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Koria latest news: इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में एस के रूप का नाम दर्ज, साहित्य में किया जीवन समर्पित

मनुष्य यदि अपने जीवन में अच्छे कर्म करता है तो उसे उसका फल जरुर मिलता है.गीता में भी यही लिखा है. गीता के उपदेश आज भी कई लोगों को जीने की राह दिखाते हैं. ऐसे ही एक शख्स कोरिया जिले में रहते हैं.जिन्हें साहित्य में सेवा और समर्पण के लिए बड़ा सम्मान मिला है. इस शख्स का नाम है एस के रूप.जिन्हें पत्रकारिता और साहित्य में ख्याति मिली है.

S Roop name entered in India Book of Records
इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में एस के रूप का नाम दर्ज
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Published : Feb 4, 2023, 8:36 PM IST

बैकुंठपुर :‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ श्रीमद भगवत गीता में वर्णित है ‘मनुष्य का कर्म करने में अधिकार हो फल की चिंता से रहित!’ जो सही और सार्थक कार्य करते हैं. उसका परिणाम भी जनकल्याणकारी और उदाहरण प्रस्तुत करने वाला होता है.युवावस्था में ही एसके रूप ने साहित्य पत्रकारिता एवं समाज सेवा में कई उदाहरण प्रस्तुत किए हैं. जिसे वैश्विक एवं राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है. अपने काम के लिए रुप समय-समय पर सम्मानित भी हुए हैं.

साहित्य सेवा समर्पण के लिए मिला इनाम : इस बार श्रीरूप का नाम साहित्य–सेवा समर्पण हेतु इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है.ये रिकॉर्ड विश्व कीर्तिमान में सहभागिता के साथ एक नया रिकॉर्ड बनाने लिए प्राप्त हुआ है. गौरतलब है कि रूप ने मां भारती कविता महायज्ञ महाराष्ट्र मुंबई के हिंदी भाषा सेवा हेतु एक पखवाड़े तक चले काव्य पाठ में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने लगभग 3 घंटे बिना रुके काव्य पाठ किया. जिसका श्रोताओं ने जमकर आनंद भी उठाया था. इसके लिए उनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन में दर्ज हुआ. सम्मान पत्र और अन्य पुरस्कार भी प्राप्त हुए.

उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मान : एसके रूप ने पहले भी इसी तरह भगवान श्रीराम के लिए भक्तिमय काव्य पाठ किया था. जिसमें विदेशों से भी लोगों ने श्री रामभक्ति दिखाई. भक्ति मय काव्य पाठ में रूप सबसे कम उम्र के युवा कवि होकर अपनी जीवंत छाप वरिष्ठ जनों एवं साहित्यकारों पर डाली. जिसके लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज हुआ. इन्हीं दो वैश्विक कीर्तिमान में अनवरत रूप से अपनी सहभागिता निभाने के लिए रूप का नाम साहित्य–सेवा समर्पण के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है.

विरासत में मिली पत्रकारिता और साहित्य सेवा : एसके रूप अपने जीवन का सबसे बड़ा आदर्श अपने पिता रूद्र प्रसाद रूप को मानते हैं. इनके पिता ने कोरिया जिले की धरती पर सबसे पहले पत्रकारिता की नींव रखी. सम्यक संपर्क नामक पाक्षिक अखबार की शुरुआत की. इसके साथ ही जनहित संघ और पंडो विकास समिति द्वारा जनहित में कार्य करते रहे. रूप कुशाग्र बुद्धि के धनी तार्किक जननायक और विलक्षण प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे. एसके रूप अपने पिता को ही अपना सबसे बड़ा आदर्श मानकर कार्य करते रहे हैं. इन्हें माता से संगीत,अध्यात्म और अन्य सामाजिक शिक्षा मिली है.



राष्ट्रीय स्तर पर कई बार मिल चुके हैं सम्मान: साहित्यकार एसके रूप कम उम्र में ही बड़े-बड़े सूरमाओं के बीच अपने लेखन के माध्यम से स्थापित हुए हैं. इन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन, गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड, गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान, पत्रकारिता भूषण सम्मान, साहित्य साधक सम्मान, गुरु साधक सम्मान, भगवान परशुराम सम्मान, नवभारत ज्ञानपीठ पुरस्कार 2022,पत्रकारिता भूषण सम्मान 2021, काव्य सारथी सम्मान 2021, कर्मवीर सम्मान 2022, रामभक्त सम्मान, रामत्न सम्मान 2022, खेल रत्न सम्मान, आइकॉन ऑफ द इयर, सोशल एक्टिविटीज सम्मान,नवसृजन सम्मान, सृजन साधक सम्मान सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं.

ये भी पढ़ें- गुरुघासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व के तौर पर किया जाएगा विकसित

इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने पर एसके रूप ने कहा कि '' धीरज, आत्मसंयम, स्वाध्याय ईश्वर प्राणीधान के साथ लक्ष्य बनाकर उस पर कार्य करते रहना चाहिए. मैं अपने माता पिता गुरुजन एवं सभी स्नेही जनों को जो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से मुझसे स्नेहवत जुड़े हैं. उनका धन्यवाद ज्ञापित करता हूं.'' रूप के इस उपलब्धि पर शुभचिंतकों, कोरियावासियों,शहरवासी एवं गणमान्य नागरिकों ने उन्हें बधाई प्रेषित की है.

बैकुंठपुर :‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ श्रीमद भगवत गीता में वर्णित है ‘मनुष्य का कर्म करने में अधिकार हो फल की चिंता से रहित!’ जो सही और सार्थक कार्य करते हैं. उसका परिणाम भी जनकल्याणकारी और उदाहरण प्रस्तुत करने वाला होता है.युवावस्था में ही एसके रूप ने साहित्य पत्रकारिता एवं समाज सेवा में कई उदाहरण प्रस्तुत किए हैं. जिसे वैश्विक एवं राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है. अपने काम के लिए रुप समय-समय पर सम्मानित भी हुए हैं.

साहित्य सेवा समर्पण के लिए मिला इनाम : इस बार श्रीरूप का नाम साहित्य–सेवा समर्पण हेतु इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है.ये रिकॉर्ड विश्व कीर्तिमान में सहभागिता के साथ एक नया रिकॉर्ड बनाने लिए प्राप्त हुआ है. गौरतलब है कि रूप ने मां भारती कविता महायज्ञ महाराष्ट्र मुंबई के हिंदी भाषा सेवा हेतु एक पखवाड़े तक चले काव्य पाठ में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने लगभग 3 घंटे बिना रुके काव्य पाठ किया. जिसका श्रोताओं ने जमकर आनंद भी उठाया था. इसके लिए उनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन में दर्ज हुआ. सम्मान पत्र और अन्य पुरस्कार भी प्राप्त हुए.

उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मान : एसके रूप ने पहले भी इसी तरह भगवान श्रीराम के लिए भक्तिमय काव्य पाठ किया था. जिसमें विदेशों से भी लोगों ने श्री रामभक्ति दिखाई. भक्ति मय काव्य पाठ में रूप सबसे कम उम्र के युवा कवि होकर अपनी जीवंत छाप वरिष्ठ जनों एवं साहित्यकारों पर डाली. जिसके लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज हुआ. इन्हीं दो वैश्विक कीर्तिमान में अनवरत रूप से अपनी सहभागिता निभाने के लिए रूप का नाम साहित्य–सेवा समर्पण के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है.

विरासत में मिली पत्रकारिता और साहित्य सेवा : एसके रूप अपने जीवन का सबसे बड़ा आदर्श अपने पिता रूद्र प्रसाद रूप को मानते हैं. इनके पिता ने कोरिया जिले की धरती पर सबसे पहले पत्रकारिता की नींव रखी. सम्यक संपर्क नामक पाक्षिक अखबार की शुरुआत की. इसके साथ ही जनहित संघ और पंडो विकास समिति द्वारा जनहित में कार्य करते रहे. रूप कुशाग्र बुद्धि के धनी तार्किक जननायक और विलक्षण प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे. एसके रूप अपने पिता को ही अपना सबसे बड़ा आदर्श मानकर कार्य करते रहे हैं. इन्हें माता से संगीत,अध्यात्म और अन्य सामाजिक शिक्षा मिली है.



राष्ट्रीय स्तर पर कई बार मिल चुके हैं सम्मान: साहित्यकार एसके रूप कम उम्र में ही बड़े-बड़े सूरमाओं के बीच अपने लेखन के माध्यम से स्थापित हुए हैं. इन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन, गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड, गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान, पत्रकारिता भूषण सम्मान, साहित्य साधक सम्मान, गुरु साधक सम्मान, भगवान परशुराम सम्मान, नवभारत ज्ञानपीठ पुरस्कार 2022,पत्रकारिता भूषण सम्मान 2021, काव्य सारथी सम्मान 2021, कर्मवीर सम्मान 2022, रामभक्त सम्मान, रामत्न सम्मान 2022, खेल रत्न सम्मान, आइकॉन ऑफ द इयर, सोशल एक्टिविटीज सम्मान,नवसृजन सम्मान, सृजन साधक सम्मान सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं.

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इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने पर एसके रूप ने कहा कि '' धीरज, आत्मसंयम, स्वाध्याय ईश्वर प्राणीधान के साथ लक्ष्य बनाकर उस पर कार्य करते रहना चाहिए. मैं अपने माता पिता गुरुजन एवं सभी स्नेही जनों को जो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से मुझसे स्नेहवत जुड़े हैं. उनका धन्यवाद ज्ञापित करता हूं.'' रूप के इस उपलब्धि पर शुभचिंतकों, कोरियावासियों,शहरवासी एवं गणमान्य नागरिकों ने उन्हें बधाई प्रेषित की है.

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