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Shivling jalabhishek: मनेंद्रगढ़ के दुर्गम पहाड़ियों में ऐसा शिवलिंग, जहां प्रकृति करती है जलाभिषेक

मनेंद्रगढ़ जनकपुर मार्ग पर ग्राम पंचायत बिहारपुर के आगे टिपका पानी नाम का स्थान है, जहां दुर्गम पहाड़ियों के बीच भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है. यहां स्थापित शिवलिंग के ऊपर बारहों महीने पहाड़ी से जल की बूंदे टपकती रहती हैं. इन्हीं जल की बूंदों से अनवरत भगवान शिव का जलाभिषेक होता रहता है. the drops keep falling

Shivling jalabhishek
मनेंद्रगढ़ के दुर्गम पहाड़ियों में शिवलिंग.
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Published : Jan 18, 2023, 12:58 AM IST

मनेंद्रगढ़ के दुर्गम पहाड़ियों पर शिवलिंग

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: मनेंद्रगढ़ जनकपुर मार्ग पर ग्राम पंचायत बिहारपुर के टिपका पानी गांव की. यहां दुर्गम पहाड़ी के बीच ऐसा शिवलिंग स्थापित है, जिसका जलाभिषेक स्वयं प्रकृति करती है. 12 महीने पहाड़ी से जल की बूंदे टपकती रहती हैं और इन्हीं जल की बूंदों से अनवरत भगवान शिव का जलाभिषेक होता रहता है. पहाड़ी से टपकने वाली पानी की बूंदें मंदिर से निकल कर एक पतले नाले के रूप में आगे बढ़ते एक बड़े तालाब में तब्दील हो जाती हैं. जिस जगह पर यह तालाब है उस स्थान पर जल का कोई दूसरा स्रोत भी नहीं है.

बूंद बूंद पानी से भर गया पूरा तलाब: अभी तक आप लोगों ने यही कहावत सुनी होगी की बूंद बूंद से घड़ा भरता है लेकिन मनेंद्रगढ़ जिले के टपका पानी का यह तालाब बूंद बूंद टपकने वाले पानी से ही भरा है. इस तालाब में कभी पानी की कमी नहीं होती है। ग्रामीण बताते हैं कि "पहाड़ से टपकने वाले जल की बूंदों से इस तालाब में 12 महीने पानी का भराव बना रहता है." ग्रामीण कहते हैं कि "अगर यहां पर आने जाने की बेहतर व्यवस्था कर दी जाए और प्रकाश की व्यवस्था हो तो यह स्थान एक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है."

प्रशासन को उपलब्ध करानी चाहिए सुविधा: नियमित दर्शन पूजन करने वाले सुभाष अग्रवाल का कहना है कि टिपका पानी एमसीबी जिले के अंतर्गत आता है. बूंद बूंद पानी से यहां बहुत बड़ा तालाब बन गया है. यहां पर श्रद्धालु भी आते रहते हैं इसलिए प्रशासन को सुविधा उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि ग्रामीणों को उसका लाभ मिले और उनका विकास हो सके.

कोंडागांव: राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम गोब्राहीन में शिवलिंग की पूजा अर्चना की

पहाड़ के अंदर टपकता है पानी इसलिए नाम पड़ा टिपका पानी: स्थानीय निवासी केसरी ने बताया कि "पहाड़ के अंदर पानी टपकता है इसलिए इसका नाम टिपका पानी पड़ गया. पानी पूरे साल भर टपकता रहता है. इसी पानी से यह तालाब पूरी तरह से भरा हुआ है. किसी भी मौसम में तालाब पूरा भरा मिलता है. हर साल यहां 14 जनवरी को मेला लगता है और हम लोग यहां दर्शन पूजन के लिए डेढ़ दशक से आ रहे हैं. यहां खिचड़ी बनाते हैं जो कि भक्तों को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है."

मनेंद्रगढ़ के दुर्गम पहाड़ियों पर शिवलिंग

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: मनेंद्रगढ़ जनकपुर मार्ग पर ग्राम पंचायत बिहारपुर के टिपका पानी गांव की. यहां दुर्गम पहाड़ी के बीच ऐसा शिवलिंग स्थापित है, जिसका जलाभिषेक स्वयं प्रकृति करती है. 12 महीने पहाड़ी से जल की बूंदे टपकती रहती हैं और इन्हीं जल की बूंदों से अनवरत भगवान शिव का जलाभिषेक होता रहता है. पहाड़ी से टपकने वाली पानी की बूंदें मंदिर से निकल कर एक पतले नाले के रूप में आगे बढ़ते एक बड़े तालाब में तब्दील हो जाती हैं. जिस जगह पर यह तालाब है उस स्थान पर जल का कोई दूसरा स्रोत भी नहीं है.

बूंद बूंद पानी से भर गया पूरा तलाब: अभी तक आप लोगों ने यही कहावत सुनी होगी की बूंद बूंद से घड़ा भरता है लेकिन मनेंद्रगढ़ जिले के टपका पानी का यह तालाब बूंद बूंद टपकने वाले पानी से ही भरा है. इस तालाब में कभी पानी की कमी नहीं होती है। ग्रामीण बताते हैं कि "पहाड़ से टपकने वाले जल की बूंदों से इस तालाब में 12 महीने पानी का भराव बना रहता है." ग्रामीण कहते हैं कि "अगर यहां पर आने जाने की बेहतर व्यवस्था कर दी जाए और प्रकाश की व्यवस्था हो तो यह स्थान एक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है."

प्रशासन को उपलब्ध करानी चाहिए सुविधा: नियमित दर्शन पूजन करने वाले सुभाष अग्रवाल का कहना है कि टिपका पानी एमसीबी जिले के अंतर्गत आता है. बूंद बूंद पानी से यहां बहुत बड़ा तालाब बन गया है. यहां पर श्रद्धालु भी आते रहते हैं इसलिए प्रशासन को सुविधा उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि ग्रामीणों को उसका लाभ मिले और उनका विकास हो सके.

कोंडागांव: राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम गोब्राहीन में शिवलिंग की पूजा अर्चना की

पहाड़ के अंदर टपकता है पानी इसलिए नाम पड़ा टिपका पानी: स्थानीय निवासी केसरी ने बताया कि "पहाड़ के अंदर पानी टपकता है इसलिए इसका नाम टिपका पानी पड़ गया. पानी पूरे साल भर टपकता रहता है. इसी पानी से यह तालाब पूरी तरह से भरा हुआ है. किसी भी मौसम में तालाब पूरा भरा मिलता है. हर साल यहां 14 जनवरी को मेला लगता है और हम लोग यहां दर्शन पूजन के लिए डेढ़ दशक से आ रहे हैं. यहां खिचड़ी बनाते हैं जो कि भक्तों को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है."

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