मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : मनेन्द्रगढ़ के आमाखेरवा में रहने वाले महेश चंद्र सिंह ने अपने जीवनकाल में साल 1986 में जमीन चिरमिरी निवासी उर्मिला मिश्रा से खरीदी थी. भूमि की रजिस्ट्री कराते समय गलत खसरा नम्बर अंकित हो गया. जिससे नामांतरण प्रक्रिया नहीं होने से क्रेता को भूमि से वंचित रहना पड़ा. इस बीच वर्ष उन्नीस सौ छियानबे में क्रेता महेश चंद्र की मृत्यु हो जाने के कारण आज तक भूमि विक्रेता उर्मिला मिश्रा के नाम पर राजस्व अभिलेखों में दर्ज रही. Manendragarh court gave right to heir on land
कब हुआ भूमि में नामांतरण गलत होने का खुलासा : क्रेता महेश चंद्र के पुत्र अरूण कुमार सिंह निवासी चिरमिरी ने जब उपरोक्त भूमि पर मकान बनाने के लिए डायर्वसन कराना चाहा तो पता चला कि ये भूमि उनके पिता के नाम कभी थी ही नहीं. मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता संजय सिंदवानी ने बताया कि जैसे ही क्रेता के वारिसों ने मामला कोर्ट में लगाया तभी भूमि बेचने वाली उर्मिला मिश्रा की भी मृत्यु हो गई.
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दोनों पक्षों के वारिसों ने लड़ा केस : मामला दोनों पक्षों के वारिसों के बीच शुरु हुआ. तभी क्रेता के एक वारिस की मृत्यु होने से उनके पुत्र और पुत्री को भी पक्षकार बनाना पड़ा. व्यवहार न्यायालय वर्ग दो मनेन्द्रगढ़ ने दोनों पक्षों के वारिसों के साक्ष्यों के आधार पर निर्णय करते हुए क्रेता के ग्यारह वारिसों के नामों पर भूमि का खसरा नम्बर सुधार कर दर्ज करने का आदेश राजस्व न्यायालय मनेंद्रगढ़ को जारी किया है. पैंतीस साल इंतजार करने के बाद और एक साल की कानूनी लड़ाई के बाद न्यायालय से न्याय प्राप्त हुआ.