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कोरबा: आकाशीय बिजली की चपेट में आए किशोर को ग्रामीणों ने गोबर से ढंका, इलाज के दौरान मौत

आकाशीय बिजली की चपेट में आए किशोर को गांववालों ने गोबर से ढंक दिया. हालत बिगड़ने पर ग्रामीण किशोर को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

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Published : Jul 21, 2020, 12:16 PM IST

Teen dies due to lightning
आकाशीय बिजली की चपेट में आने से किशोर की मौत

कोरबा: आकाशीय बिजली की चपेट में आने से एक किशोर की मौके पर ही मौत हो गई. यह घटना लेमरू थाना के उपरोड़ा की है. कक्षा छठवीं में पढ़ाई करने वाला 13 साल का लड़का घर के बाहर अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था, इस दौरान वो आकाशीय बिजली की चपेट में आ गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई.

मृतक के पिता ने कहा कि रोज की तरह उनका बेटा घर के बाहर दोस्तों के साथ खेलने गया हुआ था. जब उन्होंने बारिश के साथ आकाशीय बिजली कड़कने की आवाज सुनी तो वो दौड़ते हुए घर से बाहर आए. इस दौरान उन्होंने देखा कि उसका बेटा पेड़ के नीचे गिरा हुआ है. जब घटना की जानकारी ग्रामीणों को लगी, तो उन्होंने लड़के को प्राथमिक इलाज के नाम पर गोबर से ढंक दिया. ग्रामीणों का मानना है कि ऐसा करने से बिजली का प्रभाव कम हो जाता है. जब इस उपाय के कोई खास फायदा नहीं हुआ तो, गांववाले लड़के को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.

पढ़ें- कवर्धा में अंधविश्वास की हद, सर्पदंश की शिकार महिला का झाड़ फूंक से इलाज


ग्रामीण क्षेत्र में अंधविश्वास हावी

बता दें कि ग्रामीण क्षेत्र में अंधविश्वास आज भी हावी है. ग्रामीणों की पुरानी मान्यता है कि बिजली गिरने पर व्यक्ति को गोबर से ढंक दिया जाए, तो पीड़ित के शरीर पर बिजली का प्रभाव कम हो जाता है. बहुत देर तक पीड़ितों को गोबर में ढंककर रखने के बाद भी जब उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ.

ग्रामीणों में जागरूकता की कमी

इस तरह इलाज के नाम पर अंधविश्वास का यह कोई पहला मामला नहीं है. जिले के वनांचल क्षेत्रों मे आए दिन इस तरह के अंधविश्वास का खेल चलता ही रहता है. इस दौरान जब मरीज की स्थिति बिगड़ जाती है, तो उसे हॉस्पिटल ले जाया जाता है. कभी-कभी देरी के कारण मरीज की जान चली जाती है. हैरानी की बात यह है कि गांव-गांव में जगह-जगह स्वास्थ्य केंद्र बनाकर लोगों को सेवा देने की कोशिश की जा रही है, बावजूद इसके लोग अंधविश्वास की ओर बढ़ रहे हैं.

कोरबा: आकाशीय बिजली की चपेट में आने से एक किशोर की मौके पर ही मौत हो गई. यह घटना लेमरू थाना के उपरोड़ा की है. कक्षा छठवीं में पढ़ाई करने वाला 13 साल का लड़का घर के बाहर अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था, इस दौरान वो आकाशीय बिजली की चपेट में आ गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई.

मृतक के पिता ने कहा कि रोज की तरह उनका बेटा घर के बाहर दोस्तों के साथ खेलने गया हुआ था. जब उन्होंने बारिश के साथ आकाशीय बिजली कड़कने की आवाज सुनी तो वो दौड़ते हुए घर से बाहर आए. इस दौरान उन्होंने देखा कि उसका बेटा पेड़ के नीचे गिरा हुआ है. जब घटना की जानकारी ग्रामीणों को लगी, तो उन्होंने लड़के को प्राथमिक इलाज के नाम पर गोबर से ढंक दिया. ग्रामीणों का मानना है कि ऐसा करने से बिजली का प्रभाव कम हो जाता है. जब इस उपाय के कोई खास फायदा नहीं हुआ तो, गांववाले लड़के को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.

पढ़ें- कवर्धा में अंधविश्वास की हद, सर्पदंश की शिकार महिला का झाड़ फूंक से इलाज


ग्रामीण क्षेत्र में अंधविश्वास हावी

बता दें कि ग्रामीण क्षेत्र में अंधविश्वास आज भी हावी है. ग्रामीणों की पुरानी मान्यता है कि बिजली गिरने पर व्यक्ति को गोबर से ढंक दिया जाए, तो पीड़ित के शरीर पर बिजली का प्रभाव कम हो जाता है. बहुत देर तक पीड़ितों को गोबर में ढंककर रखने के बाद भी जब उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ.

ग्रामीणों में जागरूकता की कमी

इस तरह इलाज के नाम पर अंधविश्वास का यह कोई पहला मामला नहीं है. जिले के वनांचल क्षेत्रों मे आए दिन इस तरह के अंधविश्वास का खेल चलता ही रहता है. इस दौरान जब मरीज की स्थिति बिगड़ जाती है, तो उसे हॉस्पिटल ले जाया जाता है. कभी-कभी देरी के कारण मरीज की जान चली जाती है. हैरानी की बात यह है कि गांव-गांव में जगह-जगह स्वास्थ्य केंद्र बनाकर लोगों को सेवा देने की कोशिश की जा रही है, बावजूद इसके लोग अंधविश्वास की ओर बढ़ रहे हैं.

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