कोरिया: साल 2012 में जल संसाधन विभाग ने करोड़ों रुपये की लागत से स्टॉप डैम का निर्माण जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र जनकपुर के ग्राम मझलीमाटी, सैलापरपट, बिछली झरिया, महदौली, सिंघोर बहरासी में कराया था. लेकिन 6 साल के अंदर ही स्टॉपडेम की पोल खुल गई. ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि इसकी वजह निर्माण कार्य में गुणवत्ता विहीन सामग्रियों का उपयोग किया जाना है. साथ ही जंगली गिट्टी आदि के प्रयोग से जैसे-तैसे काम कर दिया गया है.
किसानों को इन स्टॉप डैम का कोई फायदा नहीं मिल रहा है. सिंघोर के ग्रामीणों की स्थिति बद से बदतर हो गई है. आगे आने वाले भीषण गर्मी में इनका जीविकोपार्जन भगवान भरोसे ही है. वर्तमान समय में डेम का जीर्णोद्धार का काम चल रहा है. ग्रामीणों ने इसमें भी स्तरहीन सामग्रियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.
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स्टॉप डैम में नहीं है पानी
कोरिया के विकासखंड भरतपुर में इलाके के कई हिस्सों में 5 साल में करोड़ों रुपये खर्च स्टॉप डैम तैयार किया गया. लेकिन इन स्टॉप डैम में न तो पानी है और न ही वे सही स्थिति में हैं. ज्यादातर स्टॉप डैम क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. कुछ समय में ही इन स्टॉप डैम का क्षतिग्रस्त होना इंजीनियरों के कार्यों में गुणवत्ता की पोल खोल रहे है. ग्रमीणों के मुताबिक दोबारा इन्हीं बांधो के जीर्णोधार के नाम पर भरी भरकम राशि स्वीकृत कर रुपयों का बंदरबाट किया जा रहा है.
2012 में शुरू हुआ था निर्माण
भरतपुर के सिंघोर नदी में स्टॉप डैम का निर्माण करवाया गया था. जिसका निर्माण साल 2012 से 2016 के बीच किया गया है. इस निर्माण कार्य में जलसंसाधन ने करोड़ों रुपये खर्च कर स्टॉप डैम का निर्माण कराया गया. विडंबना ये भी है कि इस स्टॉप डैम से करोड़ो रुपए खर्च होने के बाद एक बूंद पानी किसानों को नहीं मिला. निर्माण के बाद मरम्मत के नाम पर भी जल संसाधन विभाग कई बार राशि खर्च कर चुका है. ग्रामीणों को लाभान्वित बता भी दिया गया. लेकिन ये सब कागजों में खर्च की गई राशि है.