कोरिया: जिस हर्बल गार्डन को उम्मीदों के साथ बनाया गया था और जिसके लिए नगर पालिका प्रशासन को छत्तीसगढ़ सरकार ने सम्मानित किया था, वहीं हर्बल गार्डन प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है. यहां देख-रेख के अभाव में पेड़-पौधे सूख रहे हैं.
हर्बल गार्डन में पर्यटकों को लुभाने के लिए पत्थरों पर की गई नक्काशी भी अब धुंधली हो रही है. यहां सड़क और पानी की सुविधा भी आपको नहीं मिलेगी. न्यू इको टूरिज्म को बढ़ावा देने जड़ी-बूटियों के संरक्षण के उद्देश्य से हसदेव नदी के तट पर लगभग 15 साल पहले नगर पालिका प्रशासन द्वारा पंचमुखी हर्बल गार्डन का निर्माण कराया गया था.
सूख रहे हैं पेड़-पौधे
हसदेव नदी के तट पर सैकड़ों की संख्या में फलदार-फूलदार पेड़ों के साथ ही विभिन्न प्रकार के औषधीय गुणों से युक्त जड़ी बूटियों का संचय कर हर्बल प्लांट लगाए गए थे. पंचमुखी हनुमान मंदिर में कई पौधे लगाए गए थे.
इन हर्बल पौधों में आंवला, कुमारी, चिरायता, सर्पगंधा, जात, चमारा, पिपरमेंट, सफेद मुसली, आमा हल्दी जैसे हर्बल प्लांट के साथ आम, अमरूद, आंवला, बादाम, करौंदा के अलावा भी आकर्षक रंग बिरंगे फूलों के पौधे हर्बल गार्डन की शोभा में चार चांद लगाने के लिए लगाए गए थे.
पहले होता था रख-रखाव
पहले नगर पालिका द्वारा गार्डन का पर्याप्त रख-रखाव भी किया जाता था. लेकिन बीते कुछ सालों से हर्बल गार्डन की उपेक्षा किए जाने से यहां के ज्यादातर पौधे मर चुके हैं. वहीं पत्थरों पर की गई नक्काशी भी अपना अस्तित्व खो चुकी है.
सूख गए मंत्रियों के लगाए पौधे
पूजा-पाठ के लिए जाने वाले लोगों के विश्राम के लिए यहां लकड़ी का कॉटेज भी बनाया गया था, जो पूरी तरह से खराब हो चुका है. हर्बल गार्डन में हरिहर छत्तीसगढ़ अभियान के तहत कई बार हवेली उत्सव मनाया गया, जिसमें प्रदेश के कई कद्दावर मंत्री भी मौजूद रहे. उन्हीं मंत्रियों विधायकों पार्षदों और अधिकारियों के द्वारा लगाए गए पौधे मर चुके हैं और जो बचे भी हैं वह अंतिम सांसे गिन रहे हैं.