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GROUND REPORT: सावधान! उपयोग किए गए पीपीई किट दे रहे कोरोना संक्रमण को न्योता

कोरबा के जिला अस्पताल परिसर में सैकड़ों की संख्या में उपयोग किए गए पीपीई किट जमा हो गए हैं, लेकिन इन पीपीई किट को न तो डिस्पोज किया जा रहा है और न ही दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है. जिससे जिला अस्पताल में कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ते जा रहा है. देखिये जिला अस्पताल से ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट...

used PPE kits in hospitals
स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की लापरवाही
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Published : Oct 22, 2020, 7:34 PM IST

Updated : Oct 22, 2020, 7:51 PM IST

कोरबा: कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन कई तरह के उपाय कर रही है. हालात को संभालने के दावे भी किए जा रहे हैं, लेकिन इन दावों की पोल जिला अस्पताल परिसर में कूड़े की तरह फेंके गए पीपीई खोल रहे हैं. जिला अस्पताल परिसर के पीछे बड़ी संख्या में पीपीई किट को कचरे की तरह फेंक दिया गया है. जिससे संक्रमण का खतरा बना हुआ है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जिस एजेंसी को पीपीई किट को डिस्पोज करने का ठेका दिया गया है उसके द्वारा उपयोग की गई पीपीई किट का उठाव नहीं किया जा रहा है.

कोरबा में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की लापरवाही

पीपीई किट स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के साथ ही संभावित मरीजों की देखभाल करते वक्त पहनना पड़ता है. यह एक पोशाक की तरह होती है, जो स्वास्थ्यकर्मियों को सिर से लेकर पांव तक कवर करके रखती है. ताकि वायरस उनके शरीर तक सीधे तौर पर न पहुंच सके. लेकिन पीपीई किट कोरोना वायरस के डायरेक्ट संपर्क में रहता है. पीपीई किट को नियमानुसार केमिकल युक्त ट्रीटमेंट देकर पूरी सावधानी से डिस्पोज किया जाना चाहिए, लेकिन इस काम में लापरवाही बरती जा रही है. जिला अस्पताल परिसर में पिछले 10 दिनों से सैकड़ों की तादात में इस्तेमाल किए गए पीपीई किट कचरे की तरह पड़े हुए हैं. जिसे न तो डिस्पोज किया जा रहा है और न ही यहां से दूसरी जगह ले जाया जा रहा है.

पढ़ें-मातृ शक्ति को नमन: डर के बीच में कोरोना को हराने का जुनून लेकर कोविड वार्ड में उतरी फ्रंटलाइन वॉरियर अभिलाषा

जिला अस्पताल संवेदनशील क्षेत्र

सामान्य दिनों में जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की संख्या लगभग 400 होती है. इतने मरीज हर रोज ओपीडी से चिकित्सकों के परामर्श लेते हैं. इसके साथ ही इन दिनों जिला अस्पताल को आइसोलेशन सेंटर भी बनाया गया है. जहां कोरोना वायरस से संक्रमित होने के संभावित मरीजों को आइसोलेशन में रखा गया है. इसके साथ ही जिला अस्पताल परिसर में ही कोरोना टेस्ट की व्यवस्था की गई है. प्रतिदिन बड़ी तादाद में लोग यहां पहुंचकर सैंपल देते हैं. इनमें से कई पॉजिटिव मरीज भी सामने आ रहे हैं. इन सभी को ट्रीट करने के लिए स्वास्थ्यकर्मी जो पीपीई किट पहन रहे हैं. उसे डिस्पोज नहीं किया जा रहा है.

एजेंसी नहीं कर रही काम

पूरे जिले में बायो मेडिकल वेस्ट को तय मापदंडों के तहत डिस्पोज करने के लिए, इनवायरोकेयर नामक संस्था से प्रशासन ने एग्रीमेंट किया है. अस्पताल प्रबंधन की मानें तो इसी संस्था को पीपीई किट को भी नष्ट करने का ठेका दिया गया है, लेकिन कई बार सूचित करने के बाद भी एजेंसी पीपीई किट का उठाव नहीं कर रही है. जो गंभीर चिंता का विषय है.

पढ़ें-GROUND REPORT: महज दिखावे के लिए ATM में रखा है सैनिटाइजर बोतल, कोरोना को कैसे देंगे मात ?

बढ़ सकता है संक्रमण

डॉ. राजीव गुप्ता का कहना है कि पीपीई किट को नियमानुसार डिस्पोज करना बेहद जरूरी है. कचरा बीनने वाले लोग हों या फिर सड़कों पर घूमने वाले मवेशी, इसे एक से दूसरी जगह पहुंचा सकते हैं. पीपीई किट डायरेक्ट कोरोना वायरस के संपर्क में रहता है, जिससे संक्रमण भी एक से दूसरी जगह फैल सकता है. पीपीई किट को यदि डिस्पोज नहीं किया जा रहा है तो यह गंभीर समस्या है.

इनवायरोकेयर नाम की संस्था को उठाव का ठेका

इस विषय में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अरुण तिवारी से जब ईटीवी भारत ने जानकारी ली. उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से असमर्थता जताते हुए यह स्वीकार किया कि कूड़े की तरह पीपीई किट को फेंकने से संक्रमण का खतरा है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता. बायो मेडिकल वेस्ट के उठाव के लिए इनवायरोकेयर नामक संस्था से हमारा एग्रीमेंट है. लेकिन संस्था को बार-बार बोलने के बाद भी वह पीपीई किट का उठाव नहीं कर रहे हैं. जिसके कारण बहुत सारे किट एक जगह एकत्र हो गए हैं. इनवायरोकेयर की सेवाएं संतोषजनक बिल्कुल भी नहीं है. उच्चाधिकारियों को भी इसकी जानकारी दी गई है.

कोरबा: कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन कई तरह के उपाय कर रही है. हालात को संभालने के दावे भी किए जा रहे हैं, लेकिन इन दावों की पोल जिला अस्पताल परिसर में कूड़े की तरह फेंके गए पीपीई खोल रहे हैं. जिला अस्पताल परिसर के पीछे बड़ी संख्या में पीपीई किट को कचरे की तरह फेंक दिया गया है. जिससे संक्रमण का खतरा बना हुआ है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जिस एजेंसी को पीपीई किट को डिस्पोज करने का ठेका दिया गया है उसके द्वारा उपयोग की गई पीपीई किट का उठाव नहीं किया जा रहा है.

कोरबा में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की लापरवाही

पीपीई किट स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के साथ ही संभावित मरीजों की देखभाल करते वक्त पहनना पड़ता है. यह एक पोशाक की तरह होती है, जो स्वास्थ्यकर्मियों को सिर से लेकर पांव तक कवर करके रखती है. ताकि वायरस उनके शरीर तक सीधे तौर पर न पहुंच सके. लेकिन पीपीई किट कोरोना वायरस के डायरेक्ट संपर्क में रहता है. पीपीई किट को नियमानुसार केमिकल युक्त ट्रीटमेंट देकर पूरी सावधानी से डिस्पोज किया जाना चाहिए, लेकिन इस काम में लापरवाही बरती जा रही है. जिला अस्पताल परिसर में पिछले 10 दिनों से सैकड़ों की तादात में इस्तेमाल किए गए पीपीई किट कचरे की तरह पड़े हुए हैं. जिसे न तो डिस्पोज किया जा रहा है और न ही यहां से दूसरी जगह ले जाया जा रहा है.

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जिला अस्पताल संवेदनशील क्षेत्र

सामान्य दिनों में जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की संख्या लगभग 400 होती है. इतने मरीज हर रोज ओपीडी से चिकित्सकों के परामर्श लेते हैं. इसके साथ ही इन दिनों जिला अस्पताल को आइसोलेशन सेंटर भी बनाया गया है. जहां कोरोना वायरस से संक्रमित होने के संभावित मरीजों को आइसोलेशन में रखा गया है. इसके साथ ही जिला अस्पताल परिसर में ही कोरोना टेस्ट की व्यवस्था की गई है. प्रतिदिन बड़ी तादाद में लोग यहां पहुंचकर सैंपल देते हैं. इनमें से कई पॉजिटिव मरीज भी सामने आ रहे हैं. इन सभी को ट्रीट करने के लिए स्वास्थ्यकर्मी जो पीपीई किट पहन रहे हैं. उसे डिस्पोज नहीं किया जा रहा है.

एजेंसी नहीं कर रही काम

पूरे जिले में बायो मेडिकल वेस्ट को तय मापदंडों के तहत डिस्पोज करने के लिए, इनवायरोकेयर नामक संस्था से प्रशासन ने एग्रीमेंट किया है. अस्पताल प्रबंधन की मानें तो इसी संस्था को पीपीई किट को भी नष्ट करने का ठेका दिया गया है, लेकिन कई बार सूचित करने के बाद भी एजेंसी पीपीई किट का उठाव नहीं कर रही है. जो गंभीर चिंता का विषय है.

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बढ़ सकता है संक्रमण

डॉ. राजीव गुप्ता का कहना है कि पीपीई किट को नियमानुसार डिस्पोज करना बेहद जरूरी है. कचरा बीनने वाले लोग हों या फिर सड़कों पर घूमने वाले मवेशी, इसे एक से दूसरी जगह पहुंचा सकते हैं. पीपीई किट डायरेक्ट कोरोना वायरस के संपर्क में रहता है, जिससे संक्रमण भी एक से दूसरी जगह फैल सकता है. पीपीई किट को यदि डिस्पोज नहीं किया जा रहा है तो यह गंभीर समस्या है.

इनवायरोकेयर नाम की संस्था को उठाव का ठेका

इस विषय में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अरुण तिवारी से जब ईटीवी भारत ने जानकारी ली. उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से असमर्थता जताते हुए यह स्वीकार किया कि कूड़े की तरह पीपीई किट को फेंकने से संक्रमण का खतरा है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता. बायो मेडिकल वेस्ट के उठाव के लिए इनवायरोकेयर नामक संस्था से हमारा एग्रीमेंट है. लेकिन संस्था को बार-बार बोलने के बाद भी वह पीपीई किट का उठाव नहीं कर रहे हैं. जिसके कारण बहुत सारे किट एक जगह एकत्र हो गए हैं. इनवायरोकेयर की सेवाएं संतोषजनक बिल्कुल भी नहीं है. उच्चाधिकारियों को भी इसकी जानकारी दी गई है.

Last Updated : Oct 22, 2020, 7:51 PM IST
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