कोरिया: सरकार किसान के खून पसीने की कमाई को अवैध धान का रूप दे रही है. बताया जा रहा है कि किसानों का रकबा कम कर दिया गया है. किसानों का सोसायटी में पंजीयन भी नहीं है, जिससे किसानों के बीच आत्महत्या जैसी स्थिति पैदा हो गई है.
इस बार समर्थन मूल्य पर सोसाइटियों में धान खरीदी दिसंबर से शुरू हुआ है. पिछले वर्षों में एक नवंबर से 15 नवंबर तक धान खरीदी प्रारंभ हो जाती थी. इसी उम्मीद में किसानों ने समय पर धान की कटाई कर ली और सोसाइटी खुलने का इंतजार करने लगे. लेकिन शासन की गलत नीति की वजह से किसानों का जो रकबा कम किया गया है, सोसायटी में उनका पंजीयन नहीं हुआ है.
किसान हो रहे परेशान
सरकार किसानों का धान नहीं ले रही और किसान उसे वापस घर ले जा रहे हैं. उसी धान को सरकार अवैध धान बता रही है. जो छोटे किसान हैं एक-दो एकड़ में खेती कर अपना जीवन गुजारा करते हैं. वो आज पैसे के लिए मोहताज है. किसान शासन-प्रशासन को बताना चाहते हैं कि सरकार किसानों का रकबा बढ़ाए.
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प्रशासन का दावा, किसानों को नहीं हो रही परेशानी
वहीं जिला प्रशासन का कहना है कि किसी भी किसान को कोई दिक्कत परेशानी नहीं है. पहले जो किसान दिनभर लाइन लगा कर खड़े रहते थे उन्हें परेशानी होती थी, पर अब नहीं है. किसानों को टोकन दिया गया है, छोटा किसान हो या बड़ा, सभी किसानों को बराबर मौका मिल रहा है.