कोरिया: भरतपुर विकासखंड में आने वाले ग्राम पंचायत बहरासी में एक लोहार परिवार इस संकट काल में गरीबी की मार झेल रहा है. अगरिया समाज का एक परिवार लोहे का सामान बनाकर जीवनयापन करता था. कोरोना संकट के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन ने उनसे उनकी रोजी-रोटी छीन गई. इस वजह से उन्हें खाने के लिए भी सोचना पड़ रहा है. कई महीने बीत गए इस परिवार को भरण-पोषण के लिए कोई मदद नहीं मिली.
परिवार में होरीलाल लोहार और उनी पत्नी श्यामबत्ती लोहार के साथ ही उनका एक बेटा है, जो मानसिक रूप से बीमार है. 65 साल के होरीलाल कहते हैं कि लोहे का सामान बेचकर वे अपना और अपने परिवार का गुजारा करते थे, लेकिन कोरोना ने उनसे उनकी रोजी-रोटी भी छीन ली. वे कहते हैं कि अब एक निवाला खाने के लिए भी उन्हें दूसरो का मोहताज होना पड़ रहा है. पत्नी श्यामबत्ती कहती हैं कि उनके बनाए सामानों को खरीदने के लिए अब कोई नहीं आता. दो वक्त के खाने के लिए भी उन्हें अब सोचना पड़ता है. कर्ज लेकर घर चला रहे हैं.
कई बार शासन-प्रशासन के पास लगा चुके आवेदन
जिला जनपद सदस्य रविशंकर सिंह ने बताया कि उन्होंने इसे लेकर कई बार शासन-प्रशासन को इस बात से अवगत कराते हुए अगरिया समाज के इस परिवार के लिए मदद भी मांगी, कई बार आवेदन दिए लेकिन किसी ने इस दंपति की सुध नहीं ली. उन्होंने बताया कि प्रशासनिक विभाग के पास लोहार परिवार के लिए पेशन और राशन जैसी जरूरी योजना का लाभ देने के लिए भी आवेदन किया जा चुका है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आज तक सिर्फ बातों में ही घूमाकर टालमटोल करते रह गए. जिला जनपद सदस्य ने शासन-प्रशासन से मांग करते हुए कहा है कि जल्द ही इस परिवार को सरकार की योजनाओं का लाभ मिले.
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सरकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना किसी सपने जैसा है. सरकार गरीबों के हित में कई योजनाएं बनाती हैं, लेकिन इनके हकदारों तक इन योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता है. जरूरत है कि सरकारी तंत्र इस मामले में मजबूत हो और जनहित योजनाओं से कोई भी वंचित न रहे. बहरहाल अब देखना होगा कि बूढ़े होरीलाल के परिवार को कब शासन-प्रशासन से मदद मिलेगी.