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10 साल पहले अधिग्रहित भूमि का आज पुरानी दर से दे रहे हैं मुआवजा, ग्रामीणों ने की कलेक्टर से शिकायत

कोरबा के कटघोरा में ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अधिग्रहित जमीन वापस करने की मांग की है. 10 साल पहले अधिग्रहित की गई जमीन का पुराने दर से मुआवजा देने की ग्रामीणों ने शिकायत की है.

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Published : Nov 11, 2020, 12:39 PM IST

villager complained to the Collector for  Acquired land in korba
ग्रामीण

कोरबा: विकासखंड कटघोरा के पाली ग्राम पंचायत और पडनिया के ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अधिग्रहित जमीन वापस करने की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि 10 साल पहले अधिग्रहित जमीन का मुआवजा पुरानी दर से दिया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि SECL एक दशक पहले अधिग्रहित भूमि का पुरानी दर से मुआवजा दे रहा है. जबकि हाल-फिलहाल में जहां की जमीन का अधिग्रहण किया गया है, वहां वर्तमान भाव पर जमीन का मुआवजा प्रदान किया जा रहा है. यह हमारे साथ अन्याय है, इसलिए हमें इस प्रक्रिया से मुक्त रखा जाए. हम अपनी जमीन को वापस पाना चाहते हैं.

कलेक्टर से ग्रामीणों की मांग

पाबंदी हटाने की मांग
ग्रामीणों की मांग है कि ग्राम पंचायत पाली और पडनिया के ग्रामों की जमीन की खरीदी और बिक्री पर लगाई गई पाबंदी को हटा दिया जाए. किसानों का कहना है कि उक्त गांवों की जमीन का अधिग्रहण 2009 में SECL कुसमुंडा परियोजना के लिए किया गया था. तभी से उस भूमि की खरीदी बिक्री पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है, लेकिन प्रबंधन ने किसानों को मुआवजा उस समय नहीं दिया था और अभी 2020 में 10 साल के बाद SECL प्रबंधन मुआवजा दे रहा है, लेकिन दस साल पुरानी दर पर.

पढ़ें- कोरबा: सड़क की समस्याओं को लेकर जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने किया चक्काजाम


किसानों के साथ छलावा!

पाली को छोड़कर सभी गांवों की जमीन का मुआवजा आज की दर से दिया जा रहा है. सिर्फ पाली ग्राम पंचायत क्षेत्र की जमीन को 2008 के बाजार दर के नियम से भुगतान किया जा रहा है. जिससे नाराज किसान कलेक्टर से जमीन वापस या नई दर से मुआवजे की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा ग्रामीणों की मांग है कि बीते 10 साल से जमीन खरीद-बिक्री पर लगई रोक को हटा दिया जाए.

कोरबा: विकासखंड कटघोरा के पाली ग्राम पंचायत और पडनिया के ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अधिग्रहित जमीन वापस करने की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि 10 साल पहले अधिग्रहित जमीन का मुआवजा पुरानी दर से दिया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि SECL एक दशक पहले अधिग्रहित भूमि का पुरानी दर से मुआवजा दे रहा है. जबकि हाल-फिलहाल में जहां की जमीन का अधिग्रहण किया गया है, वहां वर्तमान भाव पर जमीन का मुआवजा प्रदान किया जा रहा है. यह हमारे साथ अन्याय है, इसलिए हमें इस प्रक्रिया से मुक्त रखा जाए. हम अपनी जमीन को वापस पाना चाहते हैं.

कलेक्टर से ग्रामीणों की मांग

पाबंदी हटाने की मांग
ग्रामीणों की मांग है कि ग्राम पंचायत पाली और पडनिया के ग्रामों की जमीन की खरीदी और बिक्री पर लगाई गई पाबंदी को हटा दिया जाए. किसानों का कहना है कि उक्त गांवों की जमीन का अधिग्रहण 2009 में SECL कुसमुंडा परियोजना के लिए किया गया था. तभी से उस भूमि की खरीदी बिक्री पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है, लेकिन प्रबंधन ने किसानों को मुआवजा उस समय नहीं दिया था और अभी 2020 में 10 साल के बाद SECL प्रबंधन मुआवजा दे रहा है, लेकिन दस साल पुरानी दर पर.

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किसानों के साथ छलावा!

पाली को छोड़कर सभी गांवों की जमीन का मुआवजा आज की दर से दिया जा रहा है. सिर्फ पाली ग्राम पंचायत क्षेत्र की जमीन को 2008 के बाजार दर के नियम से भुगतान किया जा रहा है. जिससे नाराज किसान कलेक्टर से जमीन वापस या नई दर से मुआवजे की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा ग्रामीणों की मांग है कि बीते 10 साल से जमीन खरीद-बिक्री पर लगई रोक को हटा दिया जाए.

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