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SPECIAL: बालको राखड़ डैम किसानों के लिए बना अभिशाप, खेत में खड़ी फसलें हुई बर्बाद

कोरबा के रोगबहरी गांव में बालको के राखड़ डैम से किसानों की फसल बर्बाद हो रही है. हर साल बरसात के मौसम में राखड़ डैम के तटबंध टूटते हैं. जिसके कारण रखड़ डैम छलक पड़ता है. उत्सर्जित राख किसानों के खेतों तक पहुंच जाता है. जिसके बाद खेतों की फसल बर्बाद हो जाती है. इस साल भी यहां यही हाल है.

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राखड़ डैम से बर्बाद हो रही फसल
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Published : Sep 4, 2020, 7:09 PM IST

Updated : Sep 5, 2020, 1:20 PM IST

कोरबा: बालको पावर प्लांट से निकलने वाले राख से किसानों की फसलें बर्बाद हो राही है. हर साल बरसात के मौसम में रखड़ डैम से बहकर यह राख किसानों की खड़ी फसलों पर कहर बनकर गिरती है. कई किसान इससे इतने त्रस्त हो चुके हैं कि उन्होंने इस इलाके में अब खेती करना ही छोड़ दिया है. जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम रोगबहरी के 32 किसानों की जमीन का अधिग्रहण कर बालको (भारत एल्युमिनियम कंपनी) ने अपने राखड़ डैम का निर्माण किया था. लगभग दो दशक पहले इसका निर्माण हुआ था.

बालको के राखड़ डैम से किसानों को नुकसान

किसानों आरोप है कि रखाड़ डैम के निर्माण में जितनी जमीन का अधिग्रहण होना था. वह तो प्रबंधन ने किया ही है. लेकिन जो जमीन आसपास रह गई वह भी फिलहाल किसी काम की नहीं रह गई है. बालको प्रबंधन की तरफ से रखड़ डैम का उचित संधारण नहीं किए जाने के कारण हर साल बरसात के मौसम में राखड़ डैम के तटबंध टूटते हैं. जिसके कारण रखड़ डैम छलक पड़ता है. उत्सर्जित राख किसानों के खेतों तक पहुंच जाता है.

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खेतों में घुसा राखड़ डैम का पानी

किसान कहते हैं कि खेत में राखड़ युक्त पानी के भर जाने से खेत पूरी तरह से बर्बाद हो जाते हैं. उनमें फसल नहीं उगाई जा सकती. एक बार जब राखड़ का पानी खेतों में जाता है. तब वहां बड़े-बड़े जंगली घास उग जाते हैं. खेत उपजाऊ भी नहीं रह जाती है. इतने बड़े घास की सफाई करना भी लगभग असंभव हो जाता है. कुछ किसानों ने इन जंगली घास के कारण खेती को अलविदा कह दिया है.

पढ़ें: कांकेर: नक्सलियों ने पटवारियों और रेंजर्स को दी जान से मारने की धमकी, लगाए बैनर

2 साल से छोड़ दी खेती
किसान जोहान सिंह का कहना है कि 2 साल पहले बालको के रोगबहरी में स्थित राखड़ डैम से राख युक्त पानी खेतों में भर गया था. जिसके बाद जंगली घास खेत में उग गए. यह बहुत तेजी से पूरे खेत में फैल गया. हमारे परिवार की ही लगभग 6 एकड़ जमीन थी, जिसमें से 3 एकड़ राखड़ डैम के लिए अधिग्रहित कर ली गई और शेष 3 एकड़ बची है. इसी 3 एकड़ की जमीन में राख युक्त पानी बह जाने से जंगली घांस उग आई है. अब खेत की सफाई संभव नहीं है. इसकी वजह से मैने 2 साल से खेती किसानी ही छोड़ दी है.

खड़ी फसल हो गई बर्बाद
रोगबहरी के किसान बहारन का कहना है कि खेत में दो बार राख युक्त पानी भर चुका है. इसके बाद भी इसकी सफाई कर किसी तरह धान का रोपा लगाया. लगभग 50 हजार रुपए खर्च हो गए. अब खेत में लगी फसल समय से पहले ही लाल हो गई है. अब इसमें किसी भी तरह की पैदावार नहीं होगी. खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है. अगर यह फसल पककर तैयार होती तो लगभग 40 से 50 बोरे का धान उत्पादन होता.

पढ़ें: बालोद: रायपुर-केवटी ट्रेन शुरू होने से लोगों में खुशी, वनांचलों में रहने वालों को मिलेगी सुविधा

हर साल होती है समस्या
प्रशासन का कहना है कि रोगबहरी के किसान हर साल बालको के राखड़ डैम से बहने वाली राख की शिकायत लेकर आते हैं. पूर्व में फसल नुकसान के एवज में किसानों को मुआवजा दिया जा चुका है. वर्तमान में भी पटवारी को सर्वे करने को कहा गया है. सर्वे की प्रक्रिया के कारण मुआवजे का प्रकरण अब भी लंबित हैं. हर साल यह समस्या बनी रहती है. यदि जरूरत पड़ी तो बालको पर कार्रवाई भी करेंगे.

बालको प्रबंधन से नहीं मिल सका जवाब
इस विषय में बालको प्रबंधन से ETV भारत ने संपर्क किया. फोन करने के साथ ही उन्हें टेक्स्ट मैसेज भी भेजा गया. लेकिन बालको प्रबंधन की ओर से इस विषय में कोई भी जवाब नहीं मिल सका है. बता दें बालको पहले सरकारी कंपनी हुआ करती थी. केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान बालको का निजीकरण किया गया. एलुमिनियम उत्पादन के लिए देश भर में कीर्तिमान स्थापित करने वाली कंपनी उन किसानों के साथ अन्याय कर रही है. जिनकी जमीनों का अधिग्रहण करके बालको ने अपना साम्राज्य खड़ा किया है. देखना ये होगा की आखिर किसानों को इस समस्या से कब तक राहत मिल पाती है.

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बालको की ओर से नहीं मिला जवाब

कोरबा: बालको पावर प्लांट से निकलने वाले राख से किसानों की फसलें बर्बाद हो राही है. हर साल बरसात के मौसम में रखड़ डैम से बहकर यह राख किसानों की खड़ी फसलों पर कहर बनकर गिरती है. कई किसान इससे इतने त्रस्त हो चुके हैं कि उन्होंने इस इलाके में अब खेती करना ही छोड़ दिया है. जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम रोगबहरी के 32 किसानों की जमीन का अधिग्रहण कर बालको (भारत एल्युमिनियम कंपनी) ने अपने राखड़ डैम का निर्माण किया था. लगभग दो दशक पहले इसका निर्माण हुआ था.

बालको के राखड़ डैम से किसानों को नुकसान

किसानों आरोप है कि रखाड़ डैम के निर्माण में जितनी जमीन का अधिग्रहण होना था. वह तो प्रबंधन ने किया ही है. लेकिन जो जमीन आसपास रह गई वह भी फिलहाल किसी काम की नहीं रह गई है. बालको प्रबंधन की तरफ से रखड़ डैम का उचित संधारण नहीं किए जाने के कारण हर साल बरसात के मौसम में राखड़ डैम के तटबंध टूटते हैं. जिसके कारण रखड़ डैम छलक पड़ता है. उत्सर्जित राख किसानों के खेतों तक पहुंच जाता है.

water of ash dam entered in fields
खेतों में घुसा राखड़ डैम का पानी

किसान कहते हैं कि खेत में राखड़ युक्त पानी के भर जाने से खेत पूरी तरह से बर्बाद हो जाते हैं. उनमें फसल नहीं उगाई जा सकती. एक बार जब राखड़ का पानी खेतों में जाता है. तब वहां बड़े-बड़े जंगली घास उग जाते हैं. खेत उपजाऊ भी नहीं रह जाती है. इतने बड़े घास की सफाई करना भी लगभग असंभव हो जाता है. कुछ किसानों ने इन जंगली घास के कारण खेती को अलविदा कह दिया है.

पढ़ें: कांकेर: नक्सलियों ने पटवारियों और रेंजर्स को दी जान से मारने की धमकी, लगाए बैनर

2 साल से छोड़ दी खेती
किसान जोहान सिंह का कहना है कि 2 साल पहले बालको के रोगबहरी में स्थित राखड़ डैम से राख युक्त पानी खेतों में भर गया था. जिसके बाद जंगली घास खेत में उग गए. यह बहुत तेजी से पूरे खेत में फैल गया. हमारे परिवार की ही लगभग 6 एकड़ जमीन थी, जिसमें से 3 एकड़ राखड़ डैम के लिए अधिग्रहित कर ली गई और शेष 3 एकड़ बची है. इसी 3 एकड़ की जमीन में राख युक्त पानी बह जाने से जंगली घांस उग आई है. अब खेत की सफाई संभव नहीं है. इसकी वजह से मैने 2 साल से खेती किसानी ही छोड़ दी है.

खड़ी फसल हो गई बर्बाद
रोगबहरी के किसान बहारन का कहना है कि खेत में दो बार राख युक्त पानी भर चुका है. इसके बाद भी इसकी सफाई कर किसी तरह धान का रोपा लगाया. लगभग 50 हजार रुपए खर्च हो गए. अब खेत में लगी फसल समय से पहले ही लाल हो गई है. अब इसमें किसी भी तरह की पैदावार नहीं होगी. खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है. अगर यह फसल पककर तैयार होती तो लगभग 40 से 50 बोरे का धान उत्पादन होता.

पढ़ें: बालोद: रायपुर-केवटी ट्रेन शुरू होने से लोगों में खुशी, वनांचलों में रहने वालों को मिलेगी सुविधा

हर साल होती है समस्या
प्रशासन का कहना है कि रोगबहरी के किसान हर साल बालको के राखड़ डैम से बहने वाली राख की शिकायत लेकर आते हैं. पूर्व में फसल नुकसान के एवज में किसानों को मुआवजा दिया जा चुका है. वर्तमान में भी पटवारी को सर्वे करने को कहा गया है. सर्वे की प्रक्रिया के कारण मुआवजे का प्रकरण अब भी लंबित हैं. हर साल यह समस्या बनी रहती है. यदि जरूरत पड़ी तो बालको पर कार्रवाई भी करेंगे.

बालको प्रबंधन से नहीं मिल सका जवाब
इस विषय में बालको प्रबंधन से ETV भारत ने संपर्क किया. फोन करने के साथ ही उन्हें टेक्स्ट मैसेज भी भेजा गया. लेकिन बालको प्रबंधन की ओर से इस विषय में कोई भी जवाब नहीं मिल सका है. बता दें बालको पहले सरकारी कंपनी हुआ करती थी. केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान बालको का निजीकरण किया गया. एलुमिनियम उत्पादन के लिए देश भर में कीर्तिमान स्थापित करने वाली कंपनी उन किसानों के साथ अन्याय कर रही है. जिनकी जमीनों का अधिग्रहण करके बालको ने अपना साम्राज्य खड़ा किया है. देखना ये होगा की आखिर किसानों को इस समस्या से कब तक राहत मिल पाती है.

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बालको की ओर से नहीं मिला जवाब
Last Updated : Sep 5, 2020, 1:20 PM IST
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