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रकबा कम होने से किसान परेशान, सरकार से रकबा बढ़ाने की मांग - सरकार अवैध धान बता रही

रकबा कम होने से किसान परेशान है. सरकार धान खरीदी केंद्रों से वापस ले जाते किसानों की धान को अवैध बता रही है. इसे लेकर किसानों के बीच आत्महत्या की स्थिति हो गई है.

demands to increase acreage
रकबा बढ़ाने की मांग
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Published : Dec 14, 2019, 2:35 PM IST

कोरिया: सरकार किसान के खून पसीने की कमाई को अवैध धान का रूप दे रही है. बताया जा रहा है कि किसानों का रकबा कम कर दिया गया है. किसानों का सोसायटी में पंजीयन भी नहीं है, जिससे किसानों के बीच आत्महत्या जैसी स्थिति पैदा हो गई है.

इस बार समर्थन मूल्य पर सोसाइटियों में धान खरीदी दिसंबर से शुरू हुआ है. पिछले वर्षों में एक नवंबर से 15 नवंबर तक धान खरीदी प्रारंभ हो जाती थी. इसी उम्मीद में किसानों ने समय पर धान की कटाई कर ली और सोसाइटी खुलने का इंतजार करने लगे. लेकिन शासन की गलत नीति की वजह से किसानों का जो रकबा कम किया गया है, सोसायटी में उनका पंजीयन नहीं हुआ है.

किसान हो रहे परेशान
सरकार किसानों का धान नहीं ले रही और किसान उसे वापस घर ले जा रहे हैं. उसी धान को सरकार अवैध धान बता रही है. जो छोटे किसान हैं एक-दो एकड़ में खेती कर अपना जीवन गुजारा करते हैं. वो आज पैसे के लिए मोहताज है. किसान शासन-प्रशासन को बताना चाहते हैं कि सरकार किसानों का रकबा बढ़ाए.

पढे़:नाबालिग के दुष्कर्मियों 30-30 साल का कारावास, अपने तरह का छग का पहला मामला

प्रशासन का दावा, किसानों को नहीं हो रही परेशानी

वहीं जिला प्रशासन का कहना है कि किसी भी किसान को कोई दिक्कत परेशानी नहीं है. पहले जो किसान दिनभर लाइन लगा कर खड़े रहते थे उन्हें परेशानी होती थी, पर अब नहीं है. किसानों को टोकन दिया गया है, छोटा किसान हो या बड़ा, सभी किसानों को बराबर मौका मिल रहा है.

कोरिया: सरकार किसान के खून पसीने की कमाई को अवैध धान का रूप दे रही है. बताया जा रहा है कि किसानों का रकबा कम कर दिया गया है. किसानों का सोसायटी में पंजीयन भी नहीं है, जिससे किसानों के बीच आत्महत्या जैसी स्थिति पैदा हो गई है.

इस बार समर्थन मूल्य पर सोसाइटियों में धान खरीदी दिसंबर से शुरू हुआ है. पिछले वर्षों में एक नवंबर से 15 नवंबर तक धान खरीदी प्रारंभ हो जाती थी. इसी उम्मीद में किसानों ने समय पर धान की कटाई कर ली और सोसाइटी खुलने का इंतजार करने लगे. लेकिन शासन की गलत नीति की वजह से किसानों का जो रकबा कम किया गया है, सोसायटी में उनका पंजीयन नहीं हुआ है.

किसान हो रहे परेशान
सरकार किसानों का धान नहीं ले रही और किसान उसे वापस घर ले जा रहे हैं. उसी धान को सरकार अवैध धान बता रही है. जो छोटे किसान हैं एक-दो एकड़ में खेती कर अपना जीवन गुजारा करते हैं. वो आज पैसे के लिए मोहताज है. किसान शासन-प्रशासन को बताना चाहते हैं कि सरकार किसानों का रकबा बढ़ाए.

पढे़:नाबालिग के दुष्कर्मियों 30-30 साल का कारावास, अपने तरह का छग का पहला मामला

प्रशासन का दावा, किसानों को नहीं हो रही परेशानी

वहीं जिला प्रशासन का कहना है कि किसी भी किसान को कोई दिक्कत परेशानी नहीं है. पहले जो किसान दिनभर लाइन लगा कर खड़े रहते थे उन्हें परेशानी होती थी, पर अब नहीं है. किसानों को टोकन दिया गया है, छोटा किसान हो या बड़ा, सभी किसानों को बराबर मौका मिल रहा है.

Intro:एंकर - सरकार किसान की खून पसीने की कमाई को अवैध धान का रूप दे रही है। किसानों का रकबा कम कर दिया गया है। किसानों का सोसायटी में पंजीयन भी नही है, जिससे किसानों के बीच आत्महत्या जैसी स्थिति पैदा हो गई है। किसान विवस है।

Body:वीओ - इस बार समर्थन मूल्य पर सोसाइटियों में धान खरीदी दिसंबर माह से प्रारंभ हो गया है। लेकिन पिछले वर्ष एक नवंबर से15 नवम्बर तक धान खरीदी प्रारंभ हो जाती थी । इसी उम्मीद में फसल ले रहे किसानों ने समय पर धान की कटाई कर ली है और सोसाइटी खुलने का इंतजार कर रहे थे। जिससे वे धान बेच पाए। लेकिन शाशन की गलत नीति के वजह से किसानों का जो रकबा कम किया गया, सोसायटी में उनका पंजीयन ही हुआ है। किसानों की खून पसीने की कमाई को सरकार ले नही रही, किसान उसे वापस घर ले जा रहे है, उसी धान को सरकार अवैध धान कह रही है। जिससे किसान परेशान है आत्महत्या जैसी स्थिति पैदा हो गई है। जो छोटे किसान है एक दो एकड़ में खेती कर अपना जीवन गुजारा करते थे। वो आज पैसे के लिए मोहताज है, हम साशन प्रशासन को चेताना चाहते है कि सरकार किसानों का रकबा बढ़ाए।

बाइट - रवि शंकर सिंह (जिला जनपद सदस्य जनकपुर,गले मे मफलर घुंगराले बाल)

Conclusion:वीओ - वही सरकार का कहना है कि किसी भी किसान कोई दिक्कत परेसानी नही है, पहले जो किसान दिन लाइन लगा कर खड़े रहते थे उन्हें परेसानी होती थी, अब इस नही है किसानों को टोकन दिया गया है, छोटा किसान हो या बड़ा किसान हो सभी को बराबर का मौका मिला रहा है।

बाइट - रोशन श्रीवास्तव (धान बीज प्रबंधक,रेड लाइन स्वेटर)
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