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कोयला खनन परियोजनाओं के खिलाफ मोरगा सम्मेलन में पहुंचे सैकड़ों ग्रामीण

हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा, पतुरिया, गिद्घमूड़ी और मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक प्रस्तावित है. ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं. प्रस्तवित कोल खनन परियोजनाओं के खिलाफ वनांचल ग्राम मोरगा में सम्मेलन आयोजित किया गया. जिसमें सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए हैं.

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कोयला खनन परियोजनाओं के खिलाफ मोरगा सम्मेलन
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Published : Feb 11, 2021, 9:08 PM IST

Updated : Feb 11, 2021, 9:28 PM IST

कोरबा: हसदेव अरण्य क्षेत्र में प्रस्तवित कोल खनन परियोजनाओं के खिलाफ वनांचल ग्राम मोरगा में सम्मेलन आयोजित किया गया. स्थानीय ग्रामीणों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. ग्रामीण नए कोयला खदानों का विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वह किसी भी कीमत पर अपनी जमीन अधिग्रहित नहीं होने देंगे. हमारे गांव संविधान की पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में शामिल हैं. पेसा कानून के तहत बिना ग्रामसभा की सहमति के भूमि अधिग्रहण नहीं हो सकता है. लेकिन केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय ने खनन कंपनियों के दवाब में जबरन भूमि अधिग्रहण की कोशिश शुरू कर दी है.

मोरगा सम्मेलन में पहुंचे सैकड़ों ग्रामीण

हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा, पतुरिया, गिद्घमूड़ी और मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक प्रस्तावित है. इसी क्षेत्र के ग्रामीण सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे थे. ग्रामीणों ने कोल ब्लॉक को निरस्त करने की मांग दोहराते हुए आगामी दिनों में रायपुर तक पदयात्रा का निर्णय लिया है. सम्मेलन में पोड़ी उपरोड़ा की जनपद अध्यक्ष संतोषी पेन्द्रों, वरिष्ठ किसान नेता आनंद मिश्रा, नंदकुमार कश्यप, जिला किसान संघ राजनादगांव से सुदेश टीकम, कोरबा से दीपक साहू, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला सहित 10 पंचायतों के सरपंच और जनपद सदस्य भी शामिल हुए.

fight against coal mining projects at korba
मोरगा सम्मेलन में पहुंचे सैकड़ों ग्रामीण

जल-जंगल और जमीन बचाने की लड़ाई

सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे केंदई के सरपंच रमेश मंझवार ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम अपना जल, जंगल और जमीन बचाने के लिए संकल्पित हैं. हम अपने क्षेत्र में 2015 से खदानों के विरोध में प्रस्ताव कर राज्य और केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपा है. इसके बावजूद सरकार हमारे पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में बिना ग्राम सभा से परामर्श किए खदानों को आवंटित कर रही है.

राज्यसभा में गूंजा कोल ब्लॉक का मुद्दा

साथ आएं किसान और मजदूर

पोड़ी उपरोडा की जनपद अध्यक्ष संतोषी पेंद्रो ने कहा कि हमारे क्षेत्र के भोले-भाले आदिवासियों को झूठे प्रलोभन देकर यहां कंपनी कोयला खदान पर नजर लगाए हुए हैं, लेकिन हम अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे. किसान संघ के सुदेश टेकाम ने कहा कि अपने संघर्ष को इसी तरह आगे बढ़ाना है. किसान और मजदूर को अपनी लड़ाई साथ मिल कर लड़नी होगी.

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने कहा कि हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति की पिछले 10 सालों के संघर्ष का नतीजा है कि आज भी इस क्षेत्र में खनन शुरू नहीं हो पाया है. विरोध के बाद ही कमर्शियल माइनिंग की नीलामी से 5 कोल ब्लॉक हटाए गए हैं. हमारी लड़ाई इस जंगल के साथ-साथ छत्तीसगढ़ को बचाने की लड़ाई है.

कोरबा: हसदेव अरण्य क्षेत्र में प्रस्तवित कोल खनन परियोजनाओं के खिलाफ वनांचल ग्राम मोरगा में सम्मेलन आयोजित किया गया. स्थानीय ग्रामीणों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. ग्रामीण नए कोयला खदानों का विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वह किसी भी कीमत पर अपनी जमीन अधिग्रहित नहीं होने देंगे. हमारे गांव संविधान की पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में शामिल हैं. पेसा कानून के तहत बिना ग्रामसभा की सहमति के भूमि अधिग्रहण नहीं हो सकता है. लेकिन केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय ने खनन कंपनियों के दवाब में जबरन भूमि अधिग्रहण की कोशिश शुरू कर दी है.

मोरगा सम्मेलन में पहुंचे सैकड़ों ग्रामीण

हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा, पतुरिया, गिद्घमूड़ी और मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक प्रस्तावित है. इसी क्षेत्र के ग्रामीण सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे थे. ग्रामीणों ने कोल ब्लॉक को निरस्त करने की मांग दोहराते हुए आगामी दिनों में रायपुर तक पदयात्रा का निर्णय लिया है. सम्मेलन में पोड़ी उपरोड़ा की जनपद अध्यक्ष संतोषी पेन्द्रों, वरिष्ठ किसान नेता आनंद मिश्रा, नंदकुमार कश्यप, जिला किसान संघ राजनादगांव से सुदेश टीकम, कोरबा से दीपक साहू, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला सहित 10 पंचायतों के सरपंच और जनपद सदस्य भी शामिल हुए.

fight against coal mining projects at korba
मोरगा सम्मेलन में पहुंचे सैकड़ों ग्रामीण

जल-जंगल और जमीन बचाने की लड़ाई

सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे केंदई के सरपंच रमेश मंझवार ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम अपना जल, जंगल और जमीन बचाने के लिए संकल्पित हैं. हम अपने क्षेत्र में 2015 से खदानों के विरोध में प्रस्ताव कर राज्य और केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपा है. इसके बावजूद सरकार हमारे पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में बिना ग्राम सभा से परामर्श किए खदानों को आवंटित कर रही है.

राज्यसभा में गूंजा कोल ब्लॉक का मुद्दा

साथ आएं किसान और मजदूर

पोड़ी उपरोडा की जनपद अध्यक्ष संतोषी पेंद्रो ने कहा कि हमारे क्षेत्र के भोले-भाले आदिवासियों को झूठे प्रलोभन देकर यहां कंपनी कोयला खदान पर नजर लगाए हुए हैं, लेकिन हम अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे. किसान संघ के सुदेश टेकाम ने कहा कि अपने संघर्ष को इसी तरह आगे बढ़ाना है. किसान और मजदूर को अपनी लड़ाई साथ मिल कर लड़नी होगी.

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने कहा कि हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति की पिछले 10 सालों के संघर्ष का नतीजा है कि आज भी इस क्षेत्र में खनन शुरू नहीं हो पाया है. विरोध के बाद ही कमर्शियल माइनिंग की नीलामी से 5 कोल ब्लॉक हटाए गए हैं. हमारी लड़ाई इस जंगल के साथ-साथ छत्तीसगढ़ को बचाने की लड़ाई है.

Last Updated : Feb 11, 2021, 9:28 PM IST
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