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कोरबा में धान बेचने के लिए कटवाना है टोकन तो लाना होगा उत्पादकता प्रमाण पत्र! मुश्किल में अन्नदाता

कोरबा जिले में किसान कितना धान उगाएंगे इसका सत्यापन करने की जिम्मेदारी पटवारियों को दे दी गई है, एक तरह से पटवारी ही किसानों का भाग्य लिख रहे हैं. पटवारी ऐसा उत्पादकता प्रमाण पत्र (Paddy Productivity Certificate) के बहाने तय कर रहे हैं. इस कारण किसान पटवारी के चक्कर काटने को विवश हैं.

Patwaris have been given the responsibility of verifying how much paddy farmers will grow in Korba district.
कोरबा जिले में किसान कितना धान उगाएंगे इसका सत्यापन करने की जिम्मेदारी पटवारियों को दे दी गई है
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Published : Dec 2, 2021, 9:54 PM IST

Updated : Dec 2, 2021, 11:02 PM IST

कोरबा : छत्तीसगढ़ में बहुप्रतीक्षित धान की खरीदी समर्थन (Chhattisgarh Paddy Procurement 2021) मूल्य पर 1 दिसंबर से शुरू हो गई है. पशासन दावा करता है कि इस दौरान किसानों को कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन कोरबा जिले में एक नई व्यवस्था लागू है जोकि जिले की तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल ने शुरू की थी. धान बेचने, खरीदी केंद्र पहुंचने वाले किसानों से उत्पादकता प्रमाण पत्र की मांग की जा रही है. यह प्रमाण पत्र उन्हें पटवारी प्रदान कर रहे हैं. इसके लिए जिले के प्रभारियों को राजस्व अमले द्वारा बाकायदा एक प्रोफार्मा बनाकर दिया गया है. जिसमें किसानों के कुल रकबा और उत्पादन धान की जानकारी है. पटवारी इस पर सील और हस्ताक्षर करके किसानों को दे रहे हैं.

कोरबा जिले में किसान कितना धान उगाएंगे इसका सत्यापन करने की जिम्मेदारी पटवारियों को दे दी गई है

यह सर्टिफिकेट लेकर किसान, खरीदी केंद्र पहुंचते हैं, तभी उन्हें धान बेचने की अनुमति के तौर पर टोकन प्रदान किया जा रहा है. उत्पादकता प्रमाण पत्र की बाध्यता से किसान खासे परेशान हैं. अब तक की जानकारी के अनुसार टोकन के लिए उत्पादकता प्रमाण पत्र की बाध्यता का नियम छत्तीसगढ़ के और किसी भी जिले में नहीं है.


क्या है उत्पादकता प्रमाण पत्र

दरअसल किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदने के लिए सरकार किसानों का पंजीयन करती है, पंजीयन के वक्त ही गिरदावरी के आधार पर उनके खेतों का क्षेत्रफल रकबे के तौर पर ऑनलाइन पोर्टल में दर्ज कर लिया जाता है. किसान कितना धान उगाएंगे यह डाटा भी भूमिया पोर्टल के जरिए पटवारी दर्ज करते हैं. किसानों की ऋण पुस्तिका में भी यह जानकारी दर्ज कर दी जाती है. सामान्य तौर पर इसी रिकॉर्ड के आधार पर किसानों का टोकन काटकर उन्हें धान खरीदा जाता है, लेकिन कोरबा जिले में किसान जब टोकन कटवाने धान खरीदी केंद्र पहुंच रहे हैं. तब उनसे उत्पादकता व प्रमाण पत्र की मांग की जा रही है. यह उत्पादन प्रमाण पत्र उन्हें पटवारी दे रहे हैं. जिसमें वह किसान के कुल रकबे और उत्पादित धान को सत्यापन कर एक सर्टिफिकेट प्रदान कर रहे हैं. इस व्यवस्था से किसान कुछ उलझन में हैं.

किसानों का भाग्य लिख रहे पटवारी

किसान कितना धान उगाएंगे इसका सत्यापन करने की जिम्मेदारी पटवारियों को दे दी गई है, एक तरह से पटवारी ही किसानों का भाग्य लिख रहे हैं. इस दौरान कुछ किसान पटवारी के चक्कर काटने को विवश हैं. हालांकि प्रशासन से यह स्पष्ट निर्देश है कि उत्पादकता प्रमाण पत्र के लिए किसानों को परेशान ना किया जाए, लेकिन यह नियम ही समझ के परे है कि जब 1 माह पहले किसानों का पंजीयन करते वक्त उनकी जानकारी ले ली गई थी तब धान बेचने के ठीक पहले टोकन के लिए दोबारा उनसे उत्पादकता प्रमाण पत्र (Paddy Productivity Certificate) क्यों लिया जा रहा है. इसकी अनिवार्यता के पीछे आखिर क्या मंशा है?

छत्तीसगढ़ के दूसरे जिले में नहीं है ऐसी व्यवस्था

जबकि इस तरह की व्यवस्था छत्तीसगढ़ के किसी भी और जिले में नहीं है. कोई लिखित आदेश भी नहीं वैसे तो यह व्यवस्था पिछले वर्ष भी लागू थी, लेकिन किसी तरह धान खरीदी की प्रक्रिया को पूरा किया गया. इस संबंध में कोई लिखित आदेश भी किसी फड़ प्रभारी के पास मौजूद नहीं है. ईटीवी भारत ने जिले के कई समिति प्रबंधकों से पूछा कि क्या उनके पास उत्पादकता प्रमाण पत्र की बाध्यता और इसके आधार पर ही टोकन प्रदाय करने का कोई आदेश है? जवाब यही मिला यह व्यवस्था जिले की कलेक्टर किरण कौशल ने जिले में लागू की थी. इस विषय में कोई भी अधिकारी खुलकर कुछ भी करने को तैयार नहीं हैं. बिना किसी लिखित आदेश के यह व्यवस्था जिले में लागू है. जिसपर सवाल उठना लाजमी है.


पटवारी घर में ही बैठकर कर रहा है सत्यापन

दरअसल धान उत्पादन के लिहाज से कोरबा छत्तीसगढ़ का बेहद छोटा जिला है, जहां महज 54 धान खरीदी केंद्र और धान खरीदी का लक्ष्य 1 लाख 54 हजार क्विंटल है. कोरबा जिला पहाड़ी क्षेत्र है, यहां धान उत्पादन प्रदेश के अन्य जिलों की अपेक्षा उतना ज्यादा नहीं होता, मिट्टी की उर्वरकता क्षमता भी काफी कम है. अन्य जिलों से धान कोरबा जिले में ज्यादा पाये जाने की संभावना भी बनी रहती है. अफसरों का तर्क है कि उत्पादकता प्रमाण पत्र लेने के पीछे जिले में अवैध धान की खपत को रोकना है. लेकिन व्यवस्था केवल कोरबा जिले में ही लागू क्यों की गई है, तो क्या दूसरे जिलों में यह संभावना नहीं होती?

कोरबा : छत्तीसगढ़ में बहुप्रतीक्षित धान की खरीदी समर्थन (Chhattisgarh Paddy Procurement 2021) मूल्य पर 1 दिसंबर से शुरू हो गई है. पशासन दावा करता है कि इस दौरान किसानों को कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन कोरबा जिले में एक नई व्यवस्था लागू है जोकि जिले की तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल ने शुरू की थी. धान बेचने, खरीदी केंद्र पहुंचने वाले किसानों से उत्पादकता प्रमाण पत्र की मांग की जा रही है. यह प्रमाण पत्र उन्हें पटवारी प्रदान कर रहे हैं. इसके लिए जिले के प्रभारियों को राजस्व अमले द्वारा बाकायदा एक प्रोफार्मा बनाकर दिया गया है. जिसमें किसानों के कुल रकबा और उत्पादन धान की जानकारी है. पटवारी इस पर सील और हस्ताक्षर करके किसानों को दे रहे हैं.

कोरबा जिले में किसान कितना धान उगाएंगे इसका सत्यापन करने की जिम्मेदारी पटवारियों को दे दी गई है

यह सर्टिफिकेट लेकर किसान, खरीदी केंद्र पहुंचते हैं, तभी उन्हें धान बेचने की अनुमति के तौर पर टोकन प्रदान किया जा रहा है. उत्पादकता प्रमाण पत्र की बाध्यता से किसान खासे परेशान हैं. अब तक की जानकारी के अनुसार टोकन के लिए उत्पादकता प्रमाण पत्र की बाध्यता का नियम छत्तीसगढ़ के और किसी भी जिले में नहीं है.


क्या है उत्पादकता प्रमाण पत्र

दरअसल किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदने के लिए सरकार किसानों का पंजीयन करती है, पंजीयन के वक्त ही गिरदावरी के आधार पर उनके खेतों का क्षेत्रफल रकबे के तौर पर ऑनलाइन पोर्टल में दर्ज कर लिया जाता है. किसान कितना धान उगाएंगे यह डाटा भी भूमिया पोर्टल के जरिए पटवारी दर्ज करते हैं. किसानों की ऋण पुस्तिका में भी यह जानकारी दर्ज कर दी जाती है. सामान्य तौर पर इसी रिकॉर्ड के आधार पर किसानों का टोकन काटकर उन्हें धान खरीदा जाता है, लेकिन कोरबा जिले में किसान जब टोकन कटवाने धान खरीदी केंद्र पहुंच रहे हैं. तब उनसे उत्पादकता व प्रमाण पत्र की मांग की जा रही है. यह उत्पादन प्रमाण पत्र उन्हें पटवारी दे रहे हैं. जिसमें वह किसान के कुल रकबे और उत्पादित धान को सत्यापन कर एक सर्टिफिकेट प्रदान कर रहे हैं. इस व्यवस्था से किसान कुछ उलझन में हैं.

किसानों का भाग्य लिख रहे पटवारी

किसान कितना धान उगाएंगे इसका सत्यापन करने की जिम्मेदारी पटवारियों को दे दी गई है, एक तरह से पटवारी ही किसानों का भाग्य लिख रहे हैं. इस दौरान कुछ किसान पटवारी के चक्कर काटने को विवश हैं. हालांकि प्रशासन से यह स्पष्ट निर्देश है कि उत्पादकता प्रमाण पत्र के लिए किसानों को परेशान ना किया जाए, लेकिन यह नियम ही समझ के परे है कि जब 1 माह पहले किसानों का पंजीयन करते वक्त उनकी जानकारी ले ली गई थी तब धान बेचने के ठीक पहले टोकन के लिए दोबारा उनसे उत्पादकता प्रमाण पत्र (Paddy Productivity Certificate) क्यों लिया जा रहा है. इसकी अनिवार्यता के पीछे आखिर क्या मंशा है?

छत्तीसगढ़ के दूसरे जिले में नहीं है ऐसी व्यवस्था

जबकि इस तरह की व्यवस्था छत्तीसगढ़ के किसी भी और जिले में नहीं है. कोई लिखित आदेश भी नहीं वैसे तो यह व्यवस्था पिछले वर्ष भी लागू थी, लेकिन किसी तरह धान खरीदी की प्रक्रिया को पूरा किया गया. इस संबंध में कोई लिखित आदेश भी किसी फड़ प्रभारी के पास मौजूद नहीं है. ईटीवी भारत ने जिले के कई समिति प्रबंधकों से पूछा कि क्या उनके पास उत्पादकता प्रमाण पत्र की बाध्यता और इसके आधार पर ही टोकन प्रदाय करने का कोई आदेश है? जवाब यही मिला यह व्यवस्था जिले की कलेक्टर किरण कौशल ने जिले में लागू की थी. इस विषय में कोई भी अधिकारी खुलकर कुछ भी करने को तैयार नहीं हैं. बिना किसी लिखित आदेश के यह व्यवस्था जिले में लागू है. जिसपर सवाल उठना लाजमी है.


पटवारी घर में ही बैठकर कर रहा है सत्यापन

दरअसल धान उत्पादन के लिहाज से कोरबा छत्तीसगढ़ का बेहद छोटा जिला है, जहां महज 54 धान खरीदी केंद्र और धान खरीदी का लक्ष्य 1 लाख 54 हजार क्विंटल है. कोरबा जिला पहाड़ी क्षेत्र है, यहां धान उत्पादन प्रदेश के अन्य जिलों की अपेक्षा उतना ज्यादा नहीं होता, मिट्टी की उर्वरकता क्षमता भी काफी कम है. अन्य जिलों से धान कोरबा जिले में ज्यादा पाये जाने की संभावना भी बनी रहती है. अफसरों का तर्क है कि उत्पादकता प्रमाण पत्र लेने के पीछे जिले में अवैध धान की खपत को रोकना है. लेकिन व्यवस्था केवल कोरबा जिले में ही लागू क्यों की गई है, तो क्या दूसरे जिलों में यह संभावना नहीं होती?

Last Updated : Dec 2, 2021, 11:02 PM IST
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