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सरकार ने जिस जगह हेलीकॉप्टर उतारने का दिखाया सपना, वहां सड़क के लिए संघर्ष कर रहे स्थानीय लोग - सड़क के लिए ग्रामीणों का चक्काजाम

मशहूर पर्यटन स्थल सतरेंगा (Tourist Place Satrenga) तक जाने वाली जर्जर सड़क के जीर्णोद्धार के लिए ग्रामीणों ने गुरुवार को अजगरबहार के समीप चक्काजाम कर दिया है.

Villagers demonstrated for road construction
सड़क के लिए चक्काजाम
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Published : Nov 25, 2021, 1:39 PM IST

कोरबा: जिले के साथ ही प्रदेश भर में ख्याति प्राप्त कर चुके मशहूर पर्यटन स्थल सतरेंगा (Tourist Place Satrenga) तक जाने वाली जर्जर सड़क के जीर्णोद्धार के लिए ग्रामीणों ने गुरुवार को अजगरबहार के समीप चक्का जाम कर दिया है. स्थानीय ग्रामीण व जनप्रतिनिधि सतरेंगा पहुंच मार्ग के एक दशक से जर्जर हालत पर आक्रोशित हैं.

Villagers demonstrated for road construction
सड़क के लिए चक्काजाम

जिन्होंने कम से कम पानी छिड़काव करने की मांग प्रशासन के समक्ष रखी थी. लेकिन वह मांग भी पूरी नहीं हुई है. सतरेंगा की सड़क नहीं बन पाई, लेकिन पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने यहां के ग्रामीणों को हेलीकॉप्टर का सपना जरूर दिखा दिया है. सतरेंगा में सरकार हेलीकॉप्टर से पर्यटन कराने का सपना दिखा रही है, लेकिन जमीन पर एक ठीक-ठाक सड़क भी नसीब नहीं हो रही है. जिसके लिए ग्रामीण अब आंदोलनरत हैं.

समाझिये सतरेंगा रॉड की कहानी

सतरेंगा में विश्वस्तरीय सुविधाएं डेवलप कर वॉटर स्पोर्ट्स, कॉटेज सहित गोआ की तर्ज पर क्रूस उतारने की तैयारी है. लेकिन विडंबना यह है कि सतरेंगा तक जाने वाले 37 किलोमीटर के पहुंच मार्ग का एक दशक से मरम्मत का काम रूका पड़ा है. लोग हिचकोले खाते हुए जर्जर सड़क से सतरेंगा पहुंचते हैं. ऐसे में यहां हेलीकॉप्टर उतारने की बात साकार होगी या फिर नहीं, इस पर प्रश्न चिन्ह लगा है. वर्तमान की कांग्रेस सरकार हो या पिछली भाजपा सरकार, किसी ने भी यहां गुणवत्तापूर्ण सड़क निर्माण पर ध्यान नहीं दिया है. ऐसे में लोगों को अब सतरेंगा में हेलीकॉप्टर का इंतजार है.

सतरेंगा जाने वाले सड़क का निर्माण एक दशक पहले हुआ था. सड़क अब लगभग पूरी तरह से उखड़ चुकी है. स्थानीय प्रशासन की किरकिरी होने के बाद रूमगड़ा से सतरेंगा तक के 37 किलोमीटर सड़क बनाने का टेंडर जारी किया गया है. जिसकी लागत 23 करोड़ 37 लाख रुपये हैं. सतरेंगा तक पहुंचने के लिए 5.5 मीटर चौड़ीकरण डामरीकृत सड़क का निर्माण किया जाएगा. जिसे पूरा करने की अवधि 10 फरवरी 2022 निर्धारित है.

अधूरे बाइपास पर तीन दिन में दूसरी बार चक्काजाम

सतरेंगा को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल बनाने के लिए नए सिरे से विकसित किया जा रहा है. लेकिन इनके पहले भी सालों से यह स्थान जिले वासियों के लिए एक मनोरम स्थल रहा है. यहां तक पहुंचने के लिए पहली बार 2003-04 में 13 करोड़ की लागत से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) के अंतर्गत सिंगल लेन सड़क का निर्माण किया गया था. इसके बाद बीच-बीच में मरम्मत का काम भी होता रहा. सड़क जब पूरी तरह से उखड़ गई तब 2013 में इसका नवीनीकरण नए सिरे से किया गया था.

भारी-भरकम वाहनों के आवागमन से 2013 में निर्मित सड़क उखड़ने लगी. सड़क निर्माण के 5 साल तक उसके संधारण की जिम्मेदारी भी संबंधित ठेकेदार की रहती है. लेकिन इस बीच ठेकेदार की गारंटी विभाग में फंस गई. पेंच ऐसा फंसा कि 2013 के बाद सतरेंगा पहुंचने के लिए वाले सड़क की मरम्मत तक नहीं हो सकी है.

Villagers demonstrated for road construction
सड़क के लिए चक्काजाम

वाहनों का दबाव बढ़ा, ग्रामीण झेल रहे धूल प्रदूषण

फिलहाल जिले की कलेक्टर रानू साहू हैं. जिनकी सतरेंगा के डेवलपमेंट में खास दिलचस्पी है. इसके पहले कोरबा जिले में कलेक्टर रही किरण कौशल ने सतरेंगा को कोरबा की पहचान के तौर पर विकसित किया था. लेकिन पहुंच मार्ग नहीं बनवा सकीं. सतरेंगा का खूब प्रचार प्रसार हुआ. जिसके कारण अब लोग ना सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी सतरेंगा पहुंचने लगे हैं. वहीं पहुंच मार्ग पर वाहनों का दबाव बढ़ा है. लेकिन रोड बेहद जर्जर है, ग्रामीण इससे बेहद आक्रोशित हैं.

उनका कहना है कि जर्जर सड़क होने से रोड से धूल और प्रदूषण बढ़ रहा है. जिससे उनका जीना दुश्वार हो रहा है. स्थानीय प्रशासन को तेज गति से सतरेंगा में सड़क का निर्माण करा देना चाहिए था. लेकिन यह अधूरा है जो प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है. ग्रामीण अब सड़क पर उतर आए हैं, जिन्होंने अजगरबाहर के समीप मार्ग को जाम कर दिया है.

सड़क मरम्मत के लिए किया

मौके पर पहुंचे बालको टीआई राकेश मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि अजगरबहार के समीप सतरेंगा पहुंच मार्ग की मरम्मत और पानी छिड़काव की मांग को लेकर ग्रामीणों में चक्का जाम कर दिया है. जाम पिछले 2 घंटे से जारी है, ग्रामीणों को लगातार समझाइश दी जा रही है कि वह चक्का जाम ना करें.

कोरबा: जिले के साथ ही प्रदेश भर में ख्याति प्राप्त कर चुके मशहूर पर्यटन स्थल सतरेंगा (Tourist Place Satrenga) तक जाने वाली जर्जर सड़क के जीर्णोद्धार के लिए ग्रामीणों ने गुरुवार को अजगरबहार के समीप चक्का जाम कर दिया है. स्थानीय ग्रामीण व जनप्रतिनिधि सतरेंगा पहुंच मार्ग के एक दशक से जर्जर हालत पर आक्रोशित हैं.

Villagers demonstrated for road construction
सड़क के लिए चक्काजाम

जिन्होंने कम से कम पानी छिड़काव करने की मांग प्रशासन के समक्ष रखी थी. लेकिन वह मांग भी पूरी नहीं हुई है. सतरेंगा की सड़क नहीं बन पाई, लेकिन पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने यहां के ग्रामीणों को हेलीकॉप्टर का सपना जरूर दिखा दिया है. सतरेंगा में सरकार हेलीकॉप्टर से पर्यटन कराने का सपना दिखा रही है, लेकिन जमीन पर एक ठीक-ठाक सड़क भी नसीब नहीं हो रही है. जिसके लिए ग्रामीण अब आंदोलनरत हैं.

समाझिये सतरेंगा रॉड की कहानी

सतरेंगा में विश्वस्तरीय सुविधाएं डेवलप कर वॉटर स्पोर्ट्स, कॉटेज सहित गोआ की तर्ज पर क्रूस उतारने की तैयारी है. लेकिन विडंबना यह है कि सतरेंगा तक जाने वाले 37 किलोमीटर के पहुंच मार्ग का एक दशक से मरम्मत का काम रूका पड़ा है. लोग हिचकोले खाते हुए जर्जर सड़क से सतरेंगा पहुंचते हैं. ऐसे में यहां हेलीकॉप्टर उतारने की बात साकार होगी या फिर नहीं, इस पर प्रश्न चिन्ह लगा है. वर्तमान की कांग्रेस सरकार हो या पिछली भाजपा सरकार, किसी ने भी यहां गुणवत्तापूर्ण सड़क निर्माण पर ध्यान नहीं दिया है. ऐसे में लोगों को अब सतरेंगा में हेलीकॉप्टर का इंतजार है.

सतरेंगा जाने वाले सड़क का निर्माण एक दशक पहले हुआ था. सड़क अब लगभग पूरी तरह से उखड़ चुकी है. स्थानीय प्रशासन की किरकिरी होने के बाद रूमगड़ा से सतरेंगा तक के 37 किलोमीटर सड़क बनाने का टेंडर जारी किया गया है. जिसकी लागत 23 करोड़ 37 लाख रुपये हैं. सतरेंगा तक पहुंचने के लिए 5.5 मीटर चौड़ीकरण डामरीकृत सड़क का निर्माण किया जाएगा. जिसे पूरा करने की अवधि 10 फरवरी 2022 निर्धारित है.

अधूरे बाइपास पर तीन दिन में दूसरी बार चक्काजाम

सतरेंगा को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल बनाने के लिए नए सिरे से विकसित किया जा रहा है. लेकिन इनके पहले भी सालों से यह स्थान जिले वासियों के लिए एक मनोरम स्थल रहा है. यहां तक पहुंचने के लिए पहली बार 2003-04 में 13 करोड़ की लागत से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) के अंतर्गत सिंगल लेन सड़क का निर्माण किया गया था. इसके बाद बीच-बीच में मरम्मत का काम भी होता रहा. सड़क जब पूरी तरह से उखड़ गई तब 2013 में इसका नवीनीकरण नए सिरे से किया गया था.

भारी-भरकम वाहनों के आवागमन से 2013 में निर्मित सड़क उखड़ने लगी. सड़क निर्माण के 5 साल तक उसके संधारण की जिम्मेदारी भी संबंधित ठेकेदार की रहती है. लेकिन इस बीच ठेकेदार की गारंटी विभाग में फंस गई. पेंच ऐसा फंसा कि 2013 के बाद सतरेंगा पहुंचने के लिए वाले सड़क की मरम्मत तक नहीं हो सकी है.

Villagers demonstrated for road construction
सड़क के लिए चक्काजाम

वाहनों का दबाव बढ़ा, ग्रामीण झेल रहे धूल प्रदूषण

फिलहाल जिले की कलेक्टर रानू साहू हैं. जिनकी सतरेंगा के डेवलपमेंट में खास दिलचस्पी है. इसके पहले कोरबा जिले में कलेक्टर रही किरण कौशल ने सतरेंगा को कोरबा की पहचान के तौर पर विकसित किया था. लेकिन पहुंच मार्ग नहीं बनवा सकीं. सतरेंगा का खूब प्रचार प्रसार हुआ. जिसके कारण अब लोग ना सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी सतरेंगा पहुंचने लगे हैं. वहीं पहुंच मार्ग पर वाहनों का दबाव बढ़ा है. लेकिन रोड बेहद जर्जर है, ग्रामीण इससे बेहद आक्रोशित हैं.

उनका कहना है कि जर्जर सड़क होने से रोड से धूल और प्रदूषण बढ़ रहा है. जिससे उनका जीना दुश्वार हो रहा है. स्थानीय प्रशासन को तेज गति से सतरेंगा में सड़क का निर्माण करा देना चाहिए था. लेकिन यह अधूरा है जो प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है. ग्रामीण अब सड़क पर उतर आए हैं, जिन्होंने अजगरबाहर के समीप मार्ग को जाम कर दिया है.

सड़क मरम्मत के लिए किया

मौके पर पहुंचे बालको टीआई राकेश मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि अजगरबहार के समीप सतरेंगा पहुंच मार्ग की मरम्मत और पानी छिड़काव की मांग को लेकर ग्रामीणों में चक्का जाम कर दिया है. जाम पिछले 2 घंटे से जारी है, ग्रामीणों को लगातार समझाइश दी जा रही है कि वह चक्का जाम ना करें.

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