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कोरिया: सिस्टम की मार झेल रहा दिव्यांग, भीख मांगकर जीवन गुजारने को मजबूर

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Published : Nov 29, 2020, 4:54 AM IST

कोरिया में रूपेश नाम के दिव्यांग व्यक्ति भीख मांगकर खाने को मजबूर हैं. प्रशासन ने कैंप लगाकर दिव्यांगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए शासकीय कार्यालयों में कलेक्टर दर में नियुक्ति की थी. उनकी भी नियुक्ति हुई थी. उन्हें एसडीएम कार्यालय में भृत्य पद पर रखा गया था. अधिकारियों ने उन्हें 3 महीने तक एक पैसा नहीं दिया. ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो गई.

story of Disabled person live life by begging
सिस्टम की मार झेल रहा दिव्यांग

कोरिया: ऐसे तो राज्य और केंद्र सरकार की ओर से दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चल रहीं हैं. लेकिन धरातल में जमीनी स्तर पर इन योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है. इसके कई उदाहरण समय-समय पर सामने आते हैं. ऐसा ही एक उदाहरण कोरिया में सामने आया है यहां एक रूपेश नाम के दिव्यांग व्यक्ति आज भीख मांगकर खाने को मजबूर हैं. किसी वक्त सराकारी कार्यालय में नौकरी कर रहे रूपेश आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. मजबूरी में भीख मांगकर अपना और अपनी पत्नी का पेट भर रहे हैं.

सिस्टम की मार झेल रहा दिव्यांग

पढ़ें: CM भूपेश बघेल, पीएल पुनिया अचानक पहुंचे मंत्री टीएस सिंहदेव के निवास, जानें क्या है वजह ?

रूपेश की हाइट बहुत कम है. साथ ही उनके पैरों में दिक्कत है. वो डेडे के सहारे चलते हैं. रूपेश ने बताया कि प्रशासन ने कैंप लगाकर दिव्यांगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए शासकीय कार्यालयों में कलेक्टर दर में नियुक्ति की थी. उनकी भी नियुक्ति हुई थी. उन्हें एसडीएम कार्यालय में भृत्य पद पर रखा गया था. लेकिन यहां भी उनके साथ धोखा हुआ.

पढ़ें: मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना का कांकेर में लाभ, हुआ 3 लाख 15 हजार मरीजों का उपचार

मजबूरी में भीख का सहारा

अधिकारियों ने उन्हें 3 महीने तक एक पैसा नहीं दिया. ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो गई. मजबूरी में उन्होंने भीख मांगना शुरू कर दिया. उनका कहना है कि कोई काम नहीं मिल रहा है. साथ ही मजदूरी कर पाने के लिए वो सक्षम नहीं हैं. इसलिए ऐसे ही जीवन बिता रहे हैं.

कोरिया: ऐसे तो राज्य और केंद्र सरकार की ओर से दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चल रहीं हैं. लेकिन धरातल में जमीनी स्तर पर इन योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है. इसके कई उदाहरण समय-समय पर सामने आते हैं. ऐसा ही एक उदाहरण कोरिया में सामने आया है यहां एक रूपेश नाम के दिव्यांग व्यक्ति आज भीख मांगकर खाने को मजबूर हैं. किसी वक्त सराकारी कार्यालय में नौकरी कर रहे रूपेश आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. मजबूरी में भीख मांगकर अपना और अपनी पत्नी का पेट भर रहे हैं.

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रूपेश की हाइट बहुत कम है. साथ ही उनके पैरों में दिक्कत है. वो डेडे के सहारे चलते हैं. रूपेश ने बताया कि प्रशासन ने कैंप लगाकर दिव्यांगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए शासकीय कार्यालयों में कलेक्टर दर में नियुक्ति की थी. उनकी भी नियुक्ति हुई थी. उन्हें एसडीएम कार्यालय में भृत्य पद पर रखा गया था. लेकिन यहां भी उनके साथ धोखा हुआ.

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मजबूरी में भीख का सहारा

अधिकारियों ने उन्हें 3 महीने तक एक पैसा नहीं दिया. ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो गई. मजबूरी में उन्होंने भीख मांगना शुरू कर दिया. उनका कहना है कि कोई काम नहीं मिल रहा है. साथ ही मजदूरी कर पाने के लिए वो सक्षम नहीं हैं. इसलिए ऐसे ही जीवन बिता रहे हैं.

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