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कमर्शियल माइनिंग के फैसले के खिलाफ मजदूर संगठनों का हल्ला बोल

कोयला खदानों में कमर्शियल माइनिंग के फैसले का विरोध हो रहा है. इस फैसले के खिलाफ कोरिया में मजदूर संघ और कर्मचारियों ने हड़ताल की घोषणा कर दी है.

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कमर्शियल माइनिंग के फैसले का विरोध
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Published : Jul 2, 2020, 9:03 PM IST

कोरिया: केंद्र सरकार के कमर्शियल माइनिंग के फैसले का प्रदेश के कोल क्षेत्रों में जोरदार विरोध हो रहा है. हसदेव, चिरिमिरी और बैकुंठपुर कोल माइंस क्षेत्र में कोयला खदानों के कर्मचारियों ने 3 दिन के हड़ताल की घोषणा कर दी है. सभी कर्मचारी सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं. इसका व्यापक असर कोल क्षेत्र के कार्यों पर पड़ेगा. यहां काम-काज प्रभावित होंगे.

कमर्शियल माइनिंग का विरोध

बता दें केंद्र सरकार की तरफ से कोल क्षेत्रों को निजी हाथों में सौपने की नीतियों का विरोध में कई यूनियन के नेता और मजदूर संघ एकजुट होकर कर रहे हैं. इसके अलावा कोल प्रबंधन से मांग की जा रही है कि मजदूरों का वेतनमान पूरा दें. ऐसी मांगों को लेकर हड़ताल किए जा रहे हैं.

यूनियन ने साफ कहा है कि अगर केंद्र सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करती तो समस्त यूनियन, श्रमिक नेता और मजदूर अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे. केंद्र सरकार की ऐसी मजदूर विरोधी नीति को हमारे मजदूर और कर्मचारी बिलकुल लागू नहीं होने देंगे. HMS यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष ने बताया कि केंद्र सरकार के इस फैसले से मजदूरों का हक छिन जाएगा. केंद्र सरकार कुछ उद्योगपतियों को बढ़ावा और लाभ पहुंचाने के लिए यह नीति अपना रही है. इस तरह के फैसले के खिलाफ सारे मजदूर संगठित हो चुके हैं.

पढ़ें: कोरबा: श्रमिक संगठनों ने मिलकर किया कमर्शियल माइनिंग के फैसले का विरोध

कोरिया जिले में कोयलांचल क्षेत्र होने की वजह से ज्यादातर लोग माइंस में ही काम करते हैं. इन क्षेत्रों के कमर्शियल होने पर सारे मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे. सभी पर आर्थिक संकट गहरा जाएगा. कमर्शियल माइनिंग की नीति में कुछ पूंजीपति ही खदानों से कोयला निकालने का काम करेंगे. जिससे अन्य लोग बेरोजगार हो जाएंगे.

प्रदेश भर में हो रहा विरोध

केंद्र सरकार के कोल क्षेत्र में कमर्शियल माइनिंग को इजाजत देने के फैसले का चौतरफा विरोध हो रहा है. बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़ जैसे प्रमुख क्षेत्रों में जोरदार विरोध देखा जा रहा है. कोरबा में कई मजदूर संगठनों ने मिलकर इस फैसले का जोरदार विरोध किया है. बाता दें कोयला मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए यह बात रखी थी कि केंद्र की इस नीति से कोल क्षेत्रों को फायदा मिलेगा लेकिन मजदूर संघों ने इसे नकार दिया है.

कोरिया: केंद्र सरकार के कमर्शियल माइनिंग के फैसले का प्रदेश के कोल क्षेत्रों में जोरदार विरोध हो रहा है. हसदेव, चिरिमिरी और बैकुंठपुर कोल माइंस क्षेत्र में कोयला खदानों के कर्मचारियों ने 3 दिन के हड़ताल की घोषणा कर दी है. सभी कर्मचारी सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं. इसका व्यापक असर कोल क्षेत्र के कार्यों पर पड़ेगा. यहां काम-काज प्रभावित होंगे.

कमर्शियल माइनिंग का विरोध

बता दें केंद्र सरकार की तरफ से कोल क्षेत्रों को निजी हाथों में सौपने की नीतियों का विरोध में कई यूनियन के नेता और मजदूर संघ एकजुट होकर कर रहे हैं. इसके अलावा कोल प्रबंधन से मांग की जा रही है कि मजदूरों का वेतनमान पूरा दें. ऐसी मांगों को लेकर हड़ताल किए जा रहे हैं.

यूनियन ने साफ कहा है कि अगर केंद्र सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करती तो समस्त यूनियन, श्रमिक नेता और मजदूर अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे. केंद्र सरकार की ऐसी मजदूर विरोधी नीति को हमारे मजदूर और कर्मचारी बिलकुल लागू नहीं होने देंगे. HMS यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष ने बताया कि केंद्र सरकार के इस फैसले से मजदूरों का हक छिन जाएगा. केंद्र सरकार कुछ उद्योगपतियों को बढ़ावा और लाभ पहुंचाने के लिए यह नीति अपना रही है. इस तरह के फैसले के खिलाफ सारे मजदूर संगठित हो चुके हैं.

पढ़ें: कोरबा: श्रमिक संगठनों ने मिलकर किया कमर्शियल माइनिंग के फैसले का विरोध

कोरिया जिले में कोयलांचल क्षेत्र होने की वजह से ज्यादातर लोग माइंस में ही काम करते हैं. इन क्षेत्रों के कमर्शियल होने पर सारे मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे. सभी पर आर्थिक संकट गहरा जाएगा. कमर्शियल माइनिंग की नीति में कुछ पूंजीपति ही खदानों से कोयला निकालने का काम करेंगे. जिससे अन्य लोग बेरोजगार हो जाएंगे.

प्रदेश भर में हो रहा विरोध

केंद्र सरकार के कोल क्षेत्र में कमर्शियल माइनिंग को इजाजत देने के फैसले का चौतरफा विरोध हो रहा है. बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़ जैसे प्रमुख क्षेत्रों में जोरदार विरोध देखा जा रहा है. कोरबा में कई मजदूर संगठनों ने मिलकर इस फैसले का जोरदार विरोध किया है. बाता दें कोयला मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए यह बात रखी थी कि केंद्र की इस नीति से कोल क्षेत्रों को फायदा मिलेगा लेकिन मजदूर संघों ने इसे नकार दिया है.

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