कोरिया: बैकुंठपुर के रहने वाले अनुराग दुबे (Anurag Dubey) गौ सेवा (Cow Service) का पर्याय बन चुके हैं. अनुराग के परिवार के साथ कई गाय और बछड़े भी रहते हैं. पिछले दस सालों से उनका घर पूरी तरह से गौशाला (cowshed) बन चुका है. छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) की तरफ से गौवंशों के लिए शुरू की गई गौठान योजना (Gothan Yojana) के बाद उन्होंने गौशाला का नाम 'हमर गौठान' (Humer Gothan) कर दिया है.
अनुराग की गौशाला में उनकी केवल एक गाय है. लेकिन घर से लेकर बाल आश्रम तक एक दर्जन से अधिक गौवंश ऐसे हैं, जो सड़कों पर लावारिश घूमते मिले और पर्याप्त आहार न मिलने से कमजोर हो गए थे. इसके अलावा सड़क हादसे में घायल हो चुके गौवंश भी उनकी गौशाला में है. जिन्हें अपने यहां लाकर उनकी सेवा कर रहे हैं.
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पूरे जिले में अनुराग दुबे को गौसेवक के रूप में जाना जाता है. जहां कही भी गौवंशों के सड़क पर घायल होने और नाली या गड्ढे में फंस जाने की सूचना उन्हें मिलती है तो वह मौके पर पहुंचकर उसे बचाने का पूरा प्रयास करते है.
उन्होंने 'रोटी बैंक रिक्शा' (Roti Bank Rickshaw) नामक मुहिम भी चलाई है. जिसके माध्यम से शहर में रोजाना रिक्शे से अनुराग गली-गली जाते हैं और लोगों के घरों से रोटियां इक्ट्ठा करते हैं. जिसके बाद ये रोटियां अनुराग दुबे गौवंशों को खिलाते हैं. इस सेवा भाव को देखते हुए स्थानीय लोग अनुराग दुबे की तारीफ करते हैं.