कोरबा: शारदीय नवरात्र में पूरे देश में भक्तिमय माहौल है. श्रद्धालु देवी मंदिरों में माथा टेक रहे हैं. मां शक्ति से सुख, शांति और समृद्धि की कामना कर रहे हैं. मनोकामना पूरा करने के लिए मां के दरबार में दीप प्रज्ज्वलित करवा रहे हैं. ऐसा ही नजारा देखने को मिला चैतुरगढ़ के महिषासुर मर्दिनी दरबार में, यहां मां चैतुरगढ़ की दुर्गम पहाड़ियों पर विराजमान हैं.
पहाड़ी के शीर्ष पर 5 वर्ग मीटर का एक समतल क्षेत्र है, जहां पांच तालाब हैं. इनमें से तीन तालाब में पानी भरा है. नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं का जत्था प्रदेश के साथ ही पड़ोसी राज्यों से भी पहुंचता है और मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित कर मां से आशीर्वाद लेते हैं.
मंदिर की मान्यताएं
- मान्यता है कि महिषासुर मर्दिनी मंदिर को चैतुरगढ़ के किले में स्थापित किया गया है. यहां महिषासुर मर्दिनी की 18 भुजाओं वाली मूर्ति स्थापित है.
- मंदिर से 3 किमी की दूरी पर शंकर गुफा है. ये गुफा एक सुरंग की तरह है. इस गुफा का आकार बहुत छोटा होने के कारण इसमें लेटकर जाना पड़ता है.
- इस चैतुरगढ़ या लाफागढ़ किले की दीवारें एक समान न होने के कारण कई जगह छोटी तो कई जगह मोटी हैं. किले के द्वार बहुत ही खूबसूरत हैं.
- इसमें कई सारे स्तंभ और मूर्तियां भी हैं. यहां एक बड़ा गुबंद है, जो मजबूत स्तंभों पर टिका है. गुंबद को आधार देने के लिए पांच स्तंभ बनवाए गए हैं.
- किले के बगल में मौजूद पहाड़ी पर पांच तालाब हैं जो करीब 5 वर्ग किमी में फैले हैं.
- यह पहाड़ जलहल्ली पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है, जिसकी ऊंचाई लगभग 300 फीट है, यहां से निरंतर जल प्रवाहित होता रहता है और शिवजी की अष्ट मूर्ति झलकती है.