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कोरिया: बहनों ने तिलक लगाकर की भाइयों के दीर्घायु होने की कामना

सोमवार को भाईदूज का पर्व स्नेह के साथ मनाया गया. बहनों ने तिलक लगाकर भाइयों के दीर्घायु होने की कामना की.भाई की आयु वृद्धि और सर्व कामना पूर्ति के साथ बहने इस पर्व को मनाती हैं. दीपावली के 2 दिन बाद इस पर्व को मनाया जाता है.

bhai dooj festival
भाइयों के दीर्घायु होने की कामना
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Published : Nov 16, 2020, 9:32 PM IST

कोरिया: भाई दूज के साथ ही पांच दिवसीय दीपोत्सव का समापन हो गया है. शुभ मुहूर्त में बहनों ने भाइयों को तिलक लगाकर उनके दीर्घायु होने की कामना की. भाईदूज जिसे यम द्वितीया नाम से भी जाना जाता है. भाई की आयु वृद्धि और सर्व कामना पूर्ति के साथ बहने इस पर्व को मनाती हैं. दीपावली के 2 दिन बाद इस पर्व को मनाया जाता है.

bhai dooj festival
भाईदूज पर्व

भाई दूज को लेकर कई कथाएं प्रचलित है. मुख्य रूप से इसका संबंध यमराज और यमुना से ही है. मान्यता है कि अति व्यस्त भगवान यमराज को अपनी बहन यमुना से मिलने का समय ही नहीं मिल पा रहा था. इस दिन बहन यमुना ने अपने भाई यमराज को घर आमंत्रित किया और उन्हें अपने हाथों से उत्तम भोजन खिलाया. जिससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन यमुना को वर मांगने को कहा. बहन यमुना ने मांगा कि इस तिथि पर जो भी भाई अपनी बहन के घर आकर तिलक कराएगा और उसके हाथों से भोजन ग्रहण करेगा उसे यम का डर नहीं रहेगा.

पढ़ें-भाईदूज की अनोखी परंपरा: यहां बहनें भाइयों को देती हैं श्राप, फिर जीभ में कांटा चुभाकर करती हैं प्रायश्चित

भगवान यमराज ने ऐसा ही वरदान दिया. वह तिथि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया थी, इसीलिए तभी से भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. इसे यम दुतिया के नाम से भी जाना जाता है. इसलिए कई स्थानों पर इस दिन भगवान यमराज और यमुना की भी पूजा की जाती है. इस बार भाईदूज के लिए केवल 2 घंटे 9 मिनट का ही शुभ मुहूर्त था. दोपहर 12:56 से लेकर दोपहर 3:06 तक शुभ मुहूर्त में बहनों ने भाइयों को तिलक लगाकर उनके लंबी आयु की कामना की.

कोरिया: भाई दूज के साथ ही पांच दिवसीय दीपोत्सव का समापन हो गया है. शुभ मुहूर्त में बहनों ने भाइयों को तिलक लगाकर उनके दीर्घायु होने की कामना की. भाईदूज जिसे यम द्वितीया नाम से भी जाना जाता है. भाई की आयु वृद्धि और सर्व कामना पूर्ति के साथ बहने इस पर्व को मनाती हैं. दीपावली के 2 दिन बाद इस पर्व को मनाया जाता है.

bhai dooj festival
भाईदूज पर्व

भाई दूज को लेकर कई कथाएं प्रचलित है. मुख्य रूप से इसका संबंध यमराज और यमुना से ही है. मान्यता है कि अति व्यस्त भगवान यमराज को अपनी बहन यमुना से मिलने का समय ही नहीं मिल पा रहा था. इस दिन बहन यमुना ने अपने भाई यमराज को घर आमंत्रित किया और उन्हें अपने हाथों से उत्तम भोजन खिलाया. जिससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन यमुना को वर मांगने को कहा. बहन यमुना ने मांगा कि इस तिथि पर जो भी भाई अपनी बहन के घर आकर तिलक कराएगा और उसके हाथों से भोजन ग्रहण करेगा उसे यम का डर नहीं रहेगा.

पढ़ें-भाईदूज की अनोखी परंपरा: यहां बहनें भाइयों को देती हैं श्राप, फिर जीभ में कांटा चुभाकर करती हैं प्रायश्चित

भगवान यमराज ने ऐसा ही वरदान दिया. वह तिथि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया थी, इसीलिए तभी से भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. इसे यम दुतिया के नाम से भी जाना जाता है. इसलिए कई स्थानों पर इस दिन भगवान यमराज और यमुना की भी पूजा की जाती है. इस बार भाईदूज के लिए केवल 2 घंटे 9 मिनट का ही शुभ मुहूर्त था. दोपहर 12:56 से लेकर दोपहर 3:06 तक शुभ मुहूर्त में बहनों ने भाइयों को तिलक लगाकर उनके लंबी आयु की कामना की.

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