एमसीबी : लोकनिर्माण विभाग एमसीबी में सड़क के किनारे मुरूम को गड्ढों में भरने की जगह मिट्टी डालने का काम कर रहा है. एमसीबी में गांव शंकरगढ़ से लेकर केल्हारी तक सड़क के दोनों ओर मिट्टी फीलिंग का कार्य किया जा रहा है. जबकि मुरुम यानी छोटी गिट्टी के साथ मिली हुई मिट्टी को सड़क के किनारे डाला जाता है. लेकिन लोक निर्माण विभाग 35 लाख रुपए की लागत से मुरूम की जगह मिट्टी भरने का काम कर रहा है. आपको बता दें कि लोकनिर्माण विभाग शंकरगढ़ से लेकर केल्हारी और जनकपुर तक सड़क के दोनों ओर मिट्टी डलवा रहा है.क्योंकि सड़क के दोनों ओर गड्ढे हैं. जिससे छोटे वाहनों के पलटने का डर रहता है.
नियमों को दिखाया जा रहा ठेंगा : सड़क के दोनों ओर मिट्टी बिछाने का कार्य लगभग 35 लाख की लागत से किया जा रहा है. लेकिन ठेकेदार ने इस काम में घोर लापरवाही बरती है. नियमत: सड़क के दोनों ओर मुरुमीकरण किया जाना है.ताकि बारिश में कीचड़ और गर्मी में धूल ना उड़े.लेकिन ठेकेदार नियमों को ठेंगा दिखाकर जंगल की मिट्टी को ही खोदकर उसे सड़क के दोनों ओर गिरवा रहा है.ये मिट्टी आने वाले समय में वाहनों की आवाजाही के दौरान धूल बनकर उड़ जाएगी. इसके बाद रही सही कसर बारिश पूरी करेगा.क्योंकि तब मिट्टी की जगह कीचड़ भरे गड्ढे होंगे.
मुरुम की जगह मिट्टी का इस्तेमाल : सड़क के किनारे मुरुम यानी छोटी गिट्टी के साथ मिली हुई मिट्टी को सड़क के किनारे डाला जाता है. लेकिन लोक निर्माण विभाग 35 लाख रुपए की लागत से मुरूम की जगह मिट्टी डाल रहा है. जिसे लेकर जिला पंचायत सदस्य रवि शंकर सिंह ने आरोप लगाया है. रविशंकर सिंह के मुताबिक कहीं ना कहीं खानापूर्ति कर सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है. आप को बता दें कि नवीन जिला एमसीबी के ग्राम शंकरगढ़ से केल्हारी और उसके आगे जनकपुर तक सड़क के किनारे दोनों ओर कटाव रोकने के लिये मुरुम डालने का कार्य किया जा रहा है. इसके लिए टेंडर भी लोकनिर्माण विभाग ने निकाला है. टेंडर के मुताबिक ठेकेदार को काम करना था. लेकिन ऐसा काम नहीं हो रहा है.
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पीडब्ल्यूडी ने बताया नियम के मुताबिक काम : वहीं जब इस बारे में लोकनिर्माण विभाग के मुख्य कार्यपालन अभियंता से पूछा गया तो उन्होंने बताया गया कि ''जहां अगर मुरुम है वहां मुरुम डाला जा रहा है और जहां मुरुम नहीं हैं वहां पर मिट्टी डाला जा रहा है. यह कार्य योजना में है. दूसरी ओर जो मिट्टी को खोदा जा रहा है क्या ठेकेदार ने सम्बंधित विभाग से परमिशन लिया है कि नहीं. इस बारे में कोई जवाब नहीं आया है. अब देखना होगा कि लोकनिर्माण विभाग किस तरह से खाना पूर्ति करवाने के बाद अब इस पूरे मामले को संज्ञान में लेता है.