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Special: जिस गार्डन को कभी हरियाली के लिए मिला था सम्मान, वही सूख गया

हर्बल गार्डन को उम्मीदों के साथ बनाया गया था, जिसके लिए नगर पालिका प्रशासन को छत्तीसगढ़ सरकार ने सम्मानित किया था.लेकिन वही अब सूखते नजर आ रहे है.

हर्बल गार्डन
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Published : Mar 14, 2019, 2:36 PM IST

कोरिया: जिस हर्बल गार्डन को उम्मीदों के साथ बनाया गया था और जिसके लिए नगर पालिका प्रशासन को छत्तीसगढ़ सरकार ने सम्मानित किया था, वहीं हर्बल गार्डन प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है. यहां देख-रेख के अभाव में पेड़-पौधे सूख रहे हैं.

हर्बल गार्डन में पर्यटकों को लुभाने के लिए पत्थरों पर की गई नक्काशी भी अब धुंधली हो रही है. यहां सड़क और पानी की सुविधा भी आपको नहीं मिलेगी. न्यू इको टूरिज्म को बढ़ावा देने जड़ी-बूटियों के संरक्षण के उद्देश्य से हसदेव नदी के तट पर लगभग 15 साल पहले नगर पालिका प्रशासन द्वारा पंचमुखी हर्बल गार्डन का निर्माण कराया गया था.

सूख रहे हैं पेड़-पौधे
हसदेव नदी के तट पर सैकड़ों की संख्या में फलदार-फूलदार पेड़ों के साथ ही विभिन्न प्रकार के औषधीय गुणों से युक्त जड़ी बूटियों का संचय कर हर्बल प्लांट लगाए गए थे. पंचमुखी हनुमान मंदिर में कई पौधे लगाए गए थे.
इन हर्बल पौधों में आंवला, कुमारी, चिरायता, सर्पगंधा, जात, चमारा, पिपरमेंट, सफेद मुसली, आमा हल्दी जैसे हर्बल प्लांट के साथ आम, अमरूद, आंवला, बादाम, करौंदा के अलावा भी आकर्षक रंग बिरंगे फूलों के पौधे हर्बल गार्डन की शोभा में चार चांद लगाने के लिए लगाए गए थे.

पहले होता था रख-रखाव
पहले नगर पालिका द्वारा गार्डन का पर्याप्त रख-रखाव भी किया जाता था. लेकिन बीते कुछ सालों से हर्बल गार्डन की उपेक्षा किए जाने से यहां के ज्यादातर पौधे मर चुके हैं. वहीं पत्थरों पर की गई नक्काशी भी अपना अस्तित्व खो चुकी है.

सूख गए मंत्रियों के लगाए पौधे
पूजा-पाठ के लिए जाने वाले लोगों के विश्राम के लिए यहां लकड़ी का कॉटेज भी बनाया गया था, जो पूरी तरह से खराब हो चुका है. हर्बल गार्डन में हरिहर छत्तीसगढ़ अभियान के तहत कई बार हवेली उत्सव मनाया गया, जिसमें प्रदेश के कई कद्दावर मंत्री भी मौजूद रहे. उन्हीं मंत्रियों विधायकों पार्षदों और अधिकारियों के द्वारा लगाए गए पौधे मर चुके हैं और जो बचे भी हैं वह अंतिम सांसे गिन रहे हैं.

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कोरिया: जिस हर्बल गार्डन को उम्मीदों के साथ बनाया गया था और जिसके लिए नगर पालिका प्रशासन को छत्तीसगढ़ सरकार ने सम्मानित किया था, वहीं हर्बल गार्डन प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है. यहां देख-रेख के अभाव में पेड़-पौधे सूख रहे हैं.

हर्बल गार्डन में पर्यटकों को लुभाने के लिए पत्थरों पर की गई नक्काशी भी अब धुंधली हो रही है. यहां सड़क और पानी की सुविधा भी आपको नहीं मिलेगी. न्यू इको टूरिज्म को बढ़ावा देने जड़ी-बूटियों के संरक्षण के उद्देश्य से हसदेव नदी के तट पर लगभग 15 साल पहले नगर पालिका प्रशासन द्वारा पंचमुखी हर्बल गार्डन का निर्माण कराया गया था.

सूख रहे हैं पेड़-पौधे
हसदेव नदी के तट पर सैकड़ों की संख्या में फलदार-फूलदार पेड़ों के साथ ही विभिन्न प्रकार के औषधीय गुणों से युक्त जड़ी बूटियों का संचय कर हर्बल प्लांट लगाए गए थे. पंचमुखी हनुमान मंदिर में कई पौधे लगाए गए थे.
इन हर्बल पौधों में आंवला, कुमारी, चिरायता, सर्पगंधा, जात, चमारा, पिपरमेंट, सफेद मुसली, आमा हल्दी जैसे हर्बल प्लांट के साथ आम, अमरूद, आंवला, बादाम, करौंदा के अलावा भी आकर्षक रंग बिरंगे फूलों के पौधे हर्बल गार्डन की शोभा में चार चांद लगाने के लिए लगाए गए थे.

पहले होता था रख-रखाव
पहले नगर पालिका द्वारा गार्डन का पर्याप्त रख-रखाव भी किया जाता था. लेकिन बीते कुछ सालों से हर्बल गार्डन की उपेक्षा किए जाने से यहां के ज्यादातर पौधे मर चुके हैं. वहीं पत्थरों पर की गई नक्काशी भी अपना अस्तित्व खो चुकी है.

सूख गए मंत्रियों के लगाए पौधे
पूजा-पाठ के लिए जाने वाले लोगों के विश्राम के लिए यहां लकड़ी का कॉटेज भी बनाया गया था, जो पूरी तरह से खराब हो चुका है. हर्बल गार्डन में हरिहर छत्तीसगढ़ अभियान के तहत कई बार हवेली उत्सव मनाया गया, जिसमें प्रदेश के कई कद्दावर मंत्री भी मौजूद रहे. उन्हीं मंत्रियों विधायकों पार्षदों और अधिकारियों के द्वारा लगाए गए पौधे मर चुके हैं और जो बचे भी हैं वह अंतिम सांसे गिन रहे हैं.

Intro:कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ में हसदेव नदी के तट पर प्रदेश में अपनी तरह का पहला श्री पंचमुखी हर्बल गार्डन बनाया गया था । इस गार्डन के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा उस समय नगर पालिका प्रशासन को सम्मानित भी किया गया था । आज वही हर्बल गार्डन अब शासन प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेल रहा है देखरेख के अभाव में यहां के पेड़-पौधे सूख रहे हैं ।


Body:पर्यटकों को लुभाने के लिए पत्थरों पर की गई नक्काशी भी अब अंतिम सांसे गिन रही हैं । वहीं बिजली,पानी,सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं तो लगभग समाप्त हो चुकी हैं । न्यू इको टूरिज्म को बढ़ावा देने जड़ी बूटियों के संरक्षण के उद्देश्य हसदेव नदी के तट पर लगभग 15 वर्ष पूर्व नगरपालिका प्रशासन द्वारा पंचमुखी हर्बल गार्डन का निर्माण कराया गया था । हसदेव नदी के तट पर सैकड़ों की संख्या में फलदार फूलदार पेड़ों के साथ ही विभिन्न प्रकार के औषधीय गुणों से युक्त जड़ी बूटियों का संचय कर हर्बल प्लांट लगाए गए थे । पंचमुखी हनुमान मंदिर में कई पौधे लगाए गए थे । जिसमें आंवला, कुमारी, चिरायता ,सर्पगंधा जात ,चमारा ,पिपरमेंट ,सफेद मुसली, आमा हल्दी जैसे हर्बल प्लांट के साथ आम ,अमरूद ,आंवला ,बदाम ,करौंदा के अलावा भी आकर्षक रंग बिरंगे फूल हर्बल गार्डन की शोभा में चार चांद लगाने के लिए लगाए गए थे । पूर्व में नगर पालिका द्वारा गार्डन का पर्याप्त रखरखाव भी किया जाता था लेकिन बीते कुछ वर्षों से हर्बल गार्डन की उपेक्षा किए जाने से यहां के ज्यादातर पौधे मर चुके हैं । वहीं पत्थरों पर नकासी भी अपना अस्तित्व खो चुकी है। वही वर्षों पहले गार्डन के अंदर अधूरी छोड़ दी गई है। जिसे आज तक पूरा नहीं किया गया पूजा पाठ के लिए जाने वाले लोगों के विश्राम के लिए यहां लकड़ी का कोटेज भी बनाया गया था पूरी तरह से खराब हो चुका है । हर्बल गार्डन में हरिहर छत्तीसगढ़ अभियान के तहत कई बार हवेली उत्सव मनाया गया जिसमें प्रदेश के कई कद्दावर मंत्री भी मौजूद रहे उन्हीं मंत्रियों विधायकों पार्षदों और अधिकारियों के द्वारा लगाए गए पौधे मर चुके हैं और जो बचे भी हैं वह अंतिम सांसे गिन रहे ।
बाइट - धर्मेन्द्र पटवा ( पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष ,मनेंद्रगढ़,हाफ जैकेट)
बाइट - खेल कुमार पटेल ( मुख्य नगर पालिका अधिकारी, मनेंद्रगढ़,लाइनिंग शर्ट)


Conclusion:अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब तक उदासीन रहता है ।
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