कोरिया: खड़गवां की नेवारीबहरा की पंडो बस्ती की सड़क, सरकार के विकास के दावों की पोल खोल रही है. तकरीबन सौ से ज्यादा मकान की इस बस्ती में आज तक सड़क नहीं पहुंच पाई है. यहां रहने वाले लोग आने जाने के लिए पगडंडी का उपयोग करते हैं. गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था भी नहीं है, जिसकी वजह से ग्रामीणों को पैदल चलकर अस्पताल जाना पड़ता है. बीते शुक्रवार को भी गांव में प्रसव के बाद एक महिला की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाई. ऐसे में ग्रामीण महिला को खाट पर लेकर अस्पताल पहुंचे.
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सरकार एक हमेशा जनजातियों के उत्थान के दावे करती है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. तकरीबन सौ से ज्यादा परिवार वाले पंडो बस्ती में आज तक सरकार की सड़क नहीं पहुंच पाई है. शुक्रवार को बस्ती की एक महिला सुनीता पंडो अचानक बेहोश हो गई, जिसके बाद परिजनों ने एंबुलेंस से संपर्क किया, लेकिन उन्हें कोई एंबुलेंस नहीं मिली. इसके बाद चिरमिरी से 108 एंबुलेंस गांव में बुलाई गई. बस्ती तक सड़क नहीं होने की वजह से एंबुलेंस 3 किलोमीटर पहले की रुक गई. ऐसे में ग्रामीण महिला को खाट पर लेकर एंबुलेंस तक पहुंचे.
कंधे पर लेकर पहुंचे एंबुलेंस तक
ग्रामीण रामलाल ने बताया कि 3 जून को सुनीता पंडो की घर में ही डिलीवरी कराई गई थी. इसके 2 दिन बाद शरीर में खून की कमी से महिला की तबीयत बिगड़ने लगी. बस्ती तक एंबुलेंस नहीं पहुंचने की वजह से पहाड़ी रास्ते से महिला को खाट पर लेकर खेत और नाला का रास्ता तय कर एंबुलेंस तक पहुंचाया गया. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क को लेकर वे कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई सुविधा नहीं मिली है.