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कोरिया: 'देसी फ्रिज' बनाने वालों का हुआ नुकसान, लॉकडाउन ने छीनी आमदनी

लॉकडाउन के कारण सभी काम-काज ठप हैं. इस वजह से हर छोटे बड़े व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ है, जिनमें से एक कुम्हार भी हैं, जो गर्मी के सीजन में मिट्टी के घड़े बेच कर अपना जीवनयापन करता है, लेकिन लॉकडाउन के कारण उन्हें काफी नुकसान हुआ है, जिससे वे काफी परेशान हैं. इसी तरह मध्यप्रदेश से कोरिया आए हुए कुम्हारों ने अपना दर्द बयां किया.

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Published : May 21, 2020, 4:09 PM IST

Updated : May 21, 2020, 4:27 PM IST

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लॉकडाउन ने छीनी कुम्हारों की आमदनी

कोरिया : इलेक्ट्रॉनिक फ्रिज से मुकाबला करने वाले चंदिया के घड़े और सुराही लॉकडाउन के बीच कुछ दिनों से मनेन्द्रगढ़ में सड़क किनारे दिखाई दे रहे हैं. गर्मी के सीजन में मिट्टी के घड़े और सुराही की मांग बढ़ जाती है. वहीं मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के चंदिया के घड़े और सुराही की कोरिया जिले में बहुत डिमांड रहती है. गर्मी के सीजन में यह बहुत इस्तेमाल होते हैं. लोग फ्रीज से ज्यादा मिट्टी के घड़ों और सुराही का पानी पीना पसंद करते हैं. गर्मी का सीजन आते ही सड़क किनारे चंदिया से आए लोग दुकान लगाते मिल जाते थे, लेकिन इस बार लॉकडाउन ने इनके व्यवसाय को प्रभावित किया और इनकी दुकान देर से सजी. बता दें कि मिट्टी से बने बर्तनों के क्षेत्र में चंदिया एक ब्रांड बन चुका है.

लॉकडाउन ने छीनी कुम्हारों की आमदनी

हर साल चंदिया से आकर मनेन्द्रगढ़ में लोग इसे बेचते हैं, क्योंकि जिले में इनकी बहुत ज्यादा डिमांड रहती है. इन दिनों लोग घर से निकल रहे हैं और सड़क किनारे लगी इन दुकानों में रुककर घड़े या सुराही की खरीदी कर रहे हैं. मिट्टी के घड़े में पानी ठंडा रहता है, जिसे पीने से इस तपती गर्मी से जल्दी राहत मिल जाती है. चंदिया के नाम से ही सभी घड़े सुराही बिक जाते हैं. चंदिया के मिट्टी की अलग ही खासियत है इसलिए कई सालों से लोगों में यहां के घड़ों की डिमांड ज्यादा होती है.

पढ़ें: राजधानी में सब्जी और फलों के दाम, देखें लिस्ट

लॉकडाउन ने किया नुकसान

मिट्टी से बने बर्तनों को चंदिया से लाकर बेचने वालों का कहना है कि घड़े में भरे पानी से मिट्टी की सौंधी खुशबू आती है, ये अच्छे होते हैं और इनमें पानी ठंडा रहता है. लॉकडाउन का असर इस व्यापार पर भी पड़ा है. ऐसे में इन्हें बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि तीन महीने पहले से गर्मी के सीजन के लिए ये बनाए जाते हैं और इस समय तक बिक जाते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण अब तक नहीं बिक सके हैं. इन्हें बेचने परिवार के साथ आए लोग सड़क किनारे छोटे-छोटे बच्चों को लेकर किसी तरह रहकर अपना जीवनयापन करते हैं.

कोरिया : इलेक्ट्रॉनिक फ्रिज से मुकाबला करने वाले चंदिया के घड़े और सुराही लॉकडाउन के बीच कुछ दिनों से मनेन्द्रगढ़ में सड़क किनारे दिखाई दे रहे हैं. गर्मी के सीजन में मिट्टी के घड़े और सुराही की मांग बढ़ जाती है. वहीं मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के चंदिया के घड़े और सुराही की कोरिया जिले में बहुत डिमांड रहती है. गर्मी के सीजन में यह बहुत इस्तेमाल होते हैं. लोग फ्रीज से ज्यादा मिट्टी के घड़ों और सुराही का पानी पीना पसंद करते हैं. गर्मी का सीजन आते ही सड़क किनारे चंदिया से आए लोग दुकान लगाते मिल जाते थे, लेकिन इस बार लॉकडाउन ने इनके व्यवसाय को प्रभावित किया और इनकी दुकान देर से सजी. बता दें कि मिट्टी से बने बर्तनों के क्षेत्र में चंदिया एक ब्रांड बन चुका है.

लॉकडाउन ने छीनी कुम्हारों की आमदनी

हर साल चंदिया से आकर मनेन्द्रगढ़ में लोग इसे बेचते हैं, क्योंकि जिले में इनकी बहुत ज्यादा डिमांड रहती है. इन दिनों लोग घर से निकल रहे हैं और सड़क किनारे लगी इन दुकानों में रुककर घड़े या सुराही की खरीदी कर रहे हैं. मिट्टी के घड़े में पानी ठंडा रहता है, जिसे पीने से इस तपती गर्मी से जल्दी राहत मिल जाती है. चंदिया के नाम से ही सभी घड़े सुराही बिक जाते हैं. चंदिया के मिट्टी की अलग ही खासियत है इसलिए कई सालों से लोगों में यहां के घड़ों की डिमांड ज्यादा होती है.

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लॉकडाउन ने किया नुकसान

मिट्टी से बने बर्तनों को चंदिया से लाकर बेचने वालों का कहना है कि घड़े में भरे पानी से मिट्टी की सौंधी खुशबू आती है, ये अच्छे होते हैं और इनमें पानी ठंडा रहता है. लॉकडाउन का असर इस व्यापार पर भी पड़ा है. ऐसे में इन्हें बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि तीन महीने पहले से गर्मी के सीजन के लिए ये बनाए जाते हैं और इस समय तक बिक जाते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण अब तक नहीं बिक सके हैं. इन्हें बेचने परिवार के साथ आए लोग सड़क किनारे छोटे-छोटे बच्चों को लेकर किसी तरह रहकर अपना जीवनयापन करते हैं.

Last Updated : May 21, 2020, 4:27 PM IST
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