कोरबा : गणेशोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. ऐसे में कोरबा की महिला समूह की दीदियां इस बार (Eco friendly Ganesh ji idols with cow dung and natural colors) तैयार कर रही हैं. जिसे पूजा के बाद अपने बगीचे या गमले में विसर्जन कर खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है. पढ़िये ये विशेष रिपोर्ट...
किचन गार्डन, बगीचा या गमले में विसर्जित कर खाद बन जाएंगी ये मूर्तियां
गणपति बप्पा के आने की तैयारियां सभी कर रहे हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण (corona infection) का डर अभी भी खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में कोरबा की महिलाएं गोबर से छोटे और आकर्षक गणेशजी की मूर्तियां तैयार कर रही हैं. जिसे घर में विराजमान कर लोग गणपति की उपासना कर सकेंगे. यह कोरबा कलेक्टर रानू साहू के प्रयास का ही नतीजा है कि आज ग्राम धवईपुर की महिलाएं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करते हुए गोबर के आकर्षक ईको फ्रेंडली मूूर्तियां तैयार कर रही हैं. इस मूर्ति को उत्सव के बाद घर के किचन गार्डन, बगीचे या फिर गमले में विसर्जित कर उसे खाद के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है.
पहली बार बनाई जा रहीं गोबर की गणेश प्रतिमा
कटघोरा के धवईपुर में केंद्र सरकार की राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना के तहत समूह की महिलाओं को गणेश प्रतिमा बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. इसके बाद अब महिलाएं गोबर से गणेश जी की प्रतिमा तैयार कर आकर्षक प्राकृतिक रंगों से उन्हें विशेष रूप दे रही हैं. समूह की सदस्यों की मानें तो कोरोना काल और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहली बार गोबर से गणेश की प्रतिमा तैयार की जा रही है, जिसे जल्द ही बाजार में बेचकर समूह की दीदियां लाभ अर्जित करेंगी.
महिलाओं ने बीते साल गोबर के दीये भी बनाए थे
गौरतलब है कि इससे पहले धवईपुर महिला समूह की दीदियों ने दीपावली में गोबर के आकर्षक दीये तैयार किये थे, जिसे स्थानीय लोगों ने खूब पसंद किया था. इसके बाद अब ईको फ्रेंडली गोबर के गणेश प्रतिमा को भी लोग काफी पसंद कर रहे हैं. इन मूर्तियों को बेचकर ये महिलाएं पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के साथ ही आत्मनिर्भर भारत के सपने का साकार कर रही हैं.