कोरिया: भरतपुर जनपद पंचायत के जवारीटोला गांव और घोड़धरा में टिड्डी दल को खत्म करने के लिए दिन रात कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है. प्रशासन की पूरी टीम मौके पर मौजूद है. वहीं अधिकारियों का मानना है कि टिड्डियों का दल लगभग खत्म हो चुका है. ग्रामीणों से प्रशासन को यहां टिड्डियों के हमले की जानकारी मिली थी, जिसके बाद से प्रशासन अलर्ट पर है. प्रशासनिक अमला दवाइयों का छिड़काव करने में लगा हुआ है.
ग्रामीणों ने टिड्डों के दल की आने की जानकारी प्रशासन को दी थी, इसके बाद प्रशासन अलर्ट हो गया और दवाइयों का छिड़काव लगातार करा रहा है. दवाई के छिड़काव से बहुत से टिड्डे मारे गए हैं.
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सानी जनपद सदस्य का कहना है कि जो टिड्डे इस गांव में थे सभी पर उन्होंने दवाई का छिड़काव कर दिया था जिससे सभी टिड्डी मारे गए हैं और बहुत सारे टिड्डे जंगल की ओर भाग गए हैं.
वहीं अधिकारियों का कहना है कि जहां टिड्डियों का दल है, वहां दवाई का छिड़काव किया जा रहा है, जिससे लगभग सारे टिड्डे खत्म हो चुके हैं.
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क्या हैं टिड्डियां और कहां से आईं?
पूरी दुनिया में रेगिस्तानी टिड्डी के प्रकोप से लगभग तीन करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र प्रभावित है. इतने क्षेत्र में उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी अफ्रीकन देश, अरब देशों, अरेबियन पेनिनसुला, दक्षिणी सोवियत रूस, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत सहित करीब 64 देश शामिल हैं. सामान्य दिनों में जब इनका प्रभाव कम होता है तब भी यह 30 देशों के एक करोड़ 60 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में पाई जाती हैं.
रेगिस्तानी टिड्डियों का सबसे बड़ा हमला राजस्थान के जैसलमेर में 16 मई 2019 के बाद देखा गया. उस समय यह छितरी हुई अवस्था में थी. भारत सरकार के टिड्डी नियंत्रण एवं अनुसंधान विभाग के अनुसार, मई 2019 में 246 जगहों पर सर्वे किया गया था, जिनमें से 46 स्थानों पर टिड्डी पाई गई थी. बीकानेर जिले के कुछ इलाकों में भी टिड्डी दल देखे गए थे.