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RTO चेकिंग के डर से 2 घंटे लेट पहुंची बस, रोड पर इंतजार करते रहे बच्चे - manendragarh

मनेन्द्रगढ़ में RTO चेकिंग के डर से स्कूल की बस बच्चों को घर पहुंचाने सही वक्त पर नहीं पहुंची. बच्चे 2 घंटे तक सड़क पर खड़े इंतजार करते रहे. बिना वैध कागजात के ट्रांसपोर्ट कंपनियां स्कूलों में अपनी बसें किराए पर लगा रखी हैं.

स्कूल बस.
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Published : Nov 9, 2019, 7:15 AM IST

कोरिया: जिले के मनेन्द्रगढ़ के पास मौजूद SECL हसदेव क्षेत्र की खदानों में काम करने वाले मजदूरों के बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने के लिए प्रबंधन की तरफ से कई निजी कंपनियों की बसों को किराए पर लेकर संचालित किया जा रहा है. लेकिन लगता है कि SECL प्रबंधन की ओर से इन बस संचालकों से बस से जुड़े दस्तावेज नहीं लिए जाते. इसकी वजह से सैकड़ों छात्रों को परेशानी उठानी पड़ती है.

सड़क पर 2 घंटे बच्चों ने किया बस का इंतजार.

गुरुवार की शाम तकरीबन साढ़े 6 बजे 2 सौ से अधिक बच्चे शहर के आस्था रेस्टोरेंट के आसपास खड़े हुए थे. जब बच्चों से पूछा गया कि आप लोग घर क्यों नहीं गए तो उन्होंने बताया कि अभी तक बस नहीं आई है.

2 घंटे के इंतजार के बाद जब बस वहां पहुंची और ETV भारत के संवाददाता ने बस चालक पप्पू से बातचीत की तो, उसने बताया कि बस के मालिक ने कहा था कि RTO वाले आए हैं. चेकिंग की जा रही है. बस लेकर मत आना. इस कारण वह बच्चों को स्कूल से घर छोड़ने सही वक्त पर नहीं आ सका. अब जब RTO ने अपनी चेकिंग हटा ली है तब बच्चों को लेने आया है.

कालरी प्रबंधन पर सवाल
कालरी प्रबंधन की ओर से कालरी क्षेत्रों में रहने वाले मजदूरों के बच्चों को लाने और ले जाने के लिए जब बसों को किराए पर लेता है, तो क्या उन बसों के दस्तावेजों की जांच नहीं करता. जैसा की ड्राइवर ने बताया कि बस मालिक ने उसे चेकिंग के दौरान बस नहीं ले जाने को कहा है तो इसे आखिर किसकी गलती मानी जाए.

ETV भारत के संवाददाता ने जब इस बात की जानकारी SDM मनेन्द्रगढ़ को दी तो, उन्होंने मामले में जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया है. लेकिन, सवाल ये उठता है की किस प्रकार ट्रांसपोर्ट कंपनी संचालक बिना वैध दस्तावेजों के बसों का संचालन कर रहे हैं.

कोरिया: जिले के मनेन्द्रगढ़ के पास मौजूद SECL हसदेव क्षेत्र की खदानों में काम करने वाले मजदूरों के बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने के लिए प्रबंधन की तरफ से कई निजी कंपनियों की बसों को किराए पर लेकर संचालित किया जा रहा है. लेकिन लगता है कि SECL प्रबंधन की ओर से इन बस संचालकों से बस से जुड़े दस्तावेज नहीं लिए जाते. इसकी वजह से सैकड़ों छात्रों को परेशानी उठानी पड़ती है.

सड़क पर 2 घंटे बच्चों ने किया बस का इंतजार.

गुरुवार की शाम तकरीबन साढ़े 6 बजे 2 सौ से अधिक बच्चे शहर के आस्था रेस्टोरेंट के आसपास खड़े हुए थे. जब बच्चों से पूछा गया कि आप लोग घर क्यों नहीं गए तो उन्होंने बताया कि अभी तक बस नहीं आई है.

2 घंटे के इंतजार के बाद जब बस वहां पहुंची और ETV भारत के संवाददाता ने बस चालक पप्पू से बातचीत की तो, उसने बताया कि बस के मालिक ने कहा था कि RTO वाले आए हैं. चेकिंग की जा रही है. बस लेकर मत आना. इस कारण वह बच्चों को स्कूल से घर छोड़ने सही वक्त पर नहीं आ सका. अब जब RTO ने अपनी चेकिंग हटा ली है तब बच्चों को लेने आया है.

कालरी प्रबंधन पर सवाल
कालरी प्रबंधन की ओर से कालरी क्षेत्रों में रहने वाले मजदूरों के बच्चों को लाने और ले जाने के लिए जब बसों को किराए पर लेता है, तो क्या उन बसों के दस्तावेजों की जांच नहीं करता. जैसा की ड्राइवर ने बताया कि बस मालिक ने उसे चेकिंग के दौरान बस नहीं ले जाने को कहा है तो इसे आखिर किसकी गलती मानी जाए.

ETV भारत के संवाददाता ने जब इस बात की जानकारी SDM मनेन्द्रगढ़ को दी तो, उन्होंने मामले में जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया है. लेकिन, सवाल ये उठता है की किस प्रकार ट्रांसपोर्ट कंपनी संचालक बिना वैध दस्तावेजों के बसों का संचालन कर रहे हैं.

Intro:मनेन्द्रगढ़। शहर के आसपास स्थित एसईसीएल हसदेव क्षेत्र की खदानों में काम करने वाले मजदूरों के बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने के लिए प्रबंधन द्वारा कई निजी कंपनियों की बसों का को किराए पर लेकर संचालित किया जा रहा है लेकिन लगता है कि एसईसीएल प्रबंधन इन बस संचालकों से बस से जुड़े दस्तावेज नहीं लिए जाते जिसके चलते सैकड़ों छात्रों को परेशानी उठानी पड़ती है।
Body: गुरुवार की शाम लगभग 6:30 बजे 200 से अधिक छात्र-छात्राएं शहर के आस्था रेस्टोरेंट के आसपास खडे हुए थे। जब बच्चों से पूछा गया कि आप लोग घर क्यों नहीं गए तो उन्होंने बताया कि अभी तक बस नहीं आई है। जब बस आएगी तब जाएंगे ।
2 घंटे की प्रतीक्षा के बाद जब पक्षीराज बस कंपनी की बस वहां पहुंची और हमारे संवाददाता ने पक्षीराज बस के चालक पप्पू से बातचीत की तो उसने बताया कि बस मालिक ने उसे कहां है कि आरटीओ वाले आए हैं जांच करने के लिए बस मत लेकर आना। जिसके चलते वह बस लेकर नहीं आया है ।अब आरटीओ वाले चले गए हैं तो मैं बस लेकर आया हूं ।इधर बच्चों के परिजन बच्चों के समय पर घर न आने को लेकर काफी चिंतित थे।
इधर 2 घंटे की प्रतीक्षा के बाद दोनों बसों में क्षमता से अधिक बच्चों को भरकर बस चालक उनके गन्तव्य पर छोड़ने के लिए रवाना हो गया। लेकिन बड़ा सवाल ये उठता है कि कालरी प्रबंधन द्वारा कालरी क्षेत्रों में रहने वाले मजदूरों के बच्चों को लाने और ले जाने के लिए जब बसों को किराए पर लेता है तो क्या उन बसों के दस्तावेजों की जांच नहीं करता ।क्योंकि जिस प्रकार ड्राइवर ने बताया कि बस मालिक ने उसे बस नहीं ले जाने को कहा है तो इसे आखिर किसकी गलती मानी जाए। पक्षीराज बस कंपनी की बस के न आने के चलते सैकड़ों छात्र -छात्राएं सड़क पर खड़े परेशान होते रहे। हमारे संवाददाता ने इस बात की जानकारी एस डी एम मनेन्द्रगढ़ को भी दी और उन्होंने भी मामले की जांच कर कार्रवाई करने की बात कही ।लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर किस प्रकार बिना वैध दस्तावेजों के इन बसों का संचालन किया जा रहा है, क्योंकि अगर बस में दस्तावेज थे तो बस को आरटीओ जांच के समय सड़क से क्यों दूर रखा गया। वहीं जो बस चालक बसों का संचालन करते हैं उसे नियम के अनुसार वर्दी में होना चाहिए ,लेकिन इन बसों के चालकों को कभी भी वर्दी में नहीं देखा गया। बस में जो सुरक्षा के संसाधन होने चाहिए उसका भी अभाव रहता है। ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि जब कभी कोई बड़ी घटना हो जाएगी तो आखिर इसकी जवाबदेही किसकी होगी।
इस मामले में हमने बस के मालिक से भी चर्चा की तो उन्होंने मोबाइल पर कहा कि उन्होंने अपने ड्राइवर को इस तरह की कोई बात नहीं कही। ऐसे में उनकी बस ड्राइवर से कोई बात नहीं हुई थी तो ऐसे में झूठ कौन बोल रहा है यह कैसे साबित हो पाएगा। उल्लेखनीय है कि मनेन्द्रगढ़ समेत आसपास के कालरी क्षेत्रों में रहने वाले कालरी कर्मचारियों के बच्चों को लाने ले जाने के लिए एसईसीएल प्रबंधन द्वारा बसे किराए पर ली जाती हैं। लेकिन इन बसों को कौन चला रहा है इनकी कभी जांच होती है अथवा नहीं यह बड़ा विषय है ।देखना है कि इस गंभीर मसले पर शहर के जिम्मेदार अधिकारी क्या रवैया अपनाते हैं और किस तरह की कार्रवाई करते हैं।
Conclusion:एसईसीएल की खदानों में अपनी जान की परवाह ना करते हुए मजदूर कोयले का उत्खनन कर देश के विकास में अपना योगदान देते हैं लेकिन उन्हीं के बच्चों को लाने ले जाने के लिए अगर इस तरह के लापरवाह बस मालिकों को अनुबंधित किया जाएगा और कोई बड़ा हादसा होगा इसकी जवाबदेही आखिर किसकी होगी ।बहरहाल यह जांच का विषय है कि जब आरटीओ की जांच हो रही थी तो बस संचालन क्यों रोका गया अब देखना है कि इस मामले में जिम्मेदार किस तरह की कार्रवाई करते हैं।
बाइट - शकु (ड्राइवर)
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