कोरबा: कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Korba Medical College Hospital) में नियुक्त जीवनदीप समिति के अधीन काम करने वाले 75 कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. इन कर्मचारियों में मेडिकल स्टाफ से लेकर टेक्नीशियन और वाहन चालक तक सभी शामिल हैं. कर्मचारियों की मांग है कि जीवनदीप समिति के माध्यम से मिलने वाले कम वेतन में वृद्धि की जाए. कम से कम उचित दर ही उन्हें दिया जाए. 8 से 12 घंटे की ड्यूटी के लिए कुछ कर्मचारियों को महज 5 हजार रुपये महीने की पगार दी जाती है. जिससे कि वह नाखुश हैं और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं.
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जीवनदीप समिति में सचिव सिविल सर्जन तो कलेक्टर अध्यक्ष
दरअसल, जिला अस्पताल को हाल ही में मेडिकल कॉलेज अस्पताल में परिवर्तित किया गया है. डीन की पदस्थापना भी हुई, लेकिन सामान्य तौर पर मेडिकल कॉलेज के लिए निर्धारित मानदंडों के तहत काम नहीं हुआ. जिला अस्पताल में पूर्व से ही जीवनदीप समिति प्रभावशील है. इसके सचिव सिविल सर्जन होते हैं, जबकि अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं.
नियमानुसार मेडिकल कॉलेज के अस्तित्व में आते ही इस तरह की समस्त समिति एवं उसके फंड मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीन आने चाहिए. लेकिन उलझी हुई व्यवस्था के कारण अभी भी यह तमाम समितियां मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीन नहीं हैं. जिससे मेडिकल कॉलेज को निर्णय लेने का अधिकार नहीं है.
अब कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दूरदराज के खासतौर पर निचले तबके के लोग इलाज के लिए आते हैं. इलाज के लिए भर्ती भी वहीं होते हैं, इन सब में मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज करा रहे मरीज काफी परेशानी में हैं.
'लिखित आश्वासन मिलने तक करेंगे हड़ताल'
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सेवाएं दे रहे कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती है या लिखित आश्वासन नहीं मिल जाता तब तक वह हड़ताल पर डटे रहेंगे. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 545 विभिन्न पदों पर भर्ती प्रस्तावित है. जिसके बाद जीवनदीप समिति के कर्मचारियों को कार्यमुक्त भी किया जा सकता है. अब यह कर्मचारी नई भर्ती में भी प्राथमिकता मांग रहे हैं. जिसके लिए वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.
कलेक्टर और शासन को लिखा पत्र-डीन
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन वाईडी बड़गइया (Dean YD Badgaiya) ने बताया कि जीवनदीप समिति के अधीन नियुक्त सभी कर्मचारियों की मांगे जायज है. कुछ कर्मचारी तो ऐसे हैं जो 5 हजार रूपये प्रतिमाह के वेतन में 12 घंटे ड्यूटी देते हैं. वह अंशकालिक नहीं पूर्णकालिक हैं. उन्हें काफी पहले ही कम से कम कलेक्टर दर मिलना चाहिए था. लेकिन वह सभी जीवनदीप समिति के अधीन आते हैं और उनकी नियुक्ति सिविल सर्जन ने की थी. इसलिए कर्मचारियों के वेतन वृद्धि या अन्य मांगों पर निर्णय लेने का अधिकार मुझे नहीं है. इसके लिए हमने कलेक्टर को पत्र लिखा है. उम्मीद है कि जल्दी हड़ताल समाप्त होगी.