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कोरिया : इस गांव में 'विकास' है बेहाल, कोई भी नहीं करना चाहता यहां के लड़कों से शादी

कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ तहसील के बांधपारा गांव में कोई भी लड़की देना नहीं चाहता क्योकि आजादी के 70 साल बाद भी इस गांव में बिजली, पानी, सड़क की व्यवस्था नहीं हो पाई है. ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के लिए भी परेशान होना पड़ता रहा है.

Marriage is not happening  due to village problem in Koriya
गांव की समस्या के कारण नहीं हो रही शादी
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Published : Jan 21, 2020, 11:04 PM IST

कोरिया : जिले में एक ऐसा गांव है जहां कोई अपनी लड़की नहीं देना चाहता. गांव का नाम सुनते ही लड़की पक्ष वहां शादी के लिए मना कर देता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि आजादी के 70 साल बाद भी इस गांव में बिजली, पानी, सड़क की व्यवस्था नही हो पाई है. जिस वजह से पूरा गांव आज भी जगमगाती दुनिया से कोसो दूर लालटेन (डिभरी) के भरोसे रहने को मजबूर है.

गांव की समस्या के कारण नही हो रही शादी
वहीं विधायक गुलाब कमरो ने बात संज्ञान में आते ही जल्द समस्यायों के समाधान की बात कही है.

मनेन्द्रगढ़ तहसील के बांधपारा गांव की जनसंख्या लगभग डेढ़ सौ की है. जो शहरी क्षेत्र से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी में बसा है. ग्रामीणों ने बताया कि वे अब तक रात में एक डिभरी के भरोसे रहते आए है. उन्हें इतना केरोसिन भी नही मिलता है कि रोजाना लालटेन जला सके.

जंगली जानवरों का खतरा

उन्होंने बताया कि गांव में जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है. जिसकी वजह कोई अपनी बेटी का विवाह यहां नहीं करना चाहता.

आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला

हैरानी की बात यह है कि इस गांव के बीच से स्टेट हाइवे का निर्माण किया गया है.जो मनेंद्रगढ़ और चिरिमिरी को जोड़ता है। जहाँ से विधायकों, और अधिकारियों का आना जाना लगा रहता है. लेकिन इसके बावजूद भी किसी का ध्यान इस गांव की ओर नहीं गया. ग्रामीणों ने मामले की शिकायत कई बार जिले के अधिकारियों और कलेक्टर से की लेकिन आश्वासन के अलावा आज तक कुछ नही मिला.

इस सम्बंध में जब ETV भारत ने सरगुजा विकास प्राधिकरण, उपाध्यक्ष गुलाब कमरो से बात की तो उनका कहना है कि 'जानकारी मिली है. अभी आचार संहिता के वजह से काम नही हो पा रहा है. आचार संहिता जैसे ही खत्म होती है मैं सबसे पहले इस गांव की हर जरूरत की चीजें मुहैया करवाउंगा.

कोरिया : जिले में एक ऐसा गांव है जहां कोई अपनी लड़की नहीं देना चाहता. गांव का नाम सुनते ही लड़की पक्ष वहां शादी के लिए मना कर देता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि आजादी के 70 साल बाद भी इस गांव में बिजली, पानी, सड़क की व्यवस्था नही हो पाई है. जिस वजह से पूरा गांव आज भी जगमगाती दुनिया से कोसो दूर लालटेन (डिभरी) के भरोसे रहने को मजबूर है.

गांव की समस्या के कारण नही हो रही शादी
वहीं विधायक गुलाब कमरो ने बात संज्ञान में आते ही जल्द समस्यायों के समाधान की बात कही है.

मनेन्द्रगढ़ तहसील के बांधपारा गांव की जनसंख्या लगभग डेढ़ सौ की है. जो शहरी क्षेत्र से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी में बसा है. ग्रामीणों ने बताया कि वे अब तक रात में एक डिभरी के भरोसे रहते आए है. उन्हें इतना केरोसिन भी नही मिलता है कि रोजाना लालटेन जला सके.

जंगली जानवरों का खतरा

उन्होंने बताया कि गांव में जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है. जिसकी वजह कोई अपनी बेटी का विवाह यहां नहीं करना चाहता.

आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला

हैरानी की बात यह है कि इस गांव के बीच से स्टेट हाइवे का निर्माण किया गया है.जो मनेंद्रगढ़ और चिरिमिरी को जोड़ता है। जहाँ से विधायकों, और अधिकारियों का आना जाना लगा रहता है. लेकिन इसके बावजूद भी किसी का ध्यान इस गांव की ओर नहीं गया. ग्रामीणों ने मामले की शिकायत कई बार जिले के अधिकारियों और कलेक्टर से की लेकिन आश्वासन के अलावा आज तक कुछ नही मिला.

इस सम्बंध में जब ETV भारत ने सरगुजा विकास प्राधिकरण, उपाध्यक्ष गुलाब कमरो से बात की तो उनका कहना है कि 'जानकारी मिली है. अभी आचार संहिता के वजह से काम नही हो पा रहा है. आचार संहिता जैसे ही खत्म होती है मैं सबसे पहले इस गांव की हर जरूरत की चीजें मुहैया करवाउंगा.

Intro:एंकर - कोरिया जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहाँ कोई भी अपनी लड़की व्यहना नही चाहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी इस गांव में बिजली, पानी, सड़क की व्यवस्था नही हो पाई है। जिस वजह से पूरा गांव आज भी जगमगाती दुनिया से कोसो दूर लालटेन (डिभरी) के भरोसे रहने को मजबूर है। विधायक गुलाब कमरो के बात संज्ञान में आते ही उन्होंने गावँ में हर जरूरत की चींजे मुहैया कराने की बात कही।

Body:वीओ - Etv भारत को जब मनेन्द्रगढ़ तहसील के खैरबना ग्राम पंचायत के बांधपारा गांव की जानकारी मिली तो हम इस गांव में पहुंचे और लोगो से बात की तो पता चला कि गावँ की जनसंख्या लगभग डेढ़ सौ की जहाँ। जो शहरी क्षेत्र से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी में बसा है। जो कई पीढ़ी के समय से निवास कर रहे है। हमारी टीम ने जब उनसे दिनचर्या के बारे में जानकारी ली तो पता चला कई पीढ़ियों से वो इस गांव में रहते आए है। और अब तो रात में एक डिभरी के भरोसे रहने की आदत बन गई है। हमे इतना केरोसिन भी नही मिलता है कि रोजाना उसे जलाए जिससे जंगली जानवरों का भय तो बना ही रहता है।
बाइट - सुशीला (ग्रामीण)
वीओ - सबसे हैरानी की बात यह है कि इस गांव को बीच से चीरता हुआ स्टेट हाइवे का निर्माण की कराया गया। मनेंद्रगढ़ और चिरिमिरी को जोड़ता है। जहाँ से विधायकों, और अधिकारियों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन उसके बावजूद भी किसी का ध्यान इस गांव की और नही गया। गावँ के लोगो ने इसकी शिकायत कई बार जिले के अधिकारी से लेकर कलेक्टर तक कर चूके है। लेकिन अस्वाशन के अलावा आज तक कुछ नही मिला।
बाइट - बिजिया (ग्रामीण)
बाइट - रामलाल (ग्रामीण)
Conclusion:वीओ - इस सम्बंध में जब हमने सवीप्रा उपाध्यक्ष गुलाब कमरो से बात की तो उनका कहना था कि जानकारी मिली है । अभी आचार संहिता के वजह से काम नही हो पा रहा है। आचार संहिता जैसे ही खत्म होता है में सबसे पहले इस गांव में हर जरूरत की चीजें मुहैया करूँगा।
बाइट - गुलाब कमरों (उपाध्यक्ष, सरगुजा विकास प्राधिकरण)
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