एमसीबी : छत्तीसगढ़ सरकार ने महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क योजना शुरू की है. इस योजना से ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने में मदद मिलेगी. लेकिन मनेंद्रगढ़-चिरमिरी- भरतपुर जिले में इन रीपा पार्क में ताला लटका नजर आ रहा है. स्व सहायता समूह की महिलाएं रीपा सेंटर से नदारद हैं. लोकार्पण के बाद से यहां पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है.
कहां बना है रीपा सेंटर : पिपरिया ग्राम पंचायत में बने ग्रामीण औद्योगिक पार्क में मशीनें जस की तस पड़ी हैं. मनेंद्रगढ़ जिले के खडiवां ब्लॉक के दुबछोला रीपा का भी यही हाल है. महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) में स्व सहायता समूह की महिलाओं को पांच सेक्टर में उद्यमी बनाने के लिए जोड़ा गया है. इंडस्ट्रियल पार्क परिसर में फेब्रिकेशन, प्रोफाइल शीट मेकिंग, बोरी बैग मेकिंग, फ्लाई ऐश ब्रिक्स बनाना, पेवर ब्लॉक, पोल मेकिंग और पूजन सामग्री मेकिंग की यूनिट लगी हैं. लेकिन आधे से ज्यादा यूनिटों में मशीनरी ही नहीं है.
लोकार्पण के बाद सफेद हाथी साबित हो रहे सेंटर : लोकार्पण के बाद से अब तक एक भी प्रोडक्शन वर्क शुरू नहीं हुआ है. वहीं पिपरिया में फ्लाई ऐश ब्रिक्स यूनिट लगी है. लेकिन ईंटों की खरीदी बाहर से हो रही है. ब्रिक्स उत्पादन की मशीन यहां से उद्घाटन के बाद से गायब हो गई है. ऐसा ही हाल यहां लगी पेवर ब्लॉक मशीन यूनिट का है. यहां भी यूनिट लगी है, लेकिन मशीन नहीं है. दुबछोला रूरल पार्क परिसर में फ्लाई ऐश यूनिट लगी है.बावजूद इसके परिसर में भवन निर्माण कराने के लिए बाहर से फ्लाई ऐश ब्रिक्स खरीदा जा रहा है.
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क्या है प्रशासन का कहना : कलेक्टर पीएस ध्रुव से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि '' यहां पर छह रीपा केंद्र हैं. इन केंद्रों में मशीनें लाई गई थीं. फिर कुछ मशीनों को भरतपुर स्थानांतरित किया गया है. इंस्टालमेंट के तहत मशीनों को लाया जा रहा है. फिलहाल चार यूनिट यहां लगाए गए हैं. हफ्तेभर में यहां पर काम शुरू हो जाएगा. महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. ग्रामीण महिलाएं कर्मठ हैं. वे अच्छे से काम करेंगी. यहां बनने वाले उत्पादों को बाहर पहुंचाकर बेचने की व्यवस्था भी की जाएगी.''