कोरबाः रिस्दी और आसपास के इलाकों में पावर प्लांट के लिए अधिग्रहित जमीन को किसानों को वापस दिलाने के लिए ग्रामीण प्रदर्शन कर रहे हैं. 27 साल पहले साउथ कोरियन कंपनी देवू ने कोरबा में प्लांट लगाने के लिए जमीन खरीदी थी. जिस जमीन का अब सीमांकन किया जा रहा है. जमीन का सीमांकन को लेकर मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. 15 मई को राजस्व अमले ने अचानक जमीन का सीमांकन शुरू कर दिया. जिसके बाद ग्रामीण इसका विरोध करने लगे है.
अब इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. माकपा के पदाधिकारी ग्रामीणों के साथ मिलकर बैठक कर रहे हैं. इसके साथ ही किसानों का समर्थन भी कर रहे हैं. कुछ ग्रामीणों ने इस मामले में राजस्व मंत्री और कोरबा विधायक जयसिंह अग्रवाल से भी मुलाकात की है. दूसरी ओर भाजपा के पूर्व गृह मंत्री और वर्तमान विधायक ननकीराम कंवर भी मौके पर पहुंचकर जमीन वापस दिलाने की मांग कर रहे हैं.
माकपा के पदाधिकारी ने की ग्रामीणों के साथ बैठक
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेता प्रशांत झा और दीपक साहू के नेतृत्व में किसान जमीन सीमांकन का विरोध कर रहे हैं. माकपा के पदाधिकारिओं ने किसानों के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर पुरजोर लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया है. माकपा नेताओं ने किसानों के साथ जाकर अधिग्रहित भूमि के लिए चल रहे सीमांकन को रोक दिया है. किसानों के भारी विरोध के बाद सीमांकन कार्य को रोकना पड़ा. बैठक के बाद किसान सभा के प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा है. प्रतिनिधि मंडल ने 5वीं अनुसूची, पेसा और भूमि अधिग्रहण कानून का हवाला देते हुए अधिग्रहित जमीन को मूल खातेदार किसानों को वापस करने की मांग की गई है.
कोरबा में देवू की अधिग्रहित जमीन को लेकर किसानों का प्रदर्शन
माकपा का आरोप बालको की है संलिप्तता
माकपा नेता प्रशांत झा और किसान सभा के नेता दीपक साहू ने आरोप लगाया है कि किसानों की भूमि कब्जाने की कोशिश में देवू के साथ बालको की भी मिलीभगत है. उन्होंने बताया कि अधिग्रहित भूमि पर खुदाई की देखरेख का काम बालको के अधिकारियों की निगरानी में किया जा रहा है. क्योंकि खुदाई स्थल पर बालको का स्टीकर लगी गाड़ियां भी खड़ी हो रही है. किसान सभा ने इन गाड़ियों की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर जारी की है. उन्होंने बताया कि इन गाड़ियों में बैठकर बालको के अधिकारी खुदाई का काम करा रहे हैं.
राजस्व मंत्री को भी सौंपा गया गया ज्ञापन
मामले को लेकर ग्राम रिस्दी के ग्रामीणों ने राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल को भी ज्ञापन सौंपा है. जिसमें उन्होंने देवू के अधिग्रहित जमीन को ग्रामीणों को वापस करने की मांग की है. ग्रामीणों ने साफ कहा है कि 27 वर्षों तक देवू यहां अपना उद्योग स्थापित नहीं कर सकी है. ऐसे में कंपनी के वादे भी अधूरे हैं. ऐसे में जमीन मूल निवासियों को वापस होनी चाहिए.
ननकीराम ने भी खोला मोर्चा
भाजपा शासन में गृह मंत्री रहे और वर्तमान में रामपुर क्षेत्र के भाजपा विधायक ननकीराम कंवर ने भी इस मामले में मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने ग्रामीणों से मुलाकात कर सरकार से जमीन वापस दिलाने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि देवू कंपनी पिछले 27 वर्ष से कहां थी. ऐसे में अधिग्रहित की गई जमीन को अब किसानों को वापस किया जाना चाहिए. वहीं तहसीलदार सुरेश साहू ने बताया कि वे देवू के आवेदन पर सिर्फ जमीन का सीमांकन कर रहे हैं. यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को गलतफहमी हुई है, इसलिए वह विरोध कर रहे हैं. यहां से किसी को बेदखल नहीं किया जा रहा है.