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कोरबा: राख ने किया ग्रामीणों का जीना मुहाल - राख बांध कोरबा

सीएसईबी की डीएसपीएम परियोजना के तहत उत्सर्जित राख के भंडारण करने के लिए पंडरीपानी गांव में राख बांध बनाया गया है. राख की वजह से ग्रामीणों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

villagers facing problem due to ashes
राख ने किया ग्रामीणों का जीना मुहाल
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Published : Feb 12, 2021, 2:38 AM IST

Updated : Feb 12, 2021, 4:55 AM IST

कोरबा: वायु प्रदूषण की समस्या कोरबा जिले में काफी समय से बनी हुई है. बीते कई दशक से लोग इस समस्या से दो-चार हो रहे हैं. लोगों को बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. सीएसईबी की डीएसपीएम परियोजना के तहत उत्सर्जित राख के भंडारण करने के लिए पंडरीपानी गांव में राख बांध बनाया गया है. लोगों का कहना हैं कि बांध की स्थापना के बाद से ही उनकी दिक्कतें बढ़ गई है. राख ने जीना मुहाल कर रखा है. राख की वजह से कई तरह की बिमारियों का सामना उन्हें करना पड़ रहा है.

राख से ग्रामीण परेशान

ग्रामीणों का कहना है कि बांध बनाने के लिए 366 किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई. प्रबंधन ने मुआवजा तो दिया, लेकिन सभी को नौकरी नहीं दी. अभी भी आधे से ज्यादा लोग नौकरी के लिए भटक रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बांध से उड़ने वाली राख से वे परेशान है. कई बार सीएसईबी प्रबंधन को कहा जा चुका है. लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है.

बोधघाट परियोजना: 'विरोध करने वाले नहीं हैं आदिवासियों के हितैषी'

अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान

इससे पहले भी राखड़ से जुड़ी समस्याओं को लेकर लोग अपनी परेशानी अधिकारियों तक पहुंचा चुके हैं. ग्रामीणों को हर बार सिर्फ आश्वासन का झोला थमा दिया जाता है. गरमी यह समस्या और भी बढ़ेगी. देखना होगा कि ग्रामीणों का समस्या का हल कब तक हो पाता है.

कोरबा: वायु प्रदूषण की समस्या कोरबा जिले में काफी समय से बनी हुई है. बीते कई दशक से लोग इस समस्या से दो-चार हो रहे हैं. लोगों को बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. सीएसईबी की डीएसपीएम परियोजना के तहत उत्सर्जित राख के भंडारण करने के लिए पंडरीपानी गांव में राख बांध बनाया गया है. लोगों का कहना हैं कि बांध की स्थापना के बाद से ही उनकी दिक्कतें बढ़ गई है. राख ने जीना मुहाल कर रखा है. राख की वजह से कई तरह की बिमारियों का सामना उन्हें करना पड़ रहा है.

राख से ग्रामीण परेशान

ग्रामीणों का कहना है कि बांध बनाने के लिए 366 किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई. प्रबंधन ने मुआवजा तो दिया, लेकिन सभी को नौकरी नहीं दी. अभी भी आधे से ज्यादा लोग नौकरी के लिए भटक रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बांध से उड़ने वाली राख से वे परेशान है. कई बार सीएसईबी प्रबंधन को कहा जा चुका है. लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है.

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अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान

इससे पहले भी राखड़ से जुड़ी समस्याओं को लेकर लोग अपनी परेशानी अधिकारियों तक पहुंचा चुके हैं. ग्रामीणों को हर बार सिर्फ आश्वासन का झोला थमा दिया जाता है. गरमी यह समस्या और भी बढ़ेगी. देखना होगा कि ग्रामीणों का समस्या का हल कब तक हो पाता है.

Last Updated : Feb 12, 2021, 4:55 AM IST
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