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स्वास्थ्य केंद्र है पर डॉक्टर नहीं, मजबूरन ग्रामीणों को लेना पड़ता है झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा

कोरिया में शासन ने लाखों रुपये खर्च कर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए गांवों में स्वास्थ्य केंद्र खुलवाए हैं, लेकिन यहां पदस्थ स्टाफ की मनमानी के चलते मरीजों को उपचार की सुविधा नहीं मिल पा रही है. ग्रामीणों को अपने गांवों से काफी दूर जनकपुर, कुवारपुर और मनेंद्रगढ़ जाकर उपचार कराना पड़ता है.

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Published : Oct 7, 2020, 10:51 PM IST

Koriya Health Center
कोरिया स्वास्थ्य केंद्र

कोरिया: भरतपुर के कोईराला में इन दिनों स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है, जबकि उनके गांव में स्वास्थ्य केन्द्र हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटके रहने के कारण उन्हें इस स्वास्थ्य केंद्र से कोई सुविधा नहीं मिल रही है.

Koriya Health Center
कोरिया स्वास्थ्य केंद्र

शासन ने लाखों रुपये खर्च कर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए गांवों में स्वास्थ्य केंद्र खुलवाए हैं, लेकिन यहां पदस्थ स्टाफ की मनमानी की वजह से मरीजों को इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है. ग्रामीणों को अपने गांवों से काफी दूर जनकपुर, कुवारपुर और मनेंद्रगढ़ जाकर उपचार कराना पड़ता है. इससे समय की बर्बादी के साथ उनपर आर्थिक मार भी पड़ती है.

कभी कभार ही खुलते हैं स्वास्थ्य केंद्र

ग्रामीणों की शिकायत है कि उनके गांवों में बने स्वास्थ्य केंद्र कभी कभार ही खुलते हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि उप स्वास्थ्य केंद्रों की अव्यवस्थाओं की ओर वरिष्ठ अधिकारियों का कतई ध्यान नहीं है. इसके कारण केंद्रों की हालत बदतर होती जा रही है. स्वास्थ्य केंद्रों पर ताला लटका मिलता है. अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्रों की हालत काफी खराब है. ग्रामीणों की शिकायत है कि उनके गांव में स्वास्थ्य केंद्र तो बना है, लेकिन वहां पदस्थ स्टाफ के नियमित न आने से केंद्रों पर ताला लगा मिलता है. जिसके कारण उन्हें स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है. मरीजों को उपचार के लिए कहीं और जाना पड़ता है. कई बार शिकायत के बाद भी स्वास्थ्य केंद्र की अव्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है.

मजबूरन झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराते हैं ग्रामीण

सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में ताला लगा रहने की वजह से मजबूरन ग्रामीणों को झोलाछाप डॉक्टरों के पास उपचार के लिए जाना पड़ता है. उप स्वास्थ्य केंद्रों पर स्टाफ की समस्या भी अव्यवस्था का एक कारण है. कुछ स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर तक नहीं हैं, तो कहीं मात्र स्टाफ के नाम पर एक नर्स पदस्थ है. जिसके भरोसे केंद्र खुलते हैं. इस संबंध में बताया जाता है कि उपस्वास्थ्य केंद्र पर एक एएनएम पदस्थ रहती है. जिसपर आसपास के तीन गांवों की जिम्मेदारी होती है. जिसके कारण केंद्र नियमित नहीं खुल पाता है. स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर न होने से मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पाता है. केंद्र का स्टाफ उन्हें उपचार के लिए कहीं और दिखा लेने की सलाह देता है. इस स्थिति में प्रसूताओं को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. हालत बिगड़ने पर प्रसव के लिए उनके परिजन कुवारपुर और जनकपुर लेकर भागते हैं.

कोरिया: भरतपुर के कोईराला में इन दिनों स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है, जबकि उनके गांव में स्वास्थ्य केन्द्र हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटके रहने के कारण उन्हें इस स्वास्थ्य केंद्र से कोई सुविधा नहीं मिल रही है.

Koriya Health Center
कोरिया स्वास्थ्य केंद्र

शासन ने लाखों रुपये खर्च कर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए गांवों में स्वास्थ्य केंद्र खुलवाए हैं, लेकिन यहां पदस्थ स्टाफ की मनमानी की वजह से मरीजों को इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है. ग्रामीणों को अपने गांवों से काफी दूर जनकपुर, कुवारपुर और मनेंद्रगढ़ जाकर उपचार कराना पड़ता है. इससे समय की बर्बादी के साथ उनपर आर्थिक मार भी पड़ती है.

कभी कभार ही खुलते हैं स्वास्थ्य केंद्र

ग्रामीणों की शिकायत है कि उनके गांवों में बने स्वास्थ्य केंद्र कभी कभार ही खुलते हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि उप स्वास्थ्य केंद्रों की अव्यवस्थाओं की ओर वरिष्ठ अधिकारियों का कतई ध्यान नहीं है. इसके कारण केंद्रों की हालत बदतर होती जा रही है. स्वास्थ्य केंद्रों पर ताला लटका मिलता है. अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्रों की हालत काफी खराब है. ग्रामीणों की शिकायत है कि उनके गांव में स्वास्थ्य केंद्र तो बना है, लेकिन वहां पदस्थ स्टाफ के नियमित न आने से केंद्रों पर ताला लगा मिलता है. जिसके कारण उन्हें स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है. मरीजों को उपचार के लिए कहीं और जाना पड़ता है. कई बार शिकायत के बाद भी स्वास्थ्य केंद्र की अव्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है.

मजबूरन झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराते हैं ग्रामीण

सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में ताला लगा रहने की वजह से मजबूरन ग्रामीणों को झोलाछाप डॉक्टरों के पास उपचार के लिए जाना पड़ता है. उप स्वास्थ्य केंद्रों पर स्टाफ की समस्या भी अव्यवस्था का एक कारण है. कुछ स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर तक नहीं हैं, तो कहीं मात्र स्टाफ के नाम पर एक नर्स पदस्थ है. जिसके भरोसे केंद्र खुलते हैं. इस संबंध में बताया जाता है कि उपस्वास्थ्य केंद्र पर एक एएनएम पदस्थ रहती है. जिसपर आसपास के तीन गांवों की जिम्मेदारी होती है. जिसके कारण केंद्र नियमित नहीं खुल पाता है. स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर न होने से मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पाता है. केंद्र का स्टाफ उन्हें उपचार के लिए कहीं और दिखा लेने की सलाह देता है. इस स्थिति में प्रसूताओं को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. हालत बिगड़ने पर प्रसव के लिए उनके परिजन कुवारपुर और जनकपुर लेकर भागते हैं.

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