कोरिया: जिले में किसान इन दिनों महुआ की खेती कर काफी लाभ उठा रहे हैं. महुआ के पेड़ का हर हिस्सा किसी न किसी काम आता है. इतना ही नहीं बल्कि इसके रोपण और रखरखाव करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती.
ग्रामीण भरी गर्मी होने के बाद भी अपने परिवार के साथ महुआ चुनने जाते हैं. वहीं ठीक एक महीने बाद इसी पेड़ से डोरी निकालते हैं. इसे बेच कर ग्रामीण बच्चों की पढ़ाई और कृषि जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में आने वाले खर्च को आसानी से पूरा कर लेते हैं. ग्रामीण इस दौरान फसल देने वाले प्रति पेड़ से 2 से 3 हजार तक की कमाई कर लेते हैं.
महुआ से लाभ
अच्छी बात ये है कि अन्य फसलों के उत्पादन में मेहनत करने की तरह इसमें मेहनत करने की आवश्यकता नहीं होती. न तो निराई, गुड़ाई करना पड़ता है और न ही तोड़ने की आवश्यकता पड़ती है. बल्कि महुआ के फल पकते ही पेड़ से अपने आप गिरने लगते हैं. इसे ग्रामीण चुनकर लाते हैं या महुआ को सुखाने और डोरी का छिलका निकालने के बाद बेचते हैं.
महुआ का उपयोग
महुआ पेड़ से फूल के रूप में महुआ और फल के नाम से डोरी मिलता है. महुआ को ग्रामीण पकवान के रूप में प्रयोग करते हैं. कई ग्रामीण डोरी से तेल निकालते हैं जिससे उन्हें साल भर के लिए घर में खर्च होने वाले तेल की पूर्ति हो जाती है.
हर हिस्से का होता है उपयोग
इतना ही नहीं बल्कि इस पेड़ का हर हिस्सा उपयोगी होता है. इसके पत्तों से जहां लोग दोना पत्तल बनाते हैं. वहीं इस पेड़ से इमारती लकड़ी भी बनती है. आयुर्वेद में भी इसका खास महत्व है. खाज-खुजली समेत अनेक चर्म रोगों में भी इसके छिलके को उबालकर बनाए गए पानी को इलाज के रूप में उपयोग करते हैं. इसके अन्य आयुर्वेदिक लाभ भी हैं.