कोरिया: कुदरत ने भले ही इन्हें आंखें नहीं दी हैं, लेकिन ये नेत्रहीन प्यार की आखों से एक- दूसरों को गले लगकर होली मना रहे है. मनेन्द्रगढ़ शहर में संचालित नेत्र दिव्यांग विद्यालय के बच्चों ने बड़े ही धूम-धाम से होली का त्यौहार मनाया.
जिले के मनेन्द्रगढ़ आमाखेरवा इलाके में संचालित नेत्र विद्यालय में लगभग 60 से अधिक दिव्यांग बच्चे रहते हैं. इन बच्चों में से कई बच्चे त्योहारों पर अपने घर चले जाते हैं, लेकिन वह दिव्यांग बच्चे जिनके परिजन बहुत दूर हैं और कई ऐसे बच्चे भी हैं जिनका कोई अपना नहीं है. ऐसे बच्चे त्योहारों पर स्कूल परिसर में ही त्यौहार मनाते हैं.
दिव्यांग बच्चों ने धूमधाम से मनाई होली
नेत्रहीन बच्चों के चेहरे पर खुशी साफ देखी जा रही थी. ये बच्चे रंगों में डूबे नजर आए. कुदरत ने भले ही इन्हें आंखें नहीं दी है लेकिन फिर भी यह रंगों का मिजाज अच्छी तरह समझते हैं.
होली का पर्व देता है भाईचारे को बढ़ावा
बच्चों का मानना है कि होली का त्यौहार एक ऐसा पर्व है जो हमें एक दूसरे से जोड़ता है. भाईचारे को बढ़ावा देता है, बच्चों को खुशी होती है. जब आसपास के लोग अपने परिवारजनों के साथ बच्चों से मिलने आते हैं.