कोरबा: छत्तीसगढ़ में कोरबा को ऊर्जाधानी के नाम से जाना जाता है. यहां कई छोटे-बड़े पावर प्लांट स्थापित है. जिसकी वजह से यहां प्रदूषण भी ज्यादा है. जिलेवासियों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कटघोरा विकासखंड के करीब 50 गांव राखड़ डैमों से प्रभावित है. यहां के स्थानीय नेता पिछले 5 साल से शासन और प्रबंधन के खिलाफ लड़ाई लड़ते आ रहे हैं. लेकिन आज तक इनकी सुध लेने कोई नहीं पहुंचा. उड़ते राखड़ के गुबार के कारण यहां निवास करने वाले ग्रामीणों को स्वास्थ्य संबंधी और दिनचर्या के कामों में कई तरह की दिक्कतें आ रही है.
अब स्थिति ये है कि यहां की राखड़ हवा के साथ कटघोरा शहर की ओर बढ़ रही है. जिससे लोगों को सांस लेने की समस्या होने लगी है. कटघोरा शहर और आसपास के क्षेत्र में हवा या आंधी चलने पर राखड़ पूरे क्षेत्र में फैल जाता है.
कोरबा के श्रीमार गांव में मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे ग्रामीण
स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा असर
धनरास की स्थानीय जनप्रतिनिधि और जिला पंचायत अध्यक्ष शिवकला छत्रपाल कंवर ने आरोप लगाया है कि क्षेत्र में NTPC का राखड़ डैम स्थित है. लगभग 5 से 6 साल से यहां के ग्रामीण गर्मी में राखड़ उड़ने से काफी परेशान है. जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है. यहां का पानी पीने से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों और बड़ों के दांत भी खराब हो रहे हैं. इस विषय को लेकर NTPC प्रबंधन से कई बार चर्चा हो चुकी है, लेकिन प्रबंधन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.
राखड़ के साथ जीने को मजबूर ग्रामीण
कटघोरा जनपद उपाध्यक्ष गोविंद सिंह कंवर ने बताया कि आसपास के गांव राखड़ से सबसे ज्यादा प्रभावित है. जिसमें धनरास, सलिहाभाठा, लोतलोता, नवागांव कला सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र है. यहां के ग्रामीण राखड़ के साथ जीने को मजबूर हैं. जिला प्रशासन को इस समस्या पर गंभीर होने की आवश्यकता है. वहीं इस मसले पर प्रबंधन के अधिकारियों ने जवाब देने के लिए मना कर दिया.