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कोरबा में मिनी सीडलिंग यूनिट से सब्जी की पैदावार, किसानों को मिलेगा लाभ - कोरबा में मिनी सीडलिंग यूनिट

कोरबा में किसान अब मिनी सीडलिंग यूनिट के माध्यम से सब्जी की पैदावार करने वाले हैं. इस प्रक्रिया में किसानों को सीधे अंकुरित पौधे मिलेंगे जिससे 95 फीसद पौधे तैयार हो जाते हैं. इसमें बीज की मत्यु दर भी न के बराबर होती है. (Vegetable production from mini seedling unit in Korba )

mini seedling unit
मिनी सीडलिंग यूनिट
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Published : Jun 23, 2022, 8:00 PM IST

कोरबा: कोरबा के किसान मिनी सीडलिंग यूनिट से अब सब्जी की पैदावार कर लाभ कमा सकते हैं. दरअसल, उद्यानिकी विभाग के मिनी प्लक टाइप सीडलिंग यूनिट से किसानों को सीधे अंकुरित पौधे मिलेंगे. इसे स्थानीय बोली में किसान "थरहा" कहते हैं. उद्यानिकी विभाग ने इस तरह के दो यूनिट पताड़ी और पंडरीपानी में लगाये हैं. जहां से किसानों को इसका लाभ मिल रहा (vegetable production from mini seedling unit in korba) है.

कोरबा में मिनी सीडलिंग यूनिट

इस प्रक्रिया में बीज की मृत्यु दर होगी कम: बताया जा रहा है कि जब खेतों में बीज छिड़ककर फसल तैयार की जाती है. तब बीज से अंकुरित होने वाले पौधे 60 से 65 फीसद ही होती है. जबकि सीडलिंग यूनिट ने पारंपरिक खेती की पद्धति को और भी उन्नत बनाने का प्रयास किया है. जिसके द्वारा बीज से 95 फीसद पौध तैयार हो जाते हैं. बीज की मृत्यु दर काफी कम है. किसानों की मेहनत को बेहतर परिणाम में परिवर्तित करने के लिए उद्यानिकी विभाग न्यूनतम दरों पर किसानों को थरहा उपलब्ध करा रहा है.

इस तरह बढ़ेगी उत्पादकता: उद्यानिकी विभाग ने फिलहाल जिले में दो विकासखंड में सीडलिंग यूनिट की स्थापना की है, जिसमें कोरबा के पताड़ी और कटघोरा के पंडरीपानी में काम चल रहा है. दोनों स्थानों पर मिनी प्लक टाइप सीडलिंग यूनिट तैयार है. जहां से 10 लाख स्वस्थ थरहा पौधों को तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराए जाने का लक्ष्य है. जिले के किसानों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए खास तौर पर सब्जी की फसल को उन्नत बनाने के सरकार के प्रयासों को उद्यानिकी विभाग अंजाम दे रहा है. जागरूक किसानों को रियायती दर पर सब्जियों के पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं. सीडलिंग यूनिट से तैयार पौधे रोग रहित स्वस्थ और अधिक उत्पादकता देने वाले होते हैं. जिससे किसानों की उत्पादकता में इजाफा होगा.

किसान इस तरह ले सकते हैं लाभ: सब्जी किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए सीधे उद्यानिकी विभाग के नर्सरी में संपर्क कर सकते हैं. किसान चाहे तो स्वयं के बीज लाकर विभाग को दे सकते हैं या फिर आर्डर देकर सीधे थरहा भी प्राप्त कर सकते हैं. बीज देने के बाद किसान को प्रति थरहा 80 पैसे का भुगतान करना होगा. जबकि बीज नहीं देने की स्थिति में सीधे थरहा लेने वाले किसानों को प्रति थरहा पौधे के लिए 1 रुपए का भुगतान विभाग को करना होगा, जिसके लिए किसान जब चाहें नर्सरी जाकर प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं.

इस तरह के सब्जियों को मिलेगा बढ़ावा : छत्तीसगढ़ सरकार इस प्रयास में है कि किसानों को धान के अलावा अन्य फसलों की तरफ मोड़ा जाए. जिसके लिए ही न्यूनतम मूल्य पर किसानों को थरहा उपलब्ध कराया जा रहा है. इस योजना के तहत किसानों को टमाटर, बैंगन, लौकी, तरोई और खीरा जैसी कई तरह की सब्जियों के तैयार थरहा प्रदान किया जाएगा, जिसे ले जाकर वह सीधे खेत में रोपा लगा सकते हैं.

यह भी पढ़ें: कोरबा में किसान चौपाल, क्या रहेगा खास?

थरहा तैयार करने वाले समय में होगी बचत: उद्यानिकी विभाग से जब सीधे तैयार थरहा किसानों को मिलेंगे. तब किसानों के समय में भी बचत होगी. आमतौर पर किसान खेतों में बीज छिड़ककर थरहा तैयार करते हैं और फिर इसकी बुआई करते हैं. इसमें लगभग 1 महीने का समय लग जाता है. लेकिन जब विभाग द्वारा स्थापित मिनी प्लक टाइप सीडलिंग यूनिट से किसानों को तैयार थरहा मिलेगा...तब थरहा तैयार करने में लगने वाले समय में बचत होगी. आमतौर पर किसान खेतों में जितने समय में थरहा तैयार करते हैं. सीडलिंग यूनिट से उससे आधे समय में ही बीज से थरहा तैयार हो जाता है.

कोरबा: कोरबा के किसान मिनी सीडलिंग यूनिट से अब सब्जी की पैदावार कर लाभ कमा सकते हैं. दरअसल, उद्यानिकी विभाग के मिनी प्लक टाइप सीडलिंग यूनिट से किसानों को सीधे अंकुरित पौधे मिलेंगे. इसे स्थानीय बोली में किसान "थरहा" कहते हैं. उद्यानिकी विभाग ने इस तरह के दो यूनिट पताड़ी और पंडरीपानी में लगाये हैं. जहां से किसानों को इसका लाभ मिल रहा (vegetable production from mini seedling unit in korba) है.

कोरबा में मिनी सीडलिंग यूनिट

इस प्रक्रिया में बीज की मृत्यु दर होगी कम: बताया जा रहा है कि जब खेतों में बीज छिड़ककर फसल तैयार की जाती है. तब बीज से अंकुरित होने वाले पौधे 60 से 65 फीसद ही होती है. जबकि सीडलिंग यूनिट ने पारंपरिक खेती की पद्धति को और भी उन्नत बनाने का प्रयास किया है. जिसके द्वारा बीज से 95 फीसद पौध तैयार हो जाते हैं. बीज की मृत्यु दर काफी कम है. किसानों की मेहनत को बेहतर परिणाम में परिवर्तित करने के लिए उद्यानिकी विभाग न्यूनतम दरों पर किसानों को थरहा उपलब्ध करा रहा है.

इस तरह बढ़ेगी उत्पादकता: उद्यानिकी विभाग ने फिलहाल जिले में दो विकासखंड में सीडलिंग यूनिट की स्थापना की है, जिसमें कोरबा के पताड़ी और कटघोरा के पंडरीपानी में काम चल रहा है. दोनों स्थानों पर मिनी प्लक टाइप सीडलिंग यूनिट तैयार है. जहां से 10 लाख स्वस्थ थरहा पौधों को तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराए जाने का लक्ष्य है. जिले के किसानों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए खास तौर पर सब्जी की फसल को उन्नत बनाने के सरकार के प्रयासों को उद्यानिकी विभाग अंजाम दे रहा है. जागरूक किसानों को रियायती दर पर सब्जियों के पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं. सीडलिंग यूनिट से तैयार पौधे रोग रहित स्वस्थ और अधिक उत्पादकता देने वाले होते हैं. जिससे किसानों की उत्पादकता में इजाफा होगा.

किसान इस तरह ले सकते हैं लाभ: सब्जी किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए सीधे उद्यानिकी विभाग के नर्सरी में संपर्क कर सकते हैं. किसान चाहे तो स्वयं के बीज लाकर विभाग को दे सकते हैं या फिर आर्डर देकर सीधे थरहा भी प्राप्त कर सकते हैं. बीज देने के बाद किसान को प्रति थरहा 80 पैसे का भुगतान करना होगा. जबकि बीज नहीं देने की स्थिति में सीधे थरहा लेने वाले किसानों को प्रति थरहा पौधे के लिए 1 रुपए का भुगतान विभाग को करना होगा, जिसके लिए किसान जब चाहें नर्सरी जाकर प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं.

इस तरह के सब्जियों को मिलेगा बढ़ावा : छत्तीसगढ़ सरकार इस प्रयास में है कि किसानों को धान के अलावा अन्य फसलों की तरफ मोड़ा जाए. जिसके लिए ही न्यूनतम मूल्य पर किसानों को थरहा उपलब्ध कराया जा रहा है. इस योजना के तहत किसानों को टमाटर, बैंगन, लौकी, तरोई और खीरा जैसी कई तरह की सब्जियों के तैयार थरहा प्रदान किया जाएगा, जिसे ले जाकर वह सीधे खेत में रोपा लगा सकते हैं.

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थरहा तैयार करने वाले समय में होगी बचत: उद्यानिकी विभाग से जब सीधे तैयार थरहा किसानों को मिलेंगे. तब किसानों के समय में भी बचत होगी. आमतौर पर किसान खेतों में बीज छिड़ककर थरहा तैयार करते हैं और फिर इसकी बुआई करते हैं. इसमें लगभग 1 महीने का समय लग जाता है. लेकिन जब विभाग द्वारा स्थापित मिनी प्लक टाइप सीडलिंग यूनिट से किसानों को तैयार थरहा मिलेगा...तब थरहा तैयार करने में लगने वाले समय में बचत होगी. आमतौर पर किसान खेतों में जितने समय में थरहा तैयार करते हैं. सीडलिंग यूनिट से उससे आधे समय में ही बीज से थरहा तैयार हो जाता है.

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