कोरिया: क्षेत्र में जिस तरह से नियम कायदों को ताक में रखकर यात्री बसों का संचालन किया जा रहा है. उससे साफ है कि क्षेत्र के आलाधिकारियों को इस बात से कोई सरोकार नही है कि क्षेत्र में चलने वाली बसों के परमिट है अथवा नही. बसें सड़कों पर चलने लायक है अथवा नहीं. यही वजह है कि आये दिन बस हादसे होते रहते है. क्योंकि आलाधिकारी आंखों पर पट्टी बांधे बैठे हुए है.
जर्जर बसें भर रही फर्राटा: मनेन्द्रगढ़ शहर से जनकपुर, अंबिकापुर, चिरमिरी, राजनगर, अनूपपुर, रीवा, बनारस, इलाहाबाद, जशपुर, डालटेनगंज, वाड्रफनगर समेत अन्य क्षेत्रों के लिये दर्जनों यात्री बसों का संचालन किया जा रहा है. इनमें से अधिकांश यात्री बसों की हालत काफी जर्जर है. कई बसें तो इस हालत में नही है कि उन्हें लंबी दूरी का परमिट जारी किया जाये. लेकिन उसके बावजूद भी नियम कायदों को ताक पर रखकर ये बसें फर्राटा मारते हुए चल रही हैं.
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ट्रैफिक नियमों की अनदेखी दे रही हादसे को बढ़ावा: कर जिस प्रकार क्षेत्र में मनमाने तरीके से बसों का संचालन किया जा रहा है, उससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. इसके अलावा कभी यह भी देखने का प्रयास नहीं किया जाता कि इन बसों को चलाने वाले चालकों के पास ड्राइविंग लायसेंस है अथवा नहीं. क्योंकि कई बार बस दुर्घटना के बाद बसों के चालक फरार होने में सफल हो जाते हैं.
मनमाना किराया वसूल रहे बस चालक: इन यात्री बसों में किराये को लेकर भी कई बार कंडक्टर और आम यात्रियों में विवाद होते देखा जा सकता है. जिस प्रकार कई यात्रियों से ये परिचालक अभद्र व्यवहार करते हैं, वह भी किसी बड़ी घटना का सबब बन सकता है. लेकिन कार्रवाई न होने का भय बस संचालकों का मनोबल बढ़ाये हुये हैं. ऐसे में आम यात्री जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को मजबूर है.
मामले में अधिकारी क्या कह रहे: इस संबंध में हमने जिला यातायात शाखा के प्रभारी जवाहरलाल गायकवाड से जानकारी ली. तो उन्होंने बताया कि" हमारे द्वारा सड़क पर चलने वाली सभी गाड़ियों की नियमित जांच की जाती है. छत्तीसगढ़ मोटर व्हीकल एक्ट के तहत निर्धारित फाइन और सम्मन शुल्क लिया जाता है. जो वाहन चालक फाइन दे पाने में असमर्थ होते है. तो गाड़ी या मूल दस्तावेज को जप्त कर न्यायालय में भेज दिया जाता है. आपके द्वारा बिना वैध परमिट के गाड़ियों के संचालन के संबंध में जो जानकारी मिली है. निश्चित ही उस पर कार्रवाई की जाएगी".