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स्वच्छता दीदियों ने जगाई ऐसी अलख कि अब गांव में कोई नहीं फेंकता खुले में कचरा

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Published : Jul 1, 2021, 4:39 PM IST

Updated : Jul 1, 2021, 5:31 PM IST

कोरिया के भरतपुर (Bharatpur Koriya) के गांव की महिलाओं ने स्वच्छता ऐसी अलख जगाई है कि अब गांव में कोई भी खुले में कचरा नहीं फेंकता है. महिलाओं ने अपने गांव को सुंदर और स्वच्छ बनाने की मुहिम शुरू की है. स्वच्छता दीदियां (swachhata didi) गांव की गलियों में हर हफ्ते घर-घर जाकर सूखा कचरा और गीला कचरा (dry waste and wet waste) इकट्ठा करती हैं.

no one throws garbage in open Because of swachhata didi of Bharatpur Koriya
भरतपुर की स्वच्छता दीदी

कोरिया : स्वच्छ भारत अभियान (Clean India Movement) में छत्तीसगढ़ की स्वच्छता दीदियां (swachhata Didi of Chhattisgarh) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. भरतपुर गांव (Bharatpur Koriya) की महिलाओं ने अपने गांव को सुंदर और स्वच्छ बनाने का बीड़ा उठाया है. ये महिलाएं गांव की गलियों में हर हफ्ते घर-घर जाकर सूखा कचरा और गीला कचरा (dry waste and wet waste) इकट्ठा करती हैं. गांव में सेग्रीगेशन शेड (segregation shed) भी बन गया है. महिलाओं की मेहनत को देखते हुए गांव के लोग भी खुले में कचरा नहीं फेंकते हैं. समूह की दीदियां गांव में स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक कर रही हैं.

भरतपुर की स्वच्छता दीदी

महिलाओं के काम करने के लिए शेड का निर्माण किया गया है. स्वच्छता ग्राही समूह की दीदियां 'प्लास्टिक हटाओं बीमारी भगाओ' का संदेश भी दे रही हैं. स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ग्राम पंचायत जनकपुर के ब्लॉक कोऑर्डिनेटर सुभाष सिंह परस्ते के निर्देश पर कचरा प्रबंधन और कलेक्शन का कार्य शुरू कर दिया है. महिला समूह घर-घर जाकर लोगों को सूखा कचरा और गीला कचरा अलग-अलग रखने के लिए प्रेरित कर रही हैं.

रायपुर में मास्क नहीं लगाने वालों पर स्वच्छता दीदी कर रहीं कार्रवाई

महिलाओं को हो रही अतिरिक्त आमदनी

गांव में एक दिन के अंतराल में कचरा उठाने वाला रिक्शा आता है जो ठोस और तरल दोनों कचरों को अलग-अलग रखता है. स्वच्छता दीदियों ने बताया कि पहले गांव वाले यहां वहां कचरा फेंक देते थे, लेकिन अब वे जागरूक होने लगे हैं. घर का कचरा डस्टबिन में एकत्रित रखते हैं. स्वच्छता ग्राही समूह की महिलाएं रिक्शा लेकर घरों से कचरा इकट्ठा कर लाती हैं. सूखा कचरा और गीला कचरा रखने के लिये अलग-अलग शेड बनाया गए हैं. गीले कचरे से खाद का निर्माण होता है, वहीं सूखे कचरे से निकले प्लास्टिक, कागज, कांच की बोतलें और दूसरी सामग्रियां स्क्रैप के रूप में विक्रय की जाती है.

बिना सुरक्षा किट लोगों को सुरक्षित कर रही हैं बस्तर की स्वच्छता दीदी

सार्वजनिक स्थानों पर नहीं फेंका जा रहा कचरा

महिलाओं को 2 कंटेनर युक्त 4 रिक्शा, खाद बनाने के लिए डी कम्पोजर, मास्क, दस्ताना, जैकेट, जूता, साड़ी, फावड़ा, कुदाली, धमेला, झाडू, फस्टएड बाक्स उपलब्ध कराया गया है. समूह की महिलाएं सप्ताह में 3 दिन कंटेनर युक्त रिक्शे के साथ घर-घर जाकर कचरा एकत्रीकरण का काम करती हैं. गांव में अब सार्वजनिक स्थानों पर कचरा फेंकना बंद हो गया है.

महिलाओं को मिल रहा रोजगार

जनपद सीईओ ने बताया कि स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए शासन ने यहां कचरा रिक्शा दिया है. जिसका संचालन ग्राम पंचायत कर रहा है. यह सप्ताह में 3 दिन चलेगा और इसका भुगतान ग्राम पंचायत से होगा. साफ-सफाई की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होती है. यह कार्य स्व सहायता समूह के माध्यम से किया जा रहा है, जिससे महिलाओं को रोजगार का अवसर मिल रहा है.

कोरिया : स्वच्छ भारत अभियान (Clean India Movement) में छत्तीसगढ़ की स्वच्छता दीदियां (swachhata Didi of Chhattisgarh) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. भरतपुर गांव (Bharatpur Koriya) की महिलाओं ने अपने गांव को सुंदर और स्वच्छ बनाने का बीड़ा उठाया है. ये महिलाएं गांव की गलियों में हर हफ्ते घर-घर जाकर सूखा कचरा और गीला कचरा (dry waste and wet waste) इकट्ठा करती हैं. गांव में सेग्रीगेशन शेड (segregation shed) भी बन गया है. महिलाओं की मेहनत को देखते हुए गांव के लोग भी खुले में कचरा नहीं फेंकते हैं. समूह की दीदियां गांव में स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक कर रही हैं.

भरतपुर की स्वच्छता दीदी

महिलाओं के काम करने के लिए शेड का निर्माण किया गया है. स्वच्छता ग्राही समूह की दीदियां 'प्लास्टिक हटाओं बीमारी भगाओ' का संदेश भी दे रही हैं. स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ग्राम पंचायत जनकपुर के ब्लॉक कोऑर्डिनेटर सुभाष सिंह परस्ते के निर्देश पर कचरा प्रबंधन और कलेक्शन का कार्य शुरू कर दिया है. महिला समूह घर-घर जाकर लोगों को सूखा कचरा और गीला कचरा अलग-अलग रखने के लिए प्रेरित कर रही हैं.

रायपुर में मास्क नहीं लगाने वालों पर स्वच्छता दीदी कर रहीं कार्रवाई

महिलाओं को हो रही अतिरिक्त आमदनी

गांव में एक दिन के अंतराल में कचरा उठाने वाला रिक्शा आता है जो ठोस और तरल दोनों कचरों को अलग-अलग रखता है. स्वच्छता दीदियों ने बताया कि पहले गांव वाले यहां वहां कचरा फेंक देते थे, लेकिन अब वे जागरूक होने लगे हैं. घर का कचरा डस्टबिन में एकत्रित रखते हैं. स्वच्छता ग्राही समूह की महिलाएं रिक्शा लेकर घरों से कचरा इकट्ठा कर लाती हैं. सूखा कचरा और गीला कचरा रखने के लिये अलग-अलग शेड बनाया गए हैं. गीले कचरे से खाद का निर्माण होता है, वहीं सूखे कचरे से निकले प्लास्टिक, कागज, कांच की बोतलें और दूसरी सामग्रियां स्क्रैप के रूप में विक्रय की जाती है.

बिना सुरक्षा किट लोगों को सुरक्षित कर रही हैं बस्तर की स्वच्छता दीदी

सार्वजनिक स्थानों पर नहीं फेंका जा रहा कचरा

महिलाओं को 2 कंटेनर युक्त 4 रिक्शा, खाद बनाने के लिए डी कम्पोजर, मास्क, दस्ताना, जैकेट, जूता, साड़ी, फावड़ा, कुदाली, धमेला, झाडू, फस्टएड बाक्स उपलब्ध कराया गया है. समूह की महिलाएं सप्ताह में 3 दिन कंटेनर युक्त रिक्शे के साथ घर-घर जाकर कचरा एकत्रीकरण का काम करती हैं. गांव में अब सार्वजनिक स्थानों पर कचरा फेंकना बंद हो गया है.

महिलाओं को मिल रहा रोजगार

जनपद सीईओ ने बताया कि स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए शासन ने यहां कचरा रिक्शा दिया है. जिसका संचालन ग्राम पंचायत कर रहा है. यह सप्ताह में 3 दिन चलेगा और इसका भुगतान ग्राम पंचायत से होगा. साफ-सफाई की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होती है. यह कार्य स्व सहायता समूह के माध्यम से किया जा रहा है, जिससे महिलाओं को रोजगार का अवसर मिल रहा है.

Last Updated : Jul 1, 2021, 5:31 PM IST
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