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MCB : करोड़ों के स्टॉप डैम में आई दरारें, घटिया निर्माण की खुली पोल

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले में निर्माणाधीन डौकीझरिया स्टॉप डैम की पोल बारिश से पहले ही खुल गई है. स्टॉप डैम में कई जगह दरारें आ गई हैं. वहीं अफसर अब मेंटनेंस में होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं.

Stop dam succumbed to corruption in Bharatpur
भरतपुर में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा स्टॉप डैम
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Published : May 1, 2023, 12:47 PM IST

एमसीबी : जल संसाधन विभाग की तरफ से 7 करोड़ की लागत सें जिले में स्टॉप डैम का निर्माण करवाया गया था. लेकिन इस स्टॉप डैम की पोल नौ महीने में ही खुल गई. आज यदि आप इस स्टॉप डैम पर नजरें दौड़ाएंगे तो हर जगह भ्रष्टाचार की दरार साफ दिखाई देगी. इस स्टॉप डैम का निर्माण ऐसे तो किसानों को पानी देने के लिए किया गया है.लेकिन ये कितना पानी देगा इसका अंदाजा इसकी हालत देखकर लगाया जा सकता है.

करोड़ों के स्टॉप डैम का बुरा हाल : जनकपुर भरतपुर विधानसभा के ग्राम चुटकी डौकीझरिया में जल संसाधन विभाग ने इस डैम का निर्माण किया है. काम अभी पूरा नहीं हुआ है,लेकिन डैम में काम के दौरान ही दरारें आ गईं.ऐसा नहीं है कि इस डैम को बनाने के लिए राशि की कोई कमी है. शासन की ओर से सात करोड़ का बजट स्वीकृत होने के बाद ही डैम बनाना शुरु हुआ. लेकिन ये सात करोड़ रुपए कहां जा रहे हैं ये नहीं दिख रहा.

अन्य स्टॉप डैम का भी हाल बुरा : ये सिर्फ एक स्टॉप डैम की बात होती तो कोई बात ना था.लेकिन जिले में जितने भी स्टॉप डैम का निर्माण हुआ है. सभी की कहानी एक जैसी है. डैम का निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की किल्लत को मिटाने और लगातार गिर रहे भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए किया गया है.लेकिन जिले के स्टॉप डैम पहली ही बारिश में पानी के साथ बह चुके हैं.जो भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है.

अफसर झाड़ रहे पल्ला : ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में बने स्टॉप डैम में मौजूदा समय में पानी नहीं बचा है.जबकि इनका निर्माण पानी को रोकने के लिए किया गया है.वहीं 7 करोड़ की लागत से बनाए गए डैम की जानकारी देते हुए एचएस गुप्ता ने बताया कि जो डैम बनाया गया है. उसका 10 साल तक मेंटेनेंस रहता है. उसे अभी सुधरवा दिया गया है .क्योंकि डैम के अगल-बगल मिट्टी ज्यादा मात्रा में होने की वजह से डैम के किनारे पर दरार आ गई थी.

ये भी पढ़ें- तहसीलदारों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

निर्माण के दौरान क्यों की गई अनदेखी : आपको बता दें कि अफसर अपनी बात कहकर मामले में पर्दा डालने की कोशिश करते हैं. डैम का मेंटनेंस 10 साल का भले ही हो लेकिन जब इसका निर्माण किया गया तो इस बात का ध्यान क्यों नहीं रखा गया.अब जब पानी भरने से मिट्टी बह रही है, डैम में दरारें आ रहीं है तो मेंटनेंस की बात कहकर अफसर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं.हकीकत तो ये है कि यदि निर्माण के समय ही डैम में भ्रष्टाचार ना होता तो ऐसी नौबत नहीं आती.

एमसीबी : जल संसाधन विभाग की तरफ से 7 करोड़ की लागत सें जिले में स्टॉप डैम का निर्माण करवाया गया था. लेकिन इस स्टॉप डैम की पोल नौ महीने में ही खुल गई. आज यदि आप इस स्टॉप डैम पर नजरें दौड़ाएंगे तो हर जगह भ्रष्टाचार की दरार साफ दिखाई देगी. इस स्टॉप डैम का निर्माण ऐसे तो किसानों को पानी देने के लिए किया गया है.लेकिन ये कितना पानी देगा इसका अंदाजा इसकी हालत देखकर लगाया जा सकता है.

करोड़ों के स्टॉप डैम का बुरा हाल : जनकपुर भरतपुर विधानसभा के ग्राम चुटकी डौकीझरिया में जल संसाधन विभाग ने इस डैम का निर्माण किया है. काम अभी पूरा नहीं हुआ है,लेकिन डैम में काम के दौरान ही दरारें आ गईं.ऐसा नहीं है कि इस डैम को बनाने के लिए राशि की कोई कमी है. शासन की ओर से सात करोड़ का बजट स्वीकृत होने के बाद ही डैम बनाना शुरु हुआ. लेकिन ये सात करोड़ रुपए कहां जा रहे हैं ये नहीं दिख रहा.

अन्य स्टॉप डैम का भी हाल बुरा : ये सिर्फ एक स्टॉप डैम की बात होती तो कोई बात ना था.लेकिन जिले में जितने भी स्टॉप डैम का निर्माण हुआ है. सभी की कहानी एक जैसी है. डैम का निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की किल्लत को मिटाने और लगातार गिर रहे भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए किया गया है.लेकिन जिले के स्टॉप डैम पहली ही बारिश में पानी के साथ बह चुके हैं.जो भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है.

अफसर झाड़ रहे पल्ला : ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में बने स्टॉप डैम में मौजूदा समय में पानी नहीं बचा है.जबकि इनका निर्माण पानी को रोकने के लिए किया गया है.वहीं 7 करोड़ की लागत से बनाए गए डैम की जानकारी देते हुए एचएस गुप्ता ने बताया कि जो डैम बनाया गया है. उसका 10 साल तक मेंटेनेंस रहता है. उसे अभी सुधरवा दिया गया है .क्योंकि डैम के अगल-बगल मिट्टी ज्यादा मात्रा में होने की वजह से डैम के किनारे पर दरार आ गई थी.

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निर्माण के दौरान क्यों की गई अनदेखी : आपको बता दें कि अफसर अपनी बात कहकर मामले में पर्दा डालने की कोशिश करते हैं. डैम का मेंटनेंस 10 साल का भले ही हो लेकिन जब इसका निर्माण किया गया तो इस बात का ध्यान क्यों नहीं रखा गया.अब जब पानी भरने से मिट्टी बह रही है, डैम में दरारें आ रहीं है तो मेंटनेंस की बात कहकर अफसर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं.हकीकत तो ये है कि यदि निर्माण के समय ही डैम में भ्रष्टाचार ना होता तो ऐसी नौबत नहीं आती.

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