहना है कि मर्ग की सूचना देर से मिली है. बच्चे के परिजन अस्पताल के बाहर बैठ कर रोते रहे, पर किसी को दया नहीं आई. बच्चे का शव सीढ़ी के बगल में पड़ा रहा. अब परिजन पुलिस और अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं.
एक दूसरे पर मढ़ रहे आरोप
मामले में अस्पताल प्रबंधन पंचनामा रिपोर्ट देर से मिलने के कारण विलंब की बात कह रहा है. तो पुलिस मर्ग सूचना देर से मिलने की बात कह रही है. इस मामले में अब अस्पताल प्रबंधन और पुलिस, दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. बहरहाल कोरोना से लड़ने वाले निश्चित रूप से सम्मान के हकदार हैं, लेकिन मानवता के मूल्यों पर नहीं.