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कोरिया के जनकपुर में महिलाओं ने की हलषष्ठी की पूजा - हलषष्ठी व्रत

कोरिया के जनकपुर में महिलाओं ने हलषष्ठी व्रत पूजन कर अपनी संतानों के लिए सुख समृद्धि मांगी.

women worshiped Halashti in koriya janakpur
कोरिया के जनकपुर में महिलाओं ने की हलषष्ठी की पूजा
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Published : Aug 17, 2022, 3:16 PM IST

कोरिया : छत्तीसगढ़ में महिलाओं ने हलषष्ठी का पूजन किया. इस पूजा (हलषष्ठी पूजा 2022) में माता अपने पुत्र के लिए व्रत रखती (women worshiped Halsashti in koriya janakpur ) हैं. उनके सुख समृद्धि के लिए विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं. इस पूजा को करने का एक कारण भी है. जिसकी कथा हर हलषष्ठी के दिन सुनी जाती है.

क्या है हलषष्ठी कथा : प्राचीन काल में एक ग्वालिन थी. उसका प्रसवकाल अत्यंत निकट (Halsashti vrat katha) था. एक ओर वह प्रसव से व्याकुल थी तो दूसरी ओर उसका मन गौ-रस (दूध-दही) बेचने में लगा था. उसने सोचा कि यदि प्रसव हो गया तो गौ-रस यूं ही पड़ा रह जाएगा. यह सोचकर उसने दूध-दही के घड़े सिर पर रखे और बेचने के लिए चल दी. लेकिन कुछ दूर पहुंचने पर उसे असहनीय प्रसव पीड़ा हुई. वह एक झरबेरी की ओट में चली गई और वहां एक बच्चे को जन्म (Halsashti Puja 2022 ) दिया.

ग्वालिन ने ग्रामीणों से बोला झूठ : वह बच्चे को वहीं छोड़कर पास के गांवों में दूध-दही बेचने चली गई. संयोग से उस दिन हल षष्ठी थी. गाय-भैंस के मिश्रित दूध को केवल भैंस का दूध बताकर उसने सीधे-साधे गांव वालों में बेच दिया. उधर जिस झरबेरी के नीचे उसने बच्चे को छोड़ा था, उसके समीप ही खेत में एक किसान हल जोत रहा था. अचानक उसके बैल भड़क उठे और हल का फल शरीर में घुसने से वह बालक मर गया. इस घटना से किसान बहुत दुखी हुआ, फिर भी उसने हिम्मत और धैर्य से काम लिया. उसने झरबेरी के कांटों से ही बच्चे के चिरे हुए पेट में टांके लगाए और उसे वहीं छोड़कर चला गया.

पाप का हुआ बोध : कुछ देर बाद ग्वालिन दूध बेचकर वहां आ पहुंची. बच्चे की ऐसी दशा देखकर उसे समझते देर नहीं लगी कि यह सब उसके पाप की सजा है. वह सोचने लगी कि यदि मैंने झूठ बोलकर गाय का दूध न बेचा होता और गांव की स्त्रियों का धर्म भ्रष्ट न किया होता तो मेरे बच्चे की यह दशा न होती. इसलिए मुझे लौटकर सब बातें गांव वालों को बताकर प्रायश्चित करना चाहिए. ऐसा निश्चय कर वह उस गांव में पहुंची, जहां उसने दूध-दही बेचा था. वह गली-गली घूमकर अपनी करतूत और उसके फलस्वरूप मिले दंड का बखान करने लगी.

व्रतियों ने ग्वालिन को किया क्षमा : तब स्त्रियों ने स्वधर्म रक्षार्थ और उस पर रहम खाकर उसे क्षमा कर दिया और आशीर्वाद दिया. बहुत-सी स्त्रियों से आशीर्वाद लेकर जब वह झरबेरी के नीचे पहुंची तो यह देखकर आश्चर्यचकित रह गई कि वहां उसका पुत्र जीवित अवस्था में पड़ा है. तभी उसने स्वार्थ के लिए झूठ बोलने को ब्रह्म हत्या के समान समझा और कभी झूठ न बोलने का प्रण कर लिया.

कोरिया : छत्तीसगढ़ में महिलाओं ने हलषष्ठी का पूजन किया. इस पूजा (हलषष्ठी पूजा 2022) में माता अपने पुत्र के लिए व्रत रखती (women worshiped Halsashti in koriya janakpur ) हैं. उनके सुख समृद्धि के लिए विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं. इस पूजा को करने का एक कारण भी है. जिसकी कथा हर हलषष्ठी के दिन सुनी जाती है.

क्या है हलषष्ठी कथा : प्राचीन काल में एक ग्वालिन थी. उसका प्रसवकाल अत्यंत निकट (Halsashti vrat katha) था. एक ओर वह प्रसव से व्याकुल थी तो दूसरी ओर उसका मन गौ-रस (दूध-दही) बेचने में लगा था. उसने सोचा कि यदि प्रसव हो गया तो गौ-रस यूं ही पड़ा रह जाएगा. यह सोचकर उसने दूध-दही के घड़े सिर पर रखे और बेचने के लिए चल दी. लेकिन कुछ दूर पहुंचने पर उसे असहनीय प्रसव पीड़ा हुई. वह एक झरबेरी की ओट में चली गई और वहां एक बच्चे को जन्म (Halsashti Puja 2022 ) दिया.

ग्वालिन ने ग्रामीणों से बोला झूठ : वह बच्चे को वहीं छोड़कर पास के गांवों में दूध-दही बेचने चली गई. संयोग से उस दिन हल षष्ठी थी. गाय-भैंस के मिश्रित दूध को केवल भैंस का दूध बताकर उसने सीधे-साधे गांव वालों में बेच दिया. उधर जिस झरबेरी के नीचे उसने बच्चे को छोड़ा था, उसके समीप ही खेत में एक किसान हल जोत रहा था. अचानक उसके बैल भड़क उठे और हल का फल शरीर में घुसने से वह बालक मर गया. इस घटना से किसान बहुत दुखी हुआ, फिर भी उसने हिम्मत और धैर्य से काम लिया. उसने झरबेरी के कांटों से ही बच्चे के चिरे हुए पेट में टांके लगाए और उसे वहीं छोड़कर चला गया.

पाप का हुआ बोध : कुछ देर बाद ग्वालिन दूध बेचकर वहां आ पहुंची. बच्चे की ऐसी दशा देखकर उसे समझते देर नहीं लगी कि यह सब उसके पाप की सजा है. वह सोचने लगी कि यदि मैंने झूठ बोलकर गाय का दूध न बेचा होता और गांव की स्त्रियों का धर्म भ्रष्ट न किया होता तो मेरे बच्चे की यह दशा न होती. इसलिए मुझे लौटकर सब बातें गांव वालों को बताकर प्रायश्चित करना चाहिए. ऐसा निश्चय कर वह उस गांव में पहुंची, जहां उसने दूध-दही बेचा था. वह गली-गली घूमकर अपनी करतूत और उसके फलस्वरूप मिले दंड का बखान करने लगी.

व्रतियों ने ग्वालिन को किया क्षमा : तब स्त्रियों ने स्वधर्म रक्षार्थ और उस पर रहम खाकर उसे क्षमा कर दिया और आशीर्वाद दिया. बहुत-सी स्त्रियों से आशीर्वाद लेकर जब वह झरबेरी के नीचे पहुंची तो यह देखकर आश्चर्यचकित रह गई कि वहां उसका पुत्र जीवित अवस्था में पड़ा है. तभी उसने स्वार्थ के लिए झूठ बोलने को ब्रह्म हत्या के समान समझा और कभी झूठ न बोलने का प्रण कर लिया.

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