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कोरिया: प्राकृतिक संसाधनों से महिलाएं बना रही हैं हर्बल साबुन, आपदा में खोजा अवसर - Herbal soap in koriya

कोरिया जिले के ग्राम पंचायत सलका में गणेश स्व-सहायता समूह की महिलाएं हर्बल साबुन बना रही हैं, जिससे उनकी अच्छी कमाई हो रही है.

Women making herbal soap in Koriya
कोरिया में महिलाएं बना रही हर्बल साबुन
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Published : Oct 18, 2020, 6:19 AM IST

कोरिया: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन 'बिहान' के तहत ग्राम पंचायत सलका में गणेश स्व-सहायता समूह की महिलाएं हर्बल साबुन बना रही हैं. ये महिलाएं प्राकृतिक संसाधनों जैसे हल्दी, चन्दन, एलोवेरा, बादाम, गुलाब आदि से हर्बल साबुन तैयार कर रही हैं. इससे ग्रामीण महिलाओं को आजीविका प्राप्ति की नई राह मिली है. साथ ही बाजार में आम लोगों को भी कैमिकल रहित हर्बल साबुन प्राप्त हो रहे हैं. इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि साबुन की खरीदी में लोगों का भी खासा रूझान देखा जा रहा है. यह कार्य कलेक्टर एसएन राठौर और जिला पंचायत सीईओ तूलिका प्रजापति के मार्गदर्शन में किया जा रहा है.

कोरोना महामारी के समय में मजदूरी का कार्य करने वाली ग्रामीण महिलाओं के सामने रोजगार का संकट गहरा गया. महिलाओं की आजीविका की इस समस्या के समाधान के लिए जिले में एनआरएलएम 'बिहान' द्वारा महिलाओं का समूह बनाया गया और फिर सामूहिक आजीविका का कार्य करने के लिए एनआरएलएम 'बिहान' और केवीके-कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से हर्बल साबुन बनाने का प्रशिक्षण दिया गया.

बैंक से लिया लोन

प्रशिक्षण के बाद ग्रामीण महिलाओं ने बैंक से नया काम शुरू करने के लिए लोन पर राशि ली. बैंक से प्राप्त राशि का सदुपयोग करते हुए समूह की महिलाओं ने सबसे पहले हर्बल बेस साबुन बनाने के लिए आवश्यक सामग्री जैसे ऑयल, परफ्यूम, हल्दी,चन्दन, गुलाब का अर्क, एलोवेरा आदि खरीदे.

बनाए जा रहे 16 प्रकार के साबुन

कोरिया जिला मिशन प्रबंधन इकाई के मिशन प्रबंधक ने बताया कि वर्तमान में समूह की महिलाओं द्वारा घर पर ही स्वच्छता मापदण्डों का पालन करते हुए 16 प्रकार के साबुन बनाया जा रहे हैं, जिसमें रोज, डव, पियर्स, लेमन ग्रास, चारकोल, चंदन, बेबी शॉप, हनी-बी ब्यूटी सोप तैयार किए जा रहे हैं. साबुन बनाने की ज्यादातर सामग्री ग्रामीण स्तर पर ही उपलब्ध संसाधनों से की जा रही है, जिससे लोकल उत्पादनकर्ताओं को रोजगार प्राप्त हो सके.

सम्मान से जीने का बढ़ा विश्वास

साबुन की गुणवत्ता और विशेषता को देखते हुए ही ग्राम स्तर के ही अन्य संगठनों की महिलाओं द्वारा अब तक 10 हजार रुपये की राशि का ऑर्डर प्राप्त हो चुका है और निरंतर बाजार में इसकी मांग बढ़ती जा रही है. साबुन निर्माण आजीविका गतिविधि में शामिल महिलाओं की आर्थिक उन्नति तो हुई ही है. साथ ही साथ समाज में सम्मान से जीने का विश्वास भी बढ़ा है.

कोरिया: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन 'बिहान' के तहत ग्राम पंचायत सलका में गणेश स्व-सहायता समूह की महिलाएं हर्बल साबुन बना रही हैं. ये महिलाएं प्राकृतिक संसाधनों जैसे हल्दी, चन्दन, एलोवेरा, बादाम, गुलाब आदि से हर्बल साबुन तैयार कर रही हैं. इससे ग्रामीण महिलाओं को आजीविका प्राप्ति की नई राह मिली है. साथ ही बाजार में आम लोगों को भी कैमिकल रहित हर्बल साबुन प्राप्त हो रहे हैं. इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि साबुन की खरीदी में लोगों का भी खासा रूझान देखा जा रहा है. यह कार्य कलेक्टर एसएन राठौर और जिला पंचायत सीईओ तूलिका प्रजापति के मार्गदर्शन में किया जा रहा है.

कोरोना महामारी के समय में मजदूरी का कार्य करने वाली ग्रामीण महिलाओं के सामने रोजगार का संकट गहरा गया. महिलाओं की आजीविका की इस समस्या के समाधान के लिए जिले में एनआरएलएम 'बिहान' द्वारा महिलाओं का समूह बनाया गया और फिर सामूहिक आजीविका का कार्य करने के लिए एनआरएलएम 'बिहान' और केवीके-कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से हर्बल साबुन बनाने का प्रशिक्षण दिया गया.

बैंक से लिया लोन

प्रशिक्षण के बाद ग्रामीण महिलाओं ने बैंक से नया काम शुरू करने के लिए लोन पर राशि ली. बैंक से प्राप्त राशि का सदुपयोग करते हुए समूह की महिलाओं ने सबसे पहले हर्बल बेस साबुन बनाने के लिए आवश्यक सामग्री जैसे ऑयल, परफ्यूम, हल्दी,चन्दन, गुलाब का अर्क, एलोवेरा आदि खरीदे.

बनाए जा रहे 16 प्रकार के साबुन

कोरिया जिला मिशन प्रबंधन इकाई के मिशन प्रबंधक ने बताया कि वर्तमान में समूह की महिलाओं द्वारा घर पर ही स्वच्छता मापदण्डों का पालन करते हुए 16 प्रकार के साबुन बनाया जा रहे हैं, जिसमें रोज, डव, पियर्स, लेमन ग्रास, चारकोल, चंदन, बेबी शॉप, हनी-बी ब्यूटी सोप तैयार किए जा रहे हैं. साबुन बनाने की ज्यादातर सामग्री ग्रामीण स्तर पर ही उपलब्ध संसाधनों से की जा रही है, जिससे लोकल उत्पादनकर्ताओं को रोजगार प्राप्त हो सके.

सम्मान से जीने का बढ़ा विश्वास

साबुन की गुणवत्ता और विशेषता को देखते हुए ही ग्राम स्तर के ही अन्य संगठनों की महिलाओं द्वारा अब तक 10 हजार रुपये की राशि का ऑर्डर प्राप्त हो चुका है और निरंतर बाजार में इसकी मांग बढ़ती जा रही है. साबुन निर्माण आजीविका गतिविधि में शामिल महिलाओं की आर्थिक उन्नति तो हुई ही है. साथ ही साथ समाज में सम्मान से जीने का विश्वास भी बढ़ा है.

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