गौरेला पेंड्रा मरवाही: जिले में पीडीएस के तहत मिलने वाले चावल का संकट आ गया है. नागरिक आपूर्ति निगम के वेयरहाउस गोदामों में चावल की कमी हो गई है. गोदाम में 1 महीने के उठाव क्षमता का चावल ही शेष बचा है. कुल भंडारण क्षमता का एक तिहाई चावल ही वेयरहाउस में बचा है. इस महीने के बाद सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बांटने के लिए चावल का स्टॉक ही नहीं है. शासन के नियमानुसार कम से कम 3 माह का चावल वेयरहाउस में होना चाहिए. दरअसल राइस मिलरों ने 2 महीने से CMR (Custom Milled Rice) चावल जमा नहीं किए. इस वजह से स्थिति बिगड़ी है.
क्षमता का एक तिहाई ही बचा है चावल: जिले के वेयर हाउस कॉरपोरेशन के गोदामों की भंडारण क्षमता 15,600 मीट्रिक टन है. लेकिन जिले में अभी 5000 मीट्रिक टन चावल ही बचा है. जिले में हर महीने 34888 क्विंटल चावल का उठाव और राशन दुकानों में भंडारण होता है. नियमों के अनुसार वेयरहाउस के गोदामों में किसी भी स्थिति में कुल उठाव का 3 माह का चावल भंडारित होना ही चाहिए. लेकिन जिले के राइस मिलों ने चावल जमा नहीं कराया. इस वजह से पूरी स्थिति बिगड़ गई है.
अधिकारी झाड़ रहे पड़ला: मामले को लेकर जिला खाद्य अधिकारी ने कहा कि "विभाग लगातार राइस मिलरों पर दबाव बना रहा है कि, वे चावल जमा करें, जिसके लिए मीटिंग्स भी की गई और नोटिस भी निकाली गई. लेकिन राइस मिलर चावल जमा नहीं कर रहे हैं. इसी वजह से ये स्थिति बनी है. प्रशासन और खाद्य विभाग लगातार मिलर्स पर दबाव बना रहा हैं कि 2 दिन के भीतर चावल जमा करें मिलर्स ने आश्वासन दिया है कि, जल्द से जल्द CMR का चावल जमा कर दिया जाएगा."
मिलर्स कर रहे टालमटोल: मामले के लेकर राइस मिलरों ने कहा कि 60 परसेंट धान में टूटन होने से चावल जमा नहीं हो पाया है, जिसे प्रशासन ने असंतुष्ट होकर इस जवाब को नकार दिया है. वहीं राइस मिलों में 80 मीट्रिक टन धान की कमी पाए जाने पर प्रशासन ने अब तक दोषी राइस मिलरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हुई है. जिसकी वजह से राइस राइस मिलर्स के हौसले बुलंद हैं. चावल की कमी के पीछे कयास लगाया जा रहा है कि, चावल उठाने के बाद या तो राइस मिलर्स ने चावल बेच दिया या DO एडजेस्टमेंट कराकर धान के पैसे ले लिए. इसी वजह से मिलों में धान की कमी हो गई और अब जिले में चावल की कमी बड़ी कमी हो गई है.