कोरिया : बैकुंठपुर क्षेत्र में भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ ने कामर्शियल माइनिंग के विरोध में दो दिवसीय धरना प्रदर्शन करने का ऐलान किया था, जिसका बुधवार को पहला दिन था. साथ ही संघ ने 9 सूत्रीय मांगों को लेकर बैकुंठपुर क्षेत्र के मुख्य महाप्रबंधक को ज्ञापन सौंपा है.
एसईसीएल कर्मचारी संगठन ने कॉमर्शियल माइनिंग, खदानों की नीलामी, सीआईएल से सीएमपीडीआई को अलग करने का प्रस्ताव, श्रमिकों के मौलिक अधिकारों में कटौती कर निययोक्ताओं के हित को ध्यान में रखकर श्रम कानून में किए गए संसोधन आदि फैसले के खिलाफ दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का फैसला लिया है.
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संगठन की ये हैं मांगे
संगठन ने ज्ञापन में कोल इंडिया लिमिटेड और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों की विनिवेश प्रक्रिया को रोकने. कामर्शियल माइनिंग, निजी एजेंसियों को कोल ब्लाकों की नीलामी बंद कराने, श्रमिकों के अधिकारों की कटौती करने वाले श्रम कानूनों में संशोधन बंद करने जैसी मांगे शामिल हैं. इस विरोध प्रदर्शन में एचएमएस, सीटू, एटक के पदाधिकारी, श्रमिक नेता और कार्यकर्ता शामिल है.
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बता दें देशभर के विभिन्न कोल खदानों पर निजीकरण का रास्ता केंद्र सरकार ने खोल दिया है. साथ ही शत-प्रतिशत FDI के अलावा कॉमर्शियल माइनिंग को भी हरी झंडी दे दी है. केंद्र सरकार के इस फैसले से मजदूर संगठन नाखुश हैं और लगातार इसका विरोध कर रहे हैं. बुधवार को एसईसीएल कोरबा एरिया स्थित महाप्रबंधक कार्यालय के सामने बीएमएस के आंदोलन को कोरोना वायरस के मद्देनजर अनुमति नहीं दी गई, जिसे देखते हुए संघ के एकमात्र पदाधिकारी मिथिलेश दुबे ने अकेले ही कमर्शियल माइनिंग के विरोध में झंडा उठाया और धरने में शामिल हुए.