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Health Workers Strike :छत्तीसगढ़ में फिर होंगी स्वास्थ्य सेवाएं ठप, 4 जुलाई से स्वास्थ्यकर्मियों का महा आंदोलन

Health workers strike छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य कर्मचारियों ने एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर मोर्चा खोलने का ऐलान किया है. नियमितिकरण समेत 24 मांगों को लेकर 4 जुलाई से स्वास्थ्य कर्मचारी संघ सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने जा रहा है.

Health workers strike in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में फिर होंगी स्वास्थ्य सेवाएं ठप
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Published : Jun 30, 2023, 8:43 PM IST

मनेंद्रगढ़ भरतपुर चिरमिरी : छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य कर्मचारी एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर मोर्चा खोलने को तैयार हैं.आगामी 4 जुलाई को स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है. स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी 24 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार के सामने पहले भी आंदोलन कर चुके हैं. इससे पहले भी सरकार ने आश्वासन देकर हड़ताल को खत्म करवाया था.लेकिन एक बार फिर स्वास्थ्य कर्मचारियों ने मांगें पूरी नहीं होने पर सरकार को चेतावनी दी है.

15 साल से कर्मचारी संगठन कर रहे मांग : आपको बता दें कि छ्त्तीसगढ़ में स्वास्थ्य कर्मचारी संघ की ये मांगें, बीते 15 वर्षों से जारी है.लगभग 50 हजार कर्मचारियों का धैर्य अब जवाब देने लगा है.इसलिए अब वो अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले हैं. अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों ने बड़े आंदोलन की बात कही है. 24 सूत्रीय मांगों में केंद्रीय कर्मचारियों के समान वेतन, पुलिस विभाग की तरह साल में 13 महीने का वेतन, चार स्तरीय पदोन्नति वेतनमान, नियमितीकरण, 62 वर्ष की सेवा गारंटी समेत कई मांगें स्वास्थ्य कर्मचारियों की है.

कौन-कौन होगा आंदोलन में शामिल : मांगों को पूरी करवाने के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर मैदानी स्तर तक सभी नियमित, संविदा ,एनएचएम , जीवनदीप समिति के कर्मचारी आंदोलन करेंगे.इस दौरान प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं पर बड़ा असर पड़ेगा. इसके लिए संगठन ने पहले ही जनता को होने वाली तकलीफों के लिए खेद व्यक्त किया है.

सरकार आंदोलन रोकने के लिए कर चुकी है एस्मा का इस्तेमाल : आपको बता दें कि हाल ही में पटवारियों ने भी 15 मई से अपनी मांगें मनवाने के लिए आंदोलन का सहारा लिया था.जिसके बाद सरकार ने हड़ताली पटवारियों के खिलाफ एस्मा लगाया.वहीं बर्खास्तगी की चेतावनी के बाद पटवारियों का आंदोलन खत्म हुआ.अब एक बार फिर स्वास्थ्य कर्मचारियों ने मोर्चा खोला है.ऐसे में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराएगी.

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आंदोलन से सिर्फ जनता को परेशानी : सरकार किसी की भी हो चुनाव से पहले वो वोट पाने के लिए कर्मचारियों के हितों में कई घोषणाएं करती है.लेकिन चुनाव खत्म होने और सत्ता में आने के बाद कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं होती .जिसके बाद मांगों को पूरी करवाने के लिए आंदोलन का सहारा लिया जाता है.ऐसे में हर तरफ से सिर्फ जनता परेशान होती है. क्योंकि चाहे वो राजस्व विभाग हो, स्वास्थ्य विभाग हो या फिर शिक्षा विभाग आम जनता का सरोकार हर किसी से जुड़ा है.ऐसे में आंदोलन का रिजल्ट जो भी निकले, पीसती जनता ही है.

मनेंद्रगढ़ भरतपुर चिरमिरी : छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य कर्मचारी एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर मोर्चा खोलने को तैयार हैं.आगामी 4 जुलाई को स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है. स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी 24 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार के सामने पहले भी आंदोलन कर चुके हैं. इससे पहले भी सरकार ने आश्वासन देकर हड़ताल को खत्म करवाया था.लेकिन एक बार फिर स्वास्थ्य कर्मचारियों ने मांगें पूरी नहीं होने पर सरकार को चेतावनी दी है.

15 साल से कर्मचारी संगठन कर रहे मांग : आपको बता दें कि छ्त्तीसगढ़ में स्वास्थ्य कर्मचारी संघ की ये मांगें, बीते 15 वर्षों से जारी है.लगभग 50 हजार कर्मचारियों का धैर्य अब जवाब देने लगा है.इसलिए अब वो अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले हैं. अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों ने बड़े आंदोलन की बात कही है. 24 सूत्रीय मांगों में केंद्रीय कर्मचारियों के समान वेतन, पुलिस विभाग की तरह साल में 13 महीने का वेतन, चार स्तरीय पदोन्नति वेतनमान, नियमितीकरण, 62 वर्ष की सेवा गारंटी समेत कई मांगें स्वास्थ्य कर्मचारियों की है.

कौन-कौन होगा आंदोलन में शामिल : मांगों को पूरी करवाने के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर मैदानी स्तर तक सभी नियमित, संविदा ,एनएचएम , जीवनदीप समिति के कर्मचारी आंदोलन करेंगे.इस दौरान प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं पर बड़ा असर पड़ेगा. इसके लिए संगठन ने पहले ही जनता को होने वाली तकलीफों के लिए खेद व्यक्त किया है.

सरकार आंदोलन रोकने के लिए कर चुकी है एस्मा का इस्तेमाल : आपको बता दें कि हाल ही में पटवारियों ने भी 15 मई से अपनी मांगें मनवाने के लिए आंदोलन का सहारा लिया था.जिसके बाद सरकार ने हड़ताली पटवारियों के खिलाफ एस्मा लगाया.वहीं बर्खास्तगी की चेतावनी के बाद पटवारियों का आंदोलन खत्म हुआ.अब एक बार फिर स्वास्थ्य कर्मचारियों ने मोर्चा खोला है.ऐसे में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराएगी.

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आंदोलन से सिर्फ जनता को परेशानी : सरकार किसी की भी हो चुनाव से पहले वो वोट पाने के लिए कर्मचारियों के हितों में कई घोषणाएं करती है.लेकिन चुनाव खत्म होने और सत्ता में आने के बाद कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं होती .जिसके बाद मांगों को पूरी करवाने के लिए आंदोलन का सहारा लिया जाता है.ऐसे में हर तरफ से सिर्फ जनता परेशान होती है. क्योंकि चाहे वो राजस्व विभाग हो, स्वास्थ्य विभाग हो या फिर शिक्षा विभाग आम जनता का सरोकार हर किसी से जुड़ा है.ऐसे में आंदोलन का रिजल्ट जो भी निकले, पीसती जनता ही है.

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