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कोरिया: अशासकीय शिक्षण संस्था संचालक कल्याण संघ की बैठक, विभिन्न मुद्दों पर चर्चा

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Published : Jul 14, 2020, 8:28 PM IST

कोरिया में अशासकीय शिक्षण संस्था के संचालक कल्याण संघ की बैठक हुई. इस दौरान निजी स्कूल संचालकों ने आने वाले दिनों की रणनीति को लेकर चर्चा की है. सभी प्राचार्यों ने मिलकर कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा है.

Non-governmental education organization Operator Welfare Association meeting
अशासकीय शिक्षण संस्था संचालक कल्याण संघ की बैठक

कोरिया: कोरोना वायरस संक्रमण के रोकथाम के लिए प्रदेश में मार्च के अंतिम हफ्ते में लॉकडाउन लगाया गया था. इस दौरान कई सेक्टर प्रभावित हुए. कुछ ऐसे भी सेक्टर हैं जो अनलॉक के दौरान भी बंद पड़े हैं. स्कूल और कॉलेज भी लॉकडाउन के बाद से अब तक नहीं खुल सके हैं. अब इनके खोले जाने की मांग तेज होती दिख रही है. इसे लेकर अशासकीय शिक्षण संस्था संचालक कल्याण संघ की बैठक हुई. इस दौरान निजी स्कूल संचालकों ने आने वाले दिनों की रणनीति को लेकर चर्चा की है. जिले के सभी अशासकीय विद्यालय के प्राचार्य मौजूद थे. इस दौरान सभी प्राचार्यों ने मिलकर कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा है.

अशासकीय शिक्षण संस्था संचालक कल्याण संघ की बैठक

बता दें कि, अशासकीय शिक्षण संस्था संचालक कल्याण संघ ने सरकार के ऑनलाइन पढ़ाई कराए जाने के फैसले पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि, मोबाइल के जरिए पढ़ाई करने से बच्चों के आंखों पर प्रभाव पड़ रहा है. इसके साथ ही बच्चों पर मानसिक प्रभाव भी पड़ रहा है. उन्होंने तर्क दिए हैं कि अगर प्रदेश में शराब की बिक्री की जा सकती है, शराब दुकानें संचालित की जा सकती है तो स्कूल कॉलेज भी संचालित किए जाने पर कैसी परेशानी है. बता दें कि, कोरोना काल के दौरान लगभग तीन चार माह से सभी स्कूल कॉलेज बंद हैं. इस दौरान सभी बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है

पढ़ें:कोरोना काल में शिक्षाकर्मियों को तोहफा, 16 हजार 278 शिक्षकों का होगा संविलियन

शासन-प्रशासान से मांगा जवाब

संचालक कल्याण संघ ने बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की है. शकुंतला शिशु मंदिर बैकुंठपुर की प्रचार्या शकुंतला मिश्रा ने कहा कि ऑनलाइन क्लास से बच्चे काफी प्रभावित हो रहे हैं. उनकी आंखों मे काफी प्रभाव पड़ रहा जो सोचनीय विषय है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान स्कूलों को किसी भी प्रकार की आय प्राप्त नहीं हुई है. ऐसे में स्कूलों को चलाना कठिन है.

'कर्मचारियों को पूरा वेतन दें स्कूल'

इस दौरान इस पर भी ध्यान खींचा गया कि सरकार के निर्देश पर स्कूलों ने बच्चों से फीस नहीं ली थी. इसके बाद प्रशासन के निर्देश हैं कि निजी स्कूल अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन दें. ऐसे में स्कूलों का आर्थिक स्थिति और खराब हो रही है. उन्होंने प्रशासन से पूछा है कि आखिर स्कूलों का संचालन कैसे किया जाए.

कोरिया: कोरोना वायरस संक्रमण के रोकथाम के लिए प्रदेश में मार्च के अंतिम हफ्ते में लॉकडाउन लगाया गया था. इस दौरान कई सेक्टर प्रभावित हुए. कुछ ऐसे भी सेक्टर हैं जो अनलॉक के दौरान भी बंद पड़े हैं. स्कूल और कॉलेज भी लॉकडाउन के बाद से अब तक नहीं खुल सके हैं. अब इनके खोले जाने की मांग तेज होती दिख रही है. इसे लेकर अशासकीय शिक्षण संस्था संचालक कल्याण संघ की बैठक हुई. इस दौरान निजी स्कूल संचालकों ने आने वाले दिनों की रणनीति को लेकर चर्चा की है. जिले के सभी अशासकीय विद्यालय के प्राचार्य मौजूद थे. इस दौरान सभी प्राचार्यों ने मिलकर कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा है.

अशासकीय शिक्षण संस्था संचालक कल्याण संघ की बैठक

बता दें कि, अशासकीय शिक्षण संस्था संचालक कल्याण संघ ने सरकार के ऑनलाइन पढ़ाई कराए जाने के फैसले पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि, मोबाइल के जरिए पढ़ाई करने से बच्चों के आंखों पर प्रभाव पड़ रहा है. इसके साथ ही बच्चों पर मानसिक प्रभाव भी पड़ रहा है. उन्होंने तर्क दिए हैं कि अगर प्रदेश में शराब की बिक्री की जा सकती है, शराब दुकानें संचालित की जा सकती है तो स्कूल कॉलेज भी संचालित किए जाने पर कैसी परेशानी है. बता दें कि, कोरोना काल के दौरान लगभग तीन चार माह से सभी स्कूल कॉलेज बंद हैं. इस दौरान सभी बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है

पढ़ें:कोरोना काल में शिक्षाकर्मियों को तोहफा, 16 हजार 278 शिक्षकों का होगा संविलियन

शासन-प्रशासान से मांगा जवाब

संचालक कल्याण संघ ने बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की है. शकुंतला शिशु मंदिर बैकुंठपुर की प्रचार्या शकुंतला मिश्रा ने कहा कि ऑनलाइन क्लास से बच्चे काफी प्रभावित हो रहे हैं. उनकी आंखों मे काफी प्रभाव पड़ रहा जो सोचनीय विषय है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान स्कूलों को किसी भी प्रकार की आय प्राप्त नहीं हुई है. ऐसे में स्कूलों को चलाना कठिन है.

'कर्मचारियों को पूरा वेतन दें स्कूल'

इस दौरान इस पर भी ध्यान खींचा गया कि सरकार के निर्देश पर स्कूलों ने बच्चों से फीस नहीं ली थी. इसके बाद प्रशासन के निर्देश हैं कि निजी स्कूल अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन दें. ऐसे में स्कूलों का आर्थिक स्थिति और खराब हो रही है. उन्होंने प्रशासन से पूछा है कि आखिर स्कूलों का संचालन कैसे किया जाए.

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