कोरबा: हसदेव अरण्य क्षेत्र में स्थित ग्राम पंचायत पतुरियाडांड जैव विविधता से परिपूर्ण है. यहां कोल ब्लॉक भी प्रस्तावित है. वर्षों से यह क्षेत्र विकास से अछूता रहा है. जंगली इलाका होने के कारण अक्सर ग्रामीणों का जीव जंतुओं से सामना हो जाता है. शनिवार की सुबह एक भालू गांव के समीप विचरण करता हुआ दिखाई दिया. भालू अक्सर शाम और रात के समय इस तरह से दिखता है. लेकिन शनिवार की सुबह भालू गांव के बेहद करीब आ गया था. जिससे ग्रामीणों में भय व्याप्त है.
पंचायत मुख्यालय तक पहुंचने के लिए भी सड़क नहीं
ग्राम पंचायत पतुरियाडांड़ जंगल, पहाड़, नदी नालों से चारों तरफ से घिरा हुआ है. कई बार जंगल के रास्तों से गुजरते हुए जंगली जानवरों से ग्रामीणों का सामना हो जाता है. रात में अक्सर पतुरिया, जामपानी के रास्ते में भालू और अन्य जानवर विचरण करते हैं. शनिवार की सुबह दिन में ही भालू को जामपानी के रास्ते में देखा गया है. ससे ग्रामीण डरे हुए हैं. बता दें यहां पंचायत मुख्यालय तक पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं है.
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गांव की जनसंख्या 1000 फिर भी नहीं हुआ विकास
ग्राम पंचायत पतुरियाडांड़ के सरपंच उमेश्वर सिंह आर्मो का कहना है कि ग्राम पंचायत की जनसंख्या लगभग एक हजार है. पतुरियाडांड़ मुख्य ग्राम है, जिसके दो मोहल्ले जामपानी और केरईहापारा हैं. पतुरियाडांड से जिनकी दूरी जंगल से गुजरते होते हुए चार किलोमीटर है. जामपानी और केरईहापारा की जनसंख्या 150 -156 है. यहां रोड नहीं होने के कारण अपने ही ग्राम पंचायत भवन, राशन दुकान, मिडिल स्कूल, हाईस्कूल, पहुंचने के लिए अन्य पंचायत मदनपुर से घुम कर 11 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करते हुए पंचायत में पहुंचते हैं.
ग्रामीणों को सड़क का इंतजार
रोड नहीं होने के कारण जामपानी और केरईहापारा के बच्चे अपने गांव में पांचवीं कक्षा पास कर आगे की पढ़ाई के लिए पांच किलोमीटर दूर सूरजपुर जिला के तारा ग्राम में हाईस्कूल की पढ़ाई करने के लिए जाना पड़ता है. जबकि हाईस्कूल अपने ही पंचायत पतुरियाडांड़ में है. जंगल के रास्ते आए तो खराब रोड के साथ ही जानवरों का भी डर बना रहता है. रोड निर्माण के लिए कई बार पत्राचार किया गया. पंचायत का प्रस्ताव भी जनपद से होते हुए जिला पंचायत को भेजा जा चुका है. लेकिन गांव में रोड तक नहीं बनी है.